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(GMT+08:00) 2004-08-26 14:25:08    
चच्यांग प्रांत में शिक्षा कार्य का उल्लेखनीय विकास हो पाया है

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चच्यांग प्रांत पूर्वी चीन में स्थित है । वहां सस्कृति व शिक्षा कार्य के विकास की बहुत प्राचीन परंपरा रही है । प्रांत को शिक्षा कार्य के विकास में प्राप्त अनुभवों ने देश के दूसरे क्षेत्रों का ध्यान भी आकर्षित किया है । इधर प्रस्तुत हैं इस प्रांत के दो मशहूर स्कूलों की जानकारी । चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचाओ शहर में स्थित ह्वामेई स्कूल एक निजी कारोबार द्वारा वर्ष 2001 में तीस करोड़ युवान की पूंजी से शुरू किया गया नागरिक स्कूल है । छिआनथांग नदी के किनारे स्थित इस स्कूल का क्षेत्रफल पचास हजार वर्ग मीटर है , और इस का परिसर बहुत सुन्दर है । ह्वामेई स्कूल में छात्र प्राइमरी से मिडिल स्कूल तक की शिक्षा ले सकते हैं । स्कूल की उप प्रधान सुश्री चांग मेईहूंग के अनुसार स्कूल परंपरागत शिक्षा व्यवस्था से अलग शिक्षा विचार अपनाता है । इस के तहत स्कूल छात्रों को अध्यायन में मजबूती के बजाये उन्हें प्रसन्नता और रुचि को प्राथमिकता देता है । सुश्री चांग के अनुसार उन का स्कूल संगीत , खेल , चित्र और कंप्यूटर आदि कक्षाओं पर विशेष ध्यान देता है । इस में यह भी चर्चायोग्य है कि ह्वामेई स्कूल ने अपने यहां कृतज्ञता के विशेष पाठ की शुरूआत भी है । आज शहरों में बहुत से छात्रों में समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना कम होती है , उन की समाज , मानव और यहां तक कि अपने परिवार के प्रति सद्भावना कमजोर है । इसलिये ह्वामेई स्कूल ने ऐसे छात्रों की विचारधारा में सुधार लाने के लिये यही पाठ्यक्रम खोला । सुश्री चांग ने कहा कि उन के स्कूल में छात्रों को अधिक अंक पाने के लिये संघर्ष करने को प्रोत्साहित नहीं किया जाता , और छात्रों की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिये स्कूल अमेरिका , कनाडा , ब्रिटेन समेत कई विकसित देशों के स्कूलों के साथ व्यापक सहयोग कर रहा है । अब तक ह्वामेई स्कूल के 60 से अधिक छात्रों को विदेशी स्कूलों में कुछ समय के लिये पढ़ने का मौका मिल चुका है । बीसेक सालों के प्रयासों से चच्यांग प्रांत में निजी और सरकारी सभी स्कूलों का उल्लेखनीय विकास हुआ है । इस तरह नागरिक शिक्षा ने स्थानीय शिक्षा कार्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है । दक्षिणी चीन के च-च्यांग प्रांत स्थित चच्यांग परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी और एक मशहूर स्कूल है । चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति ने इधर अनेक विदेशियों का ध्यान आकर्षित किया है। इन लोगों में बहुत से चिकित्सक भी शामिल हैं। अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य की डाक्टर अना लेस उन में से एक हैं। डाक्टर लेस चीन के दक्षिणी प्रांत च-च्यांग की परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी में अध्ययन कर रही हैं। उन के अध्ययन का विषय है आधा-सीसी का इलाज। चीन आने से पहले वे निजी क्लीनिक चलाती थीं। उन्हों ने अमेरिका के एक कालेज में चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति व औषधि से संबंधित पाठ्यक्रम की भी शुरुआत की। चीन में अपने अध्ययन की चर्चा में डाक्टर लेस ने बताया कि उन्होंने अमेरिका में परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति का 15 साल अध्ययन किया । पर इसके बावजूद उन्हें चीन आकर इस परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अपने ज्ञान और कौशल को आगे बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई। आखिर वे चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति में डाक्टर की उपाधि हासिल करने के लिए चच्यांग की परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी पहुंचीं। चच्यांग प्रांत की यह परंपरागत चिकित्सा पद्धति अकादमी उसके मशहूर शहर हांगचाओ में स्थित है। यह अकादमी 17 उपाधियां प्रदान करती है, जिनका चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति, परंपरागत औषधि और एक्यूपंक्चर आदि से संबंध है। अकादमी के बहुत से अध्येता और प्रोफेसर चीन ही नहीं दुनिया के अन्य देशों तक में मशहूर हैं। कोई 20 साल पहले इस अकादमी ने विदेशी छात्रों को अपने यहां प्रवेश देना शुरू किया। इस समय अकादमी में कोरिया गणराज्य और अमेरिका समेत तीसेक देशों व क्षेत्रों के सौ से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं। डाक्टर लेस ने बताया कि चीन में अध्ययन के दौरान सब से बड़ी कठिनाई भाषा की होती है। सौभाग्यवश चच्यांग की परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी ने विदेशी छात्रों के लिए विदेशी भाषा बोलने वाले अध्यापक नियुक्त किये हैं। डाक्टर लेस के अध्यापक प्रोफेसर ये ड पौ हैं, जो कई दशकों से एक्यूपंक्चर के अध्ययन में लगे हैं। प्रोफेसर ये का मानना है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति का विशेष स्थान है। उन्हों ने कहा कि आज विश्व में प्राकृतिक उपचार पर बहुत महत्व दिया जा रहा है। पश्चिमी चिकित्सा पद्धति के इलाज के गंभीर पश्च प्रभाव होते हैं, इसलिए प्राकृतिक उपचार का विश्व में अधिकाधिक स्वागत हो रहा है। आज पश्चिमी देशों के बहुत से डाक्टर चीन की परंपरागत पद्धति से नये उपचार सीख रहे हैं। उन्हें मालूम है कि पश्चिमी चिकित्सा पद्धति की अपनी एक सीमा है। डाक्टर लेस के अनुसार अमेरिका में चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति बहुत लोकप्रिय है। बहुत से रोगी उपचार में एक्यूपंक्चर, जड़ी बूटियों तथा मालिश जैसे परंपरागत चीनी उपाय अपनाना चाहते हैं। खुद डाक्टर लेस इसकी एक मिसाल हैं। वे कई सालों से आधा-सीसी से ग्रस्त रही हैं। पश्चिमी चिकित्सा पद्धति में खास तरह के इस सिरदर्द के उपचार में सिर्फ असेटैनिलित नामक दवा का प्रयोग किया जाता है। लेकिन चीनी चिकित्सा पद्धति इस रोग के उपचार में बहुत कारगर साबित हुई है। डाक्टर लेस को इस पर बहुत आश्चर्य है। उन्होंने कहा आधासीसी का इलाज विश्व भर में एक अनबूझ पहेली माना जाता है। अमेरिका में चीनी चिकित्सा पद्धति से इस रोग के इलाज का एक नया रूझान उभर रहा है। मैं चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति के गहन अनुसंधान में लगी हूं और स्वदेश लौट कर अपने छात्रों के लिए इस परंपरागत चिकित्सा पद्धति की कक्षाएं खोलूंगी। अमेरिका में इधर कुछ कालेजों ने भी चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति का संकाय स्थापित करने की योजना बनाई है। प्रोफेसर ये ड पौ ने जानकीरी दी कि उन की परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में से कुछ ने उच्चतर अध्ययन के लिए लंबे समय तक चीन में रहने का निर्णय लिया है । कोरिया गणराज्य तथा जापान आदि देशों के छात्र यहां चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की प्रामाणिक परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने का प्रयत्न करते हैं। इससे दुनिया भर में चच्यांग परंपरागत चीनी चिकित्सा पद्धति अकादमी का नाम फैलता जा रहा है। यह अकादमी अमेरिका, ब्राजील और जापान समेत कोई तीस देशों की उच्च चिकित्सा संस्थाओं के साथ संबंध भी कायम कर चुकी है। उन के बीच अकादमिक आदान-प्रदान तथा वैज्ञानिक अनुसंधान में सुगम सहयोग चल रहा है।