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(GMT+08:00) 2004-07-29 16:55:43    
अबाबील की रक्षा ।

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छोटा बालक शो यांग पक्षी प्रेमी था , एक दिन वह घर पर हॉम वर्क कर रहा था , अचानक मकान के बाहर चूं --चूं --चूं की चहक सुनाई दी । वह बाहर दौड़ कर आया , तो देखा कि मकान के छज्जे के नीचे अबाबील की घोंसला है , कई नन्ही अबाबील सिर बाहर निकाल कर चहचहा कर रही है ।

दोपहर के समय जब दादी नींद में सो रही थी , तो शो यांग छोटी बिल्ली की भांति दबे पांव से खिड़की पर चढ़ा , उस ने हाथ बढ़ा कर अबाबील के घोंसले में से चार अबाबील बच्चों को पकड़ कर निकाला । वाह , क्या प्यारी प्यारी पक्षी थी , महीन मुलायम पंख , नुकीली चोंच , पीले रंग का जबड़ा । वे चूं --चूं--भी कर रही थी , मानो माता की राह देखने में तड़प रही हो ।

रात का बड़ा उमस था , शो यांग को किसी भी तरह से नींद नहीं आ सकी । दो मच्छर आसपास भिनभिनाहट करते हुए मंडरा रहे थे । एक मच्छर ऐसा भिनभिनाहट कर रहा था , मानो कहता हो कि धन्य हो , शो यांग , तुम को बहुत बहुत धन्यावाद हो , तुम ने हमारी जान बचायी है , दूसरा मच्छर मानो कह रहा हो कि नन्ही अबाबील नष्ट हो गए है , उन के मां पाप को बहुत दुख हुई और अब उन्हों ने खाना पीना छोड़ दिया , हमारी खुशी का अब कोई ठिकाना नहीं रहा ।

हाय , सहसा एक मच्छर ने शो यांग के माथे पर डंस मारा , जो सुई चुभने स् भी ज्यादा दर्द महसूस हुई । शो यांग ने मच्छर को मारने अभी हाथ उठाया था कि मच्छर भिनभिनाहट के साथ उड़ भागा । डंस से शो यांग के माथे पर एक बड़ी गिल्टी उभरी ।

इसी मौके पर शो यांग को लाभदायी पक्षियों की रक्षा के बारे में शिक्षक की बात की याद आई । दूसरो ही दिन , पौ फटते ही उस ने हाथों में नन्ही अबाबीलों को उठाए उन्हें घोंसले में रख डाला , अबाबील माता अपने बच्चों से मिलने पर बड़ी खुशी के साथ पंख फड़फड़ाने और फूदकने लगी , वह लगातार चूं --चूं करती रही , मानो शो यांग से कहा कि तुम्हारी आभारी हूं , भविष्य में मैं जरूर ज्यादा से ज्यादा मच्छरों को मार दूंगी और तुम्हारी रक्षा के लिए हानिकर कीड़ों को खत्म कर दूंगी ।