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(GMT+08:00) 2004-08-30 20:43:37    
पेइचिंग ऑपेरा की सुरक्षा व विकास

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चीन में आर्थिक विकास तथा आधुनिकीकरण के तेजी से आगे बढ़ने के साथ एक बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि देश की परम्परागत ऑपेरा कला की सुरक्षा कैसे की जाये और इसे विरासत के रूप में ग्रहण करने के बाद इसका विकास कैसे हो। चीनी ऑपेरा के प्रतीक माने जाने वाले पेइचिंग ऑपेरा ने इस क्षेत्र में कुछ कदम उठाकर पहल भी की है।

 

इस समय आप सुन रहे हैं, हाल ही में पेइचिंग में सिंफ़नी के रूप में प्रस्तुत पेइचिंग ऑपेरा "मेइ लान फ़ांग" का एक अंश। इस में प्रथम बार सिंफ़नी और परम्परागत पेइचिंग ऑपेरा के मेल से पेइचिंग ऑपेरा के विश्वविख्यात कलाकार मेइ लान फ़ांग की कहानी पेश की गयी और इस प्रस्तुति को दर्शकों की मान्यता भी प्राप्त हुई।

पेइचिंग ऑपेरा"मेइ लान फ़ांग" की इस प्रस्तुति की निर्देशक पेइचिंग स्थित पेइचिंग ऑपेरा मंडल की निदेशक सुश्री वांग यू चन ने कहा कि पेइचिंग ऑपेरा में सिंफ़नी का प्रयोग इस परम्परागत ऑपेरा के विकास की दृष्टि से एक नयी खोज है। उन का कहना था कि पेइचिंग ऑपेरा को अपने कला रूप में युग के साथ विकास करना चाहिए। पेइचिंग ऑपेरा मंडल का विचार है कि इस परम्परागत कला को आज के समय के नज़दीक लाना इससे जुड़े सभी व्यक्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण बात है। पेइचिंग ऑपेरा को विरासत के रूप में ग्रहण करना ही जरूरी नहीं है उसे नया रूप भी देना जरूरी है। मेरा विचार है कि विरासत और नए रूप दोनों का महत्व है।

पेइचिंग ऑपेरा का चीन के ऑपेराओं में सब से ज्यादा प्रभाव है । इस का इतिहास कोई दो सौ वर्ष पुराना है । अपने विकास के दौरान पेइचिंग ऑपेरा दूसरे ऑपेराओं की श्रेष्ठता से सीख कर कदम ब कदम चीन में लोकप्रिय हुआ और चीन का राष्ट्रीय ऑपेरा बना। आज चीन के परम्परागत ऑपेराओं के दर्शकों में कमी आने की समस्या उसके सामने भी है।

पेइचिंग ऑपेरा की जीवनी शक्ति को बहाल करने के लिए उससे जुड़े व्यक्तियों ने लगातार कई खोजें कीं । ऐसा सर्वप्रथम प्रयास था पेइचिंग ऑपेरा की विषयवस्तु में विविधता लाना। चीनी पेइचिंग ऑपेरा मंडल ने गत वर्ष विश्वविख्यात नाटक "तुरांदोत" पर आधारित " चीनी राजकुमारी तुरांदोत" नामक पेइचिंग ओपेरा पेश किया और इसके बाद "मेइ लान फ़ान"नामक ओपेरा भी।इधर ह बेई प्रांत के पेइचिंग ओपेरा मंडल ने विश्वविख्यात लेखक हेंस क्रिस्चियन आंड्रसन की बाल कथा के आधार पर "जंगली हंस" नामक पेइचिंग ओपेरा पेश किया। इन सब कोशिशों को चीनी दर्शकों की वाहवाही मिली।

दूसरा प्रयास रहा पेइचिंग ओपेरा को उसकी प्रस्तुति के लिए अपनाये गये विभिन्न तरीकों से दर्शकों के सामने नये रूप में रखने का । इसमें मंच प्रकाश, कलाकारों की आवाज़ तथा ओपेरा के संगीत आदि क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दिया गया। पेइचिंग ओपेरा में आधुनिक तत्वों को बढ़ावा दिया गया, ताकि वह आधुनिक फैशन बन सके।

इस क्षण आप सुन रहे हैं पेइचिंग ओपेरा "चीनी राजकुमारी तुरांदोत" का एक अंश। इस में इतालवी ओपेरा "तुरांदोत", चीनी लोकगीत "चमेली के फूल" की धुन तथा चीन की अन्य अल्पसंख्यक जातियों के संगीत का आधुनिक पोप म्युजिक के साथ मेल रहा। इस प्रस्तुति के दौरान कलाकारों की सुन्दर छवि, मीठी आवाज़ तथा मंच की शानदार प्रकाश व्यवस्था ने भी लोगों को आकृष्ट किया। इस ओपेरा के निर्दशक चीनी पेइचिंग ओपेरा मंडल के प्रधान श्री वू च्यांग ने कहा कि पेइचिंग ओपेरा की विशेषता है दूसरे ओपेराओं की श्रेष्ठता को अपने में जोड़ना । वर्तमान दर्शकों की मांग ओपेरा में ज्यादा सूचना और तेज़ धुन है । उन्होंने कहा

कि पेइचिंग ओपेरा की यह विशेषता भी बड़ी पुरानी है।पेइचिंग ओपेरा के पुराने कलाकारों ने भी ऐसी कोशिशें की थीं। आज भी हमें पेइचिंग ओपेरा में दूसरे ओपेराओं की श्रेष्ठता को शामिल करना चाहिए। इस से हम और ज्यादा दर्शकों को आकृष्ट कर सकेंगे।