पूर्वी चीन के च्यांग सू प्रांत के उ सी शहर के श्री कु युंग फा का परिवार पीढ़ियों से खेती करता आया है, लेकिन आज के उनके घर में शहर के घरों से कोई फर्क नहीं रह गया है। वे अब 150 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले एक मकान में रहते हैं। उच्च कोटि के वुडन फ्लोर वाली फर्श, सुसज्जित कमरों व बढ़िया फर्नीचर वाला यह घर पहली नजर में लोगों को आम शहरी घर की ही झलक देता है। श्री कु ने बताया हमारे घर के लोग बरसों से खेती करते आए हैं। हमने पहले धान उगाया औऱ बाद में सब्जियों की खेती करनी शुरू की तथा आज अंगूर की खेती कर रहे हैं। फिलहाल मैं इन श्यों लाजिस्टिक कम्पनी में काम करता हूं और मेरी पत्नी ग्रामीण शीशे उद्योग की फैक्ट्री में। हमारे जीवन स्तर व जीवन वातावरण में भी इधर बहुत बड़ा परिवर्तन आया है औऱ सच में जीवन की गुणवत्ता उन्नत हुई है।
श्री कु युंग फू उ शी शहर के इन श्यो य्वेन रिहायशी मोहल्ले में रहते हैं जहां अधिकतर किसान परिवार ही रह रहे हैं। उनका गांव आज एक आर्थिक विकास क्षेत्र बन चुका है। उ शी मध्यम श्रेणी का शहर है। उसके अंतर्गत दो शहर और 100 से अधिक बस्तियां आती हैं तथा उसकी आबादी 40 लाख के करीब है। उ शी शहर का प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन मूल्य पांच हजार अमरीकी डालर के आसपास रहता है जो पूरे देश के प्रति व्यक्ति औसत उत्पादन मूल्य एक हजार अमरीकी डालर से कहीं ऊंचा है। वर्तमान में उ शी शहर के 20 लाख उपनगरीय किसान पूरी तरह शहरवासी बन चुके हैं।
श्री फान चिन लुंग उ शी के मुख्य प्रभारियों में से एक हैं। उन्होंने उ शी की गांव और शहर को जोड़ने की योजना पर अपना विचार प्रकट करते हुए कहा उ शी चीन की सबसे बड़ी यांगत्सी के किनारे स्थित है। यहां थल यातायात बहुत विकसित है। इस की बहुत सी बस्तियां चीन के मीठे पानी के मशहूर तालाब थाए हू के निकट स्थित हैं। शहर का उद्योग आम तौर पर थल और जल परिवहन पर निर्भर है। आधारभूत उद्योग मुख्य तौर पर यांगत्सी के किनारे हैं, जबकि उच्च व नवीन तकनीक पर आधारित उद्योग थलमार्ग के किनारे केंद्रित हैं औऱ अधिकतर शैक्षिक व वैज्ञानिक अनुसंधान प्रतिष्ठान थाए हु के गिर्द स्थित हैं। कृषि के लिए अनुकूल प्राकृतिक स्थिति होने के चलते यहां फल बागान, कृत्रिम वन, व मत्स्य पालन जैसे उद्योग बिखरे हुए हैं।इन विभिन्न उद्योगों का अपनी विशेषता से जहां स्थान निश्चित होने से शहर का वातावरण सुन्दर बना है, वहीं नागरिकों के लिए एक आनंदमय माहौल भी तैयार हुआ है।
उ सी में पहले 100 से अधिक बस्तियां थी, अब उनका 59 में विलय कर दिया गया है। इस का यह फायदा हुआ कि प्रशासनिक क्षेत्र में मुस्तैदी के साथ सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कमी लायी जा सकी। इस तरह प्रशासनिक खर्चे में जो कमी आई उससे किसानों का बोझ भी हल्का हुआ।
शहर में प्रवेश करने वाले किसानों को सरकार ने रिहायशी मकान की खरीद में मदद देने के लिए उदार नीति बनाई और उन्हें रोजगार दिलाने की भी कोशिश की. यही नहीं उन्हें चिकित्सा व वृद्धावस्था बीमा की सुविधा भी प्रदान की। हमारे संवाददाता को जानकारी मिली कि पिछले दो सालों में उ सी ने 3 लाख, 80 हजार ग्रामीण श्रमिकों की रोजगार की समस्या हल की। इस साल से उ सी ने ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार संबंधी प्रशिक्षण देने पर भी बल दिया है औऱ हर साल वहां कोई 50 हजार श्रमिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उ सी के श्रम व सामाजिक प्रतिभूति विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि 2006 तक उनके शहर के 90 प्रतिशत से भी अधिक श्रमिक रोजगार पा चुके होंगे।
उ सी में शहर व गांव के एकीकरण के वर्तमान दौर में सरकारी योजना व निवेश सबसे महत्वपूर्ण है। इस के अलावा उसके प्रगतिशील गांव भी विकास को प्रेरित करने वाला आदर्श कारक बने हैं। हवा सी ऐसा ही एक गांव है औऱ चीन का पहला धनी गांव माना जाता है। कृषि के अलावा, इस गांव का लौह-इस्पात, मशीनरी जैसा उद्योग भी जोर-शोर से विकसित हो रहा है। पिछले दो सालों में हवा सी के नजदीकी गांव भी उसकी मदद से अमीरी के रास्ते पर चल निकले हैं। हवा सी के प्रभारी श्री उ रन पाओ ने इस की चर्चा आने पर कहा हमारा गांव पहले केवल एक वर्ग किलोमीटर जितना छोटा गांव था, पर आज उसका क्षेत्रफल 26 किलोमीटर हो गया है और आबादी 25 हजार से अधिक को छू रही है। गांव का हाल में बड़ा विस्तार हुआ है और उसके आर्थिक विकास का पैमाना भी पहले से कहीं बड़ा हुआ है। आज हमारे गांव के लोगों की औसत वार्षिक आय 8000 अमरीकी डालर है। गांव के सबसे गरीब परिवारों की संपत्ति 80 हजार य्वेन के आसपास है।
हवा सी की मदद से उसके पड़ोस के करीब 10 गांवों के आर्थिक विकास में तेजी आई है और वहां के किसान भी ऊंची इमारतों में रहने लगे है। उनके घरों के आगे खेल व विश्राम के लिए हरियाली से ढके मैदान हैं, सड़कें चौड़ी हो गई हैं और उन पर किस्म-किस्म की कारें आती-जाती दिखती हैं। आज उ सी के करीब 60 प्रतिशत का शहरीकरण हो चुका है। आप भी यहां आकर महसूस कर सकते हैं कि इस के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कोई फर्क नहीं रह गया है और शहरी व ग्रामीण लोगों का जीवन स्तर लगभग समान है। इस बीच इसके गांवों का माहौल कहीं अधिक आनंदमय होता जा रहा है। किसानों के शहरों में प्रवेश करने के साथ, शहरी लोग भी गांवों में घर बसाने में जुट गए हैं।
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