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(GMT+08:00) 2004-08-11 11:25:54    
वेवूर जाति का गीत संगीत

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चीन की अल्प संख्य जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की वेवूर जाति के रिवाजों पर कुछ और विषय आज सुनाया जाएगा । चीन के शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में वेवूर जाति समेत कोई 47 जातियां रहती हैं ,उन में अनोखी संस्कृति की उत्पत्ति हुई है । वहां की वेवूर जाति के लोग नाचगान के बड़े प्रेमी है और इल जाति में नाचगान की विविधता और मनोरंजनता पायी जाती है ।

(---धुन---)

अभी आप जो गीत सुन रहे हैं , वह शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में रहने वाले एक वेवूर दुकानदार की आवाज में है ,इस की धुन भी उसी ने बजायी है । गीत के बोल इस प्रकार हैः पहली नजर में मुझे तुम से प्यार हो गया , आप का प्यार पाने में मुझे लाखों दुख झेलना पड़ा । गीत काफी हृदयद्रावक है ,उसे गाने और धुन बजाने वाला वेवूर दुकानदार का नाम अबुलिमिती कुरबान है , जो वाद्ययंत्र बेचने का काम करता है । कुछ साल पहले संगीत और वाद्य के प्रेमी कुरबान ने स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमूची में वाद्य यंत्र व्यापार दुकान खोली , उस का यह व्यापार काफी अच्छी तरह चल रहा है । उस की दुकान में वेवूर जाति का रेबाफ नाम का तारों वाला साज , कजाख जाति का तुंबुला नामक साज तथा मंगोल जाति का अश्व सिर आकार वाला तंतु वाद्य यंत्र जैसे नाना किस्मों के वाद्य यंत्र बिकते हैं । श्री कुरबान का कहना है कि शिन्चांग में रहने वाली विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों की यही समान विशेषता है कि वे नाचगान में माहिर हैं और हरेक जाति का अपना अपना विशेष वाद्य यंत्र और अपनी शैली के नृत्यगान विधान है । कुरबान का कहना है कि वेवूर जाति के अनेक किस्मों के वाद्य यंत्र उपलब्ध होते हैं ।

वेवूर जाति के वाद्य यंत्रों की किस्में दसेक होती हैं और उन के रूपाकार विविध है और जिन में तंतु वाद्य , साज , ढोल बाजा व सुषिर वाद्य जैसी चार श्रेणी होती है । वेवूर के रेबाफ ,शहनाई , तबला और दो तार साज मशहूर हैं । वेवूर के जश्नों और समारोहों में तारों वाले साजों तथा तबला जैसे बाजाओं का स्वर लहरदार और बहुत मधूर है ।

(---धुन---)

शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में वेवूव जाति की जन संख्या नब्बे लाख है , जो प्रदेश की कुल जन संख्या का आधा भाग बनती है ।वेवूव लड़की बड़ी बड़ी आंखें व तीखे नाक होने पर बहुत खूबसूरत हैं , वे सभी नाचगान में पारंगी हैं । शिन्चांग का दौरा कर चुके लोगों का कहना है कि वेवूर लड़कियों की नटखट नजरें व मुस्कराहट बड़ी आकर्षक और प्यारी है । ऊरूमूची शहर के एतोछ्यो बाजार में प्रदेश की विभिन्न जातियों की चीजें मिलती हैं , विविध स्थानीय स्वाद के पकवान बहुत स्वादिष्ट हैं ।बाजार में वेवूर लकड़ियों का नाचगान कार्यक्रम भी देखने को मिल सकता है ।उत्तर चीन के हपै प्रांत से आए श्री वांग वन यो ने कहाः

शिन्चांग का नाचगान खासा विशिष्ट है , खास कर वहां का संगीत बहुत मधूर है , वेवूर का संगीत हमें ऐसा लुभाता है , ऐसा लुभाता है कि आप अपने को भी भूल जाते हों । हां , शिन्चांग की खूबसूरत लड़कियों का नृत्य भी इतना सुन्दर है , देखते ही बनता है ।

वेवूर जाति की ही तरह शिन्चांग की कजाख जाति का गीत संगीत काव्य जैसा होता है । घूमंतू जीवन बिताने वाली कजाख जाति के लोगों के पास हमेशा तुंबला नामक साज तथा कविता साथ साथ रहता है । लकड़ी से बनाया गया तुंबला तारों वाला साज है , वह हर कजाख घर में उपलब्ध है । वे कविता लिखते है , कविता पढ़ कर सुनाते हैं और गीत व कविता से अपने जीवन का गुणगान करते हैं ।

हेशा एक कजाख चरवाही है , बकरे चराते समय वह अकसर हरे हरे घास पर बैठे तुंबला बजाता है और काव्य सरीखा गीत गाता है।

(--- गीत---)

हेशा के गीत का भावार्थ इस प्रकार हैः नीले स्वच्छ आसमान में बाज उड़ान भर रहा है , कजाख लोग मंगल व खुशगवार गीत गा रहे हैं , आज का जैसा सुखद जीवन अगर नहीं है , तो आज का उत्साहपूर्ण वातावरण कैसा आया । हम सुखमय जीवन का गुणगान करते हैं , हम चिरस्थाई खुशहाली की प्रार्थना करते हैं ।

हेशा के अनुसार उन के चरगाह में तीस कजाख परिवार हैं , उन के 23 बेटे उच्चशिक्षा से स्नातक हुऐ है और खुद हेशा का दूसरा लड़का अब कजाखस्तान में पढ़ता है , वे अपने सुखद जीवन पर बहुत संतुष्ट हैं ।

शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की वी ली कांऊटी में बहती तारीमू नदी की घाटी में रोपू कबील के लोग रहते हैं , उन के जीवन में अब आदिम प्रथा चल रही है । तारीमू नदी के पास एक सुन्दर झील है , झील के किनारों पर विलो के पेड़ और तरह तरह के हरे पौधे उगे हैं , कजाख के वृद्ध रोज शातीक झील के किनारे पर रहता है , उस का अपना मकान और नाव है । वह अकसर झील के पानी में नाव खेता आनंदपूर्ण जीवन बिताता है ।

(---गीत---)

श्री शातीक इस साल 106 साल का हो गया है ।वह कजाख गाना गाने के शौकिन है , उस के गीत के बोल इस प्रकार हैः मैं तारीमू नदी में नाव खे रहा हूं , मछली उछल कर मेरा स्वागत करती है , ओ , सुन्दर युवती , तूम मेरे घर में आओ , मैं वहां तुम्हारा इंतजार करता हूं , तुम यदि नहीं आयी , तो मेरी नींद खराब हो जाएगी ।

इस कबीली क्षेत्र में वृद्ध शातीक जैसे बहुत से सौ साल के वयोवृद्ध रहते हैं , ताज्जुब की बात यह है कि स्थानीय लोग ताजा सब्जी और नमक से छूट जाते हैं , लेकिन बहुत कम लोग ऐसे है, जो बीमारी से ज्यादा पीड़ित रहते हैं । यहां सादा सरल जीवन बित रहा है और आग से पकायी गई मछली खाया जाता है , इसलिए लोगों की आयु लम्बी बन जाती है ।

रंगबिरंगे जातीय पोशाक और आभूषण शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के खूबसूरत जीवन का एक अहम अंग है । वहां की टोपी भी देश भर में काफी मशहूर है , टोपी का आकार गोलाकार भी है और चौकोण भी है । टोपी पर कसीदारी के फुल है , मोती जड़ित है या पक्षी के पंखे लगे हुए हैं । अलग अलग रंगढंग तथा शैली के आभूषणों से भिन्न भिन्न जातियों के सौंदर्य बौध अभिव्यक्त होते हैं , उन के आभूषम खासा सुन्दर और आकर्षक है ।

शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में उल्लासपूर्ण जातीय नाचगान एवं रंगबिरंगे रिति रिवाज बाहर से आने वाले हर लोग को बरबस आकर्षित करते हैं और वहां के लोग बड़े उत्साह से विदेशी मेहमानों का स्वागत भी करते हैं । यदि आप को मौका मिला , तो आइए , इस मनोरह स्थान का दौरा करने आए , आप को असाधारण आनंद मिल सकता है ।