इंधन उतना आवश्यक न सही , जितना हवा , पानी या भोजन है , पर आज के समाज में इस का महत्व कुछ कम नहीं है । क्योंकि मानव की ये प्रकृति है कि हम अपने जीवन को और जीवन की स्थितियों को बुरे से अच्छा , अच्छे से और अच्छा बनाते रहना चाहते हैं । उस की तरह भोजन को भी पका कर खाना और लजीज़ से लज्जततार बनाना चाहते हैं हम । और इसी लिये इंधन का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ।
इंधन हमारे भोजन को अधिक स्वादिष्ठ तो बनाता ही है , साथ ही इस का बड़ा वैज्ञानिक महत्व भी है । इस लिये भी इंधन को बचा बचा कर खर्च करना चाहिये । जरूरत से ज्यादा इस का प्रयोग नहीं करना चाहिये । क्योंकि इंधन प्राकृतिक है , इसलिये वह सीमित है । और इसी कारण से भी इस के दुरूपयोग से प्रयावरण संतुलन के बिगड़ने का भी खतरा होता है ।
आज देश में प्राकृतिक गैस , गोबर गैस आदि का प्रयोग होता है , और गांवों में अभी भी कोयला , सूखी लकड़ी , गोबर आदि का इस्तेमाल इंधन के रूप में किया जाता है । जहां कोयला , लकड़ी आदि का दुरूपयोग प्रदूषण को बढ़ाता है , वहीं गैस को सही तरह से इस्तेमाल न करने से हवा में जहर फैलाने का भी खतरा होता है ।
इसीलिये हमें इंधन का सही सही प्रयोग करना चाहिये । आज के युग में प्राकृतिक गैस का और अधिक महत्व बढ़ा है , क्योंकि आज इस का प्रयोग बसों , टैक्सियों आदि में भी किया जा रहा है । हालांकि प्राकृतिक गैस की भारी मात्रा में कमी होने के कारण अभी इस का प्रयोग केवल विश्व के कुछ बड़े शहरों के बसों व टैक्सियों में ही किया जा रहा है , पर इस के प्रयोग से प्रदूषण का स्तर अवश्य कम हुआ है ।
हम तो यहि उम्मीद करते हैं कि प्राकृतिक गैस का प्रयोग विश्व के सभी यातायात साधनों में हो सके । पर ये काम बहुत मुश्चिकल है , क्योंकि इसका भंडार बहुत ही सीमित है । कोयले का प्रयोग भी आज के जमाने में कारखानों आदि में भारी मात्रा में होने के कारण इस की समाप्ति का खतरा भी बहुत बढ़ा है । इन प्राकृतिक इंधनों को धरती के भीतर तैयार होने में सदियों लग जाते हैं और हम इनका खपत इतनी तेज़ी से करते जा रहे हैं । इसीलिये हमें हर हाल में इंधन की बचत करनी ही होगी ।
इंधन का महत्व केवल व्यक्तिगत या कारखानों में प्रयोग तक ही सीमित नहीं है । इस का बहुत बड़ा राष्ट्रीय महत्व भी होता है । हर देश की सरकारें भी इस को पूरी महत्व देती है और इस की एक या अधिक मंत्रालय भी होती हैं । इसलिये इंधन एक देश देश के अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है । इंधन का अंतर्राष्टीय महत्व भी है । देशों के बीच इस का आदान प्रदान होता ही है और जिस देश में प्राकृतिक गैस का भंडार अधिक होता है , उस देश से पाइप पिछा कर दूसरे देशों तक गैस पहुंचाने से उन दोनों देशों के बीच आर्थिक व सामाजिक संबंध भी मजबूत होते हैं ।
इस के अलावा इंधन एक उद्योग के रूप में भी जाना जाता है । इस उद्योग से लाखों लोग रोजगार पा रहे हैं । इस उद्योग में विज्ञान व तकनीक का पूरी तरह इस्तेमाल कर इसे और उन्नत एवं सक्षम बनाजा जा रहा है । पर हमें सदा यह बात याद रखनी चाहिये कि इंधन का भंडार बहुत ही सीमित है और हमें हर प्रकार से इस की बचत करनी चाहिये ।
गोबर गैस का दूसरा नाम है बायोगैस । इधर चीन के विशाल ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस के उत्पादन की तकनीक का प्रसार किया गया है । मिसाल है कि उत्तरी चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से किसानों के मकानों के सामने सीमेंट से ढकन से ढक गढ़े दिखते हैं , जिस के अंदर पेड़ों की डालें और पशुओं का मल दबा कर रखा जाता है । दसेक दिनों के बाद इस से बायोगैस निकलनी शुरू होती है । किसान पाइप से इस गैस को अपने मकान में लाकर इस का इंधन के रूप में प्रयोग करते हैं ।
बायोगैस के प्रयोग के कई फायदे हैं । इस में सर्वप्रथम है आर्थिक लाभ । ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों की डालें और पशुओं का मल जगह जगह नजर आता है । इन के बिखरे रहने से वातावरण प्रदूषित होता है । पहले किसान भोजन पकाने के लिये लकड़ी या कोयला खरीदना पड़ता था , और इन इंधनों के जलने से वायु प्रदूषित पैदा होती थी । आज किसान डालियों व विष्ठाओं से बायोगैस का उत्पादन करने लगे हैं , और बायोगैस के प्रयोग के बाद , उसे तैयार करने वाले गढ़े में बची चीज़ों का खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है । इस तरह किसान न सिर्फ अपना खर्च बचा सकते हैं , बल्कि अपने आसपास के वातावरण को भी साफ रखते हैं ।
उदाहरण है कि उत्तरी चीन के हूपेइ प्रांत के वांग नामक एक किसान ने तीस साल पहले अपने घर के सामने बायोगैस का एक गढ़ा बनाया । इन तीन सालों में उन के परिवार ने बायोगैस से ही भोजन पकाया , और बायोगैस के लिये प्रस्तुत चीज़ों के अवशेष का खाद के रूप में प्रयोग किया । इन के अतिरिक्त वांग ने और एक आविष्कार यह किया कि उन्हों ने इन से बाकी बची चीज़ों के जरिये माशरूम की खेती करनी शुरू की । इस से वांग ने एक वर्ष में कम से कम पांच हजार यवान का खर्च बचाया और खासी रक्म भी कमायी ।
यहां यह भी चर्चित है कि चीन के चच्यांग प्रांत में अब तक दो सौ से अधिक बड़े बायोगैस उत्पादन केंद्र निर्मित हो चुके हैं , जो हर वर्ष 50 लाख से अधिक घना मीटर बायोगैस का उत्पादन करते हैं । इस से रासायनिक खाद के प्रयोग को बचाया गया है और प्राकृतिक वातावरण में भी सुधार लाया गया है ।
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