चीनी मुक्ति सेना की गुणगान करने वाले गायकों की इधर एक पूरी पांत उभरी । ल्यू बिंग उन्हीं में से एक हैं । ल्यू बिंग पेइचिंग स्थित सैन्य नृत्य-गान मंडल के गायक हैं । पहले वे चीन का राष्ट्रीय ऑपेरा -पेइचिंग ऑपेरा गाते थे पर बाद में गीत गाना सीखने लगे औऱ सभी मुश्किलों की परवाह करते हुए पूरी मेहनत से सीखते रहे और अंत में सफल भी हुए।
वर्ष 1974 में 14 वर्षीय ल्यू बिंग ने उत्तर-पूर्वी चीन के छांग छुन शहर के पेइचिंग ऑपेरा मंडल में प्रवेश किया। उन्होंने पेइचिंग ऑपेरा सीखने में इतनी मेहनत की कि 10 महीने बाद ही मंच पर आ गये। दो साल बाद ल्यू बिंग पेइचिंग ऑपेरा के कई नाटकों में प्रमुख अभिनेता की भूमिका निभा चुके थे और चीनी ऑपेरा कला प्रतियोगिता में अनेक पुरस्कार भी हासिल कर चुके थे।
वर्ष 1984 में ल्यू बिंग ऑपेरा मंच से विदा लेकर राजधानी पेइचिंग पहुंचे। पेइचिंग सैन्य नृत्य गान मंडल में दाखिल होने के बाद वे संगीत के नये रास्ते पर चलने लगे। पहले जैसी मेहनत से उन्हों ने एक बार फिर सफलता पाई। चीनी युवा गायकों की पांचवीं टी.वी गायन प्रतियोगिता में उन्होंने पेशेवर जातीय गायक दल का स्वर्ण पदक जीता। इस के बाद उन्होंने अधिकांश प्रदर्शनों में भाग लिया और अपनी मेहनत व संगीत के प्रति गहरे प्रेम से चीनी सैन्य संगीत क्षेत्र में मशहूर हुए।
इस समय आप सुन रहे हैं , "सैन्य शिविर में धूप के दिन में भी हो रही है वर्षा" नामक गीत। इस में सैन्य शिविर में सैनिकों की ट्रेनिंग की झलक मिलती है ।
गीत कहता है
सैन्य शिविर में धूप के दिन हो रही है वर्षा
यह पानी है सैनिकों का पसीना
ट्रेनिंग के समय हो गई गीली सैनिकों की वर्दी गीली
मानो वर्षा में भीगे हों
हवा में वर्षा में करते हैं सैनिक ट्रेनिंग
शरीर मिट्टी से लथपथ पसीना-पसीना
सैन्य शिविर में गिरती है वर्षा
सैनिकों के पसीने के साथ
दोस्तो, लगभग बीस वर्षों के अपने गायन जीवन में ल्यू बिंग ने जातीय संगीत के प्रति गहरी भावना प्रदर्शित की । उन का विचार है कि एक गायक के लिए सब से महत्व की बात यह है वह पूरी प्रेम भावना के साथ गाये। ल्यू बिंग अपनी आवाज़ में प्रेम घोलकर गाते रहे हैं। वे गीतों के जरिए जीवन के प्रति अपना विचार भी व्यक्त करते हैं। इस लिए उन के गीत बहुत जोशीले हैं और दर्शकों को प्रभावित करते हैं। अब सुनिए उन का एक और गीत। नाम है "जन्मस्थान की आवाज़, जन्मस्थान का प्रेम"। गीत में एक सैनिक की जन्मस्थान के प्रति सच्ची प्रेम भावना व्यक्त हुई है।
गीत के बोल इस प्रकार हैं
मैं करता हूं रेगीस्तान को प्यार
जहां रहता है ऊंट
मैं तुंग थिंग झील से प्यार करता हूँ
जहां हरे पानी पर तैरती हैं सफेद नाव
मैं प्यार करता हूँ उत्तरी चीन के जंगल से
और दक्षिणी चीन के सुन्दर दृश्यों से
और, चीन की पूरी भूमि से
जहां मेरा पालन हुआ
पीली नदी का पानी बुझाता है मेरी प्यास
जन्मस्थल की बदलेगी नहीं आवाज़
जन्मस्थान की आवाज में है जन्मस्थान का प्रेम
जो हर समय गूंजता है मेरे कानों में
अभी आप ने सुना चीनी सैन्य गायक ल्यू बिंग का गाया "जन्मस्थान की आवाज़, जन्मस्थान का प्रेम" नामक गीत।
सैन्य गायक ल्यू बिंग चीनी सैनिकों के लिए गाते हैं । इधर वे चीनी सैनिकों के जीवन को प्रतिबिंबित करते गीत लिखने की कोशिश कर रहे हैं । आज का कार्यक्रम समाप्त होने से पूर्व आप सुनेंगे , ल्यू बिंग द्वारा स्वरचित गीत "सैनिक की चिट्ठी "।
गीत कहता है
तुम ने पूछा है, सीमा-चौकी पर रहना
मुश्किल है या नहीं,
तुम ने पूछा है कि जन्मभूमि से दूर
होता है अकेलापन या नहीं,
इस चिट्ठी में जवाब है इसका
मेरे परिजनो
परिवार की चिट्ठी में है प्रेम कितना
हम जवान सैनिकों को मालूम होता है
दिल में गहरे
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