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(GMT+08:00) 2004-08-23 16:30:31    
श्रोताओं की रायें , हमारा जवाब

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रोरकेला उड़ीसा के आकिब निहाल खान ने हमें भेजे पत्र में लिखा कि मैं एक छात्र हूं , मुझे आप के सभी प्रोग्राम बहुत ज्ञानवर्धक लगते हैं , मुझे प्रसारणों में चीन का संक्षिप्त इतिहास , आज का तिब्बत , सवाल जवाब , विज्ञान शिक्षा व स्वास्थ्य और आप का पत्र मिला बहुत अच्छे लगते हैं । चीन का इतिहास मुझे इसलिए भी पसंद है , क्योंकि हमें कालेज में चीन के बारे में बहुत कुछ बताया जाता है । आप के प्रोग्रामों से मेरी जानकारी भी बढ़ती है । तिब्बत पर रिपोर्टें और आज का तिब्बत सुन कर लगता है कि चीन सरकार तिब्बत के प्रति बहुत सहानुभूति रखती है ।

आकिब निहाल जी ने आगे लिखा है कि श्रोता वाटिक इतनी अच्छी पत्रिका है , जिस से हमारी जानकारी भी बढ़ जाती है और साथ ही इस में छपे दृश्य और तस्वीरें दिल को मोह लेती है । श्रोता वाटिका के नए अंक पा कर मन खुशी से झूम उठा । संपादक वेई तुंग साहब का बहुत शुक्रिया कि वह इतनी अच्छी पत्रिका का संपादन करते हैं ।

अपनी उम्र के छात्र और छात्राओं को श्रोता वाटिका में देख कर बहुत अच्छा लगा । पता चला है कि चीन सरकार तिब्बत के लोगों की हर तरह से मदद कर रही है । आज का तिब्बत में छात्राओं के द्वारा गाए गए गाने सुन कर अच्छा लगा और अब उन की तस्वीरें श्रोता वाटिका में देख भी ली । इस के अलावा छिंग हाई तिब्बत रेलमार्ग के बारे में विस्तृत जानकारी मिली और वहां की कुछ सुन्दर तस्वीरें भी देखने को मिली । मेरे लिए श्रोता वाटिका एक फूल की तरह है ,जो सब तरफ मनमोहित रंग और महक फैलाता है । मुझे उम्मीद है कि इस के इस अंक को सभी श्रोता पसंद करेंगे ।

श्रोता वाटिका श्रोताओं में इतनी पसंद आने पर हमें अपार प्रसन्नता मिली , श्रोताओं की पसंद हमारी कोशिश को सार्थक सिद्ध करती है । और हमें आगे अच्छी तरह हिन्दी प्रसारण और श्रोता वाटिका को निखारने की प्रेरणा मिली । इतनी अच्छी प्रतिक्रिया के लिए हम आकिब निहाल खान को कोटि कोटि धन्यावाद देते हैं ।

सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार द्विवेदी ने हमारी उद्घोषिका चंद्रमा के नाम लिखे पत्र में कहा कि शायद आप हम लोगों से किसी बात से नाराज हो गई हैं , क्योंकि कई पत्र भेजने के बाद भी आप न पत्र पढ़ती न ही गीत सुनवाती हैं । खैर पत्र लिखता रहूंगा । एक दिन वह आएगा , जब आप मान जाएगी , खुश हो जाएगी और हमारा पत्र कार्यक्रम में स्थान पा सकेगा । यहां मैं यह बताना चाहता हूं कि कभी समय था , जब मैं इस कार्यक्रम को ही बन्द करने के पक्ष में था , लेकिन जब से आप आयी है , इस कार्यक्रम में तब से वह बहुत अच्छा हो गया है । और सुनने में दिलचस्पी बढ़ गई है । प्रत्येक शनिवार का बेसब्री से इंतजार रहता है ।

अनिक कुमार द्विवेदी जी , हमें यह पाकर बड़ी खुशी हुई है कि कभी आप की पसंद कार्यक्रम को बन्द करने के पक्षधर श्रोता के रूप में आज आप को यह कार्यक्रम फिर पसंद आयी और इस कार्यक्रम से अपना फरमाईश गीत सुनने के लिए बेसब्र हैं । आप के पत्र में पता चला है कि आप की पसंद कार्यक्रम के लिए चंद्रमा जी की प्रस्तुति शैली आप लोगों को बहुत पसंद आई है , इस से हमें कार्यक्रम बेहतर करने के लिए काफी प्रोत्साहन मिला है । इस के लिए आप को धन्यावाद । आप को यह भी मालूम है कि हम सभी श्रोता बहनों और भाइयों का सम्मान आदर करते हैं , किसी बात से किसी श्रोता से नाराज नहीं हो सकता है । श्रोताओं के पत्रों की संख्या ज्यादा होने के कारण कभी कभार कुछ छूट हो सकता है , आशा है ,आप समझेंगे ।

आरा बिहार के राम कुमार नीरज ने हमें लिख कर कहा कि मैं आप के प्रसारण संस्था से भली भांति उस समय से परिचित हूं , जब मैं 12--13 साल के आसपास था । आज मैं स्नातक विद्यार्थी हूं और आज भी समय और परिस्थिति के साथ आप के कार्यक्रम सुनता हूं ।

इसी बीच हवाई पत्रों और ई-मैल पत्रों के माध्यम से आप से संपर्क बनाए रखने का प्रयास हमेशा किया , किन्तु हमें दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज तक आप ने मेरे पत्रों का कोई उचित जवाब नहीं दिया । आज भी देश दुनिया से जुड़ने का मेरा एकमात्र माध्यम रेडियो चाइना ही है , चीनी कहानी , चीनी गीत संगीत , चीनी पर्यटन स्थल आदि से संबंधित कार्यक्रम मुझे सदैव आप की ओर खींचा है । उम्मीद है कि आप हमारी भावनाओं को समझने का प्रयास करेंगे ।

राम कुमार नीरज जी , आप का पत्र पाकर हमें खुशी भी है औक दुख भी , खुशी इस बात की है कि आप बचपन से हमारा प्रसारण सुनते आए हैं और हमारे कार्यक्रम पसंद आए हैं , दुख इस बात की है कि हमारे बीच पत्र व्यवहार ठीक से नहीं चला । हमें आशा है कि आगे दोनों तरफ के प्रयास से हमारा पत्र व्यवहार बेहतर होगा और हमारी दोस्ती बढ़ जाएगी ।

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