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(GMT+08:00) 2004-08-19 21:07:21    
चीनी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था के सुधार को प्राथमिकता

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नयी शताब्दी में चीन सरकार ने शिक्षा रुपांतरण पर विशेष जोर दिया है । और इस कार्य में भी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था के सुधार को प्राथमिकता दी है । पिछली शताब्दी के अन्त तक चीन में प्राइमरी स्कूल के उम्र वाले छात्रों की स्कूलों में भरती की दर 99.1 प्रतिशत तक जा पहुंची थी , जबकि मिडिल स्कूल के लिये यह 88.6 प्रतिशत रही । चीन में हरेक बच्चे के लिये 9 वर्षीय अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू है , इस तरह पिछली शताब्दी के अन्त तक चीन के 85 प्रतिशत किशोर अनिवार्य शिक्षा पा सके । इस के बाद चीन के शिक्षा रुपांतरण कार्य का केंद्र छात्रों की गुणवता बना है। यानी, पहले स्कूलों में छात्रों द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों को ज्यादा महत्व दिया जाता था , अब तो उन की वास्तविक गुणवता पर ध्यान किया जाएगा । संक्षिप्त में इसे गुणी शिक्षा कहा जा रहा है , जबकि पुरानी शिक्षा व्यवस्था परीक्षित शिक्षा कहलाती रही ।

गुणी शिक्षा से छात्रों की वास्तविक गुणवता व क्षमता को उन्नत करना है । परंपरागत शिक्षा व्यवस्था की तुलना इस का फर्क यह है कि छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक नहीं , बल्कि उन्हें ज्यादा वास्तविक क्षमता उपलब्ध कराने पर जोर देनी है । चीन की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में अध्यापक, अपने छात्रों को परीक्षा पास करने के लिये बहुत सा गृहकार्य करने को कहते हैं , छात्र इसे लदा रहता है । ऐसी शिक्षा व्यवस्था से उन छात्रों , जो बढिया अंक प्राप्त करते हैं , की वास्तविक क्षमता आम तौर पर बेचारगी की हालत में रहती है । दूसरी ओर , अन्य छात्र , जो अच्छे अंक पाने में असमर्थ रहते हैं , की पढ़ने में रूचि भी निम्न बनी रहती है । इसलिये वर्ष 2000 से चीनी शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को गुणी शिक्षा देने का आह्वान किया , इस का उद्देश्य यही है कि गृहकार्य के बोझ को कम कर छात्रों की नीहित शक्ति जगायी जाए , और आधुनिक सूचनाओं के जरिये उन की मिश्रित क्षमता उन्नत की जाए ।

पिछले दो सालों में चीन ने गुणी शिक्षा को अमल में लाने की सकारात्मक कोशिश की है , और इस संदर्भ में उल्लेखनीय प्रगति भी प्राप्त की । चीन की शिक्षा मंत्री सुश्री चेन ने कहा कि उन्हों ने कहा कि वर्ष 2001 से चीन को गुणी शिक्षा के अपने अभियान में महत्वपूर्ण प्रगति मिलती शुरू हुई । प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में नयी पाठ्य पुस्तकों का प्रयोग शुरू हो गया है और हाई स्कूलों में नये तरीके की कक्षाओं का अनुशीलन व परीक्षण भी शुरू हुआ है । साथ ही देश के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में नैतिक शिक्षा का सुधार भी शीघ्रता से आगे बढ़ा है । इधर खेल , संगीत व चित्रकला जैसी कक्षाओं का नया मापदंड और छात्रों का स्वास्थ्य मापदंड भी तैयार किया जा चुका है । चीनी शिक्षा मंत्रालय ने जो रूपरेखा पेश की है उस में देश में गुणी शिक्षा शुरू करने के लिये मौजूदा कक्षाओं, पाठ्य पुस्तकों तथा परीक्षा व्यवस्था आदि सभी का रुपांतरण किये जाने की जरूरत है । इस में पाठ्य सामग्री व परीक्षा व्यवस्था में सुधार सब से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है ।

इस महान कार्य की तैयारी में पेइजिंग नेर्मिल विश्ववित्यालय ने चीनी शिक्षा मंत्रालय के निदेश पर प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की विभिन्न श्रेणियों के लिये उपयोगी गणित व चीनी भाषा आदि की नयी पाठ्य पुस्तकें तैयार की । वर्ष 2001 से ही चीन के विभिन्न प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में इन नयी पुस्तकों का परीक्षण शुरू हो गया है । पूर्वी चीन के शानतूंग प्रांत के जिन सात स्कूलों ने ऐसे नये शिक्षा उपाय का परीक्षण किया है, उन में न केवल नयी पाठ्य पुस्तकों का इस्तेमाल हो रहा है , बल्कि अध्यापकों को भी नये शिक्षा विचारों में प्रशिक्षित किया गया है । पहले अध्यापक छात्रों को सिर्फ परीक्षा पास करने के लिये मजबूर किया करते थे , पर अब अध्यापक अपने छात्रों की पढ़ाई रूचि को अधिक महत्व दे रहे हैं । शानतूंग प्रांत के एक शिक्षा अधिकारी ने हमारे संवाददाता से कहा कि हमारे यहां यैनथाई शहर के एक प्राइमरी स्कूल में छात्रों को मेरी प्यारी जन्मभूमि शीर्षक से एक लेख लिखने को कहा । उन से यह मांग की गयी कि वे इस के लिये किसी भी किताब की मदा न लें , बल्कि जीवन के अनुभव से ही अपनी जन्मभूमि के प्रति अपने प्रेम की बात कहें । इस लिये इन छात्रों को यह लेख तैयार करते हुए इंटरव्यू और अनुसंधान का सहारा लेना पड़ा , और इस से उन की वास्तविक क्षमता बढ़ी है ।

पेइजिंग के कुछ स्कूलों में अब ऐसा देखा जा रहा है कि एक कक्षा के विभिन्न छात्रों को अलग अलग परीक्षा पत्र दिया जाता है । क्योंकि छात्रों का स्तर अलग है , इसलिये उन के लिये ये भिन्न भिन्न परीक्षा पत्र हल करवाना स्वाभाविक होता है । चीन की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में विदेशी भाषा और कम्प्यूटर कक्षा का भी महत्वपूर्ण स्थान है । चीनी शिक्षा मंत्रालय की योजना में वर्ष 2001 से ही देश के सभी प्राइमरी स्कूलों में विदेशी भाषा और कम्प्यूटर कक्षाएं खोली जाने की अपेक्षा थी । पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवूर प्रदेश के उरूमूची शहर के नम्बर 1 प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका सुश्री स्वेडा ने हमारे संवाददाता से कहा, छात्रों को विदेशी भाषा और कम्प्यूटर क्लास बहुत पसंद है । हमारी अंग्रेजी कक्षा में छात्रों को मुश्किल चीज़ें नहीं पढायी जाती , पर मुख्य तौर पर अंग्रेजी में सुनने, बोलने और विचार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है । छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ना बहुत पसंद है । हमारे संवाददाता ने दक्षिण-पश्चिमी चीन के जंग-तू शहर के एक प्राइमरी स्कूल का दौरा किया , जहां अंग्रेज़ी और कम्प्यूटर कक्षा शुरू हुए कई साल हो चुके हैं । इस स्कूल के प्रधान अध्यापक श्री वांग ने कहा कि 21वीं शताब्दी में रहने वाले लोगों को अंग्रेज़ी और कम्प्यूटर आना पड़ता है । इसलिये हमारे स्कूल ने ऐसी कक्षा भी खोली हैं । इन कक्षाओं को बड़ी संख्या की पूंजी और अंग्रेज़ी बोलने वाले अध्यापकों की बड़ी जरूरत है । हमारे स्कूल में इन क्लासों के खुलने में सरकार से बड़ी मदद मिली है । इस स्कूल की 12 वर्षीया लड़की ने बताया कि मुझे कम्प्यूटर क्लास बहुत पसंद है । क्योंकि कम्प्यूटर , लोगों को बड़ी सुविधा पेश करता है । मैं कम्प्यूटर के जरिये न केवल लेख लिखती हूं और चित्र बनाती हूं , बल्कि इंटरनेट पर देशी - विदेशी मित्रों के साथ बातचीत भी कर सकती हूं ।चीन , गुणी शिक्षा के अपने कार्यक्रम में छात्रों की हस्तशिल्य , आविष्कार तथा खेल व कला से संबंधित क्षमता को बहुत महत्व दे रहा है । इस उद्देश्य से चीन सरकार ने गत वर्ष में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के छात्रों के लिये 160 से अधिक विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना भी की है ।