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(GMT+08:00) 2004-08-19 15:39:49    
विकास के रास्ते पर चीन से भारत की तुलना

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इस समय चीन और भारत के तेज़ विकास पर सारी दुनिया का ध्यान केंद्रित है । दुनिया के विभिन्न देशों के विशेषज्ञ इन दोनों देशों के विकास का अनुसंधान कर रहे हैं । चीन से भारत की तुलना करना गर्म बहस का मुद्दा बन गया है । इस क्षेत्र में काम कर रहे , चीन के नानकैई विश्वविद्यालय के अंतर्राष्टीय संबंध विभाग के प्रोफेसर श्री फांग जूंग इंग का विचार बहुत पढ़ने योग्य है । प्रोफेसर फांग जूंग इंग पूर्वी चीन के थिएनचिन शहर स्थित नानकैई विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ता हैं । उन्हों ने अंतर्राष्टीय संबंधों का अनेक सालों तक अध्ययन किया है और इधर के वर्षों में चीन और भारत का तुलनात्मक अध्ययन शुरू किया है । प्रोफेसर फांग जूंग इंग का विचार है कि हालांकि इधर के सालों में चीन और भारत का आर्थिक विकास तेज़ रहा है , पर भविष्य में उन्हें आगे विकास के रास्ते पर फिर भी बाधाएं देखनी होंगी । चीन और भारत दोनों बड़े विकासशील देश हैं । दोनों ने अपने अपने विकास कार्य में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं , पर इस में उन से गलतियां भी हुई हैं । इसलिये उन की तुलना का विशेष महत्व है । इधर के वर्षों में चीन व भारत के भीतर ही नहीं , पूरे विश्व में यह विषय बहुत गर्म रहा है । प्रोफेसर फांग जूंग इंग ने अपने अनुसंधान का परिचय करते हुए कहा कि चीन और भारत दोनों बड़ी आबादी और प्राचीन सभ्यता वाले देश हैं । दोनों विश्व में अपनी सामाजिक भिन्नता से जाने जाते हैं । उन का विकास दुनिया के भविष्य पर भारी प्रभाव डालेगा । चीन और भारत की तुलना आम तौर पर राजनीति , वाणिज्य और अर्थ के संदर्भ में की जाती है । नोबल पुरस्कार विजेता , भारतीय मूल के अर्थशात्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने विकास व स्वतंत्रता शीर्षक अपनी एक किताब में चीन व भारत की तुलना के लिये एक विशेष अध्याय सुरक्षित किया । अमेरिका के कैनेकी अंतर्राष्टीय शांति कोष के एक विशेषज्ञ का मानना है कि भारत और चीन पड़ोसी देश हैं । उन के बीच प्रतिस्पर्द्धा स्वाभाविक है । ये दोनों देश विश्व में प्रभाव रखते हैं , उन की तुलना करना अपरिहार्य है और अर्थवान भी । अमेरिका की एक अनुसंधान संस्था ने हाल ही में अपनी एक अनुसंधान रिपोर्ट को यह नाम दिया - बी आर आई सी के साथ वर्ष 2050 में प्रवेश । बी आर आई सी में बी का मतलब है ब्राजील , आर का रूस , आई का इंडिया यानी भारत और सी का चाइना यानी चीन है । इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भविष्य में इन चार देशों का भारी विकास होगा , और इस रिपोर्ट के अनुसार 50 सालों के बाद चीन विश्व का प्रथम अर्थ बनेगा , और तब तक भारत , चीन व अमेरिका के बाद दुनिया के तीसरे स्थान पर जा पहुंचेगा । प्रोफेसर फांग जूंग इंग ने यह इशारा भी किया कि अर्थशास्त्रियों की चीन और भारत की आर्थिक वृद्धि के भिन्न रूपों में खासी दिलचस्पी है । कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के विकास में विदेशी पूंजी निवेश का महत्वपूर्ण स्थान है , पर भारत का आर्थिक विकास अधिक तौर पर देशी पूंजीनिवेश पर निर्भर है । कुछ भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्द्धा शक्ति को अपेक्षाकृत जोरदार मानते हैं । प्रोफेसर फांग जूंग इंग ने कहा कि आजकल चीन और भारत की तुलना मुख्य तौर पर आर्थिक विकास पर केंद्रित हो रही है , लेकिन यह अपूर्ण है । दोनों देशों की तुलना का क्षेत्र व्यापक है । तुलना के कुछ क्षेत्र है उन की कानून व्यवस्था , केंद्र व स्थानीय सरकारों के संबंध , धर्म व जातीय संबंध , राजनीतिक स्थिरता और अंतर्राष्टीय वातावरण इत्यादि । चीन और भारत दोनों बहुजातीय देश हैं । दोनों की बड़ी जनसंख्या गरीब है । दोनों देशों की कई अंदरूनी समस्याएं हैं , और दोनों देशों को बाज़ार अर्थतंत्र के अनुकूल जनवादी व्यवस्था का विकास भी जरूरी है । प्रोफेसर फांग जूंग इंग ने आगे कहा कि चीन भारत संबंध न केवल द्विपक्षीय संबंध हैं , बल्कि एशिया और विश्व पर भी प्रभाव डालते हैं । इधर भारत-अमेरिका संबंध की चर्चा बहुत गर्म रही है । स्पष्ट है कि अमेरिका और जापान के कुछ तब्के भारत के जरिये चीन पर दबाव डालना चाहते हैं । अगर चीन और भारत एक दूसरे की प्रतिद्वंद्विता करते हैं , तो पूरे एशिया का विनाश हो सकेगा । सौभाग्य ही है कि चाहे चीन या भारत , ये दो बड़े एशियाई देश दूसरे देशों का साधन नहीं बनना चाहते , और यह भी बहुत सकारात्मक है कि हाल के वर्षों में चीन और भारत के बीच इतिहास से छूटे सवालों के समाधान का प्रयास चल रहा है , और देखने की बात है कि चीन और भारत की आर्थिक छलांग इधर के दस-बीस सालों की परिघटना है । हालांकि ये दोनों देश तेज़ी से विकसित हो रहें हैं , तो भी इन के आगे बढ़ने का रास्ता बहुत लंबा है । अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के एक अध्ययनकर्ता का कहना है कि भारत और चीन के आर्थिक विकास के रास्ते पर सब से बड़ा दुश्मन और कुछ नहीं है , बल्कि राजनीतिक गड़बड़ी और यहां तक युद्ध की आशंका । प्रोफेसर फांग जूंग इंग ने इस रुख का समर्थन करते हुए कहा कि चीन और भारत दोनों को इन से बचने का भरसक प्रयास करना चाहिये , नहीं तो उन्हें आर्थिक छलांग विफल होने के खतरे का सामना करना पड़ेगा । चीन-भारत संबंधों पर चीन के नानकैई विश्वविद्यालय के अंतर्राष्टीय विभाग के अध्ययनकर्ता प्रोफेसर फांग जूंग इंग का विचार देश में लोकप्रिय बना रहा है , इस संदर्भ में उन के अतिरिक्त और बहुत से अध्ययनकर्ता काम कर रहे हैं । उन का काम चीन व भारत के सही रास्ते पर विकास होने के लिये अर्थवान है ।