चीन का शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश का रकबा देश के कुल क्षेत्रफल का छठा भाग है , जहां प्राकृतिक संसाधन बहुत प्रचूर है । प्रदेश की विशेष भौगोलिक स्थिति व जलवायु से प्रभावित हो कर वहां रहने वाली वेवूर जाति की चिकित्सा पद्धति और औषधि की अपनी अलग पहचान वाली एक विशेष व्यवस्था संपन्न हुई है , जो पिछले एक हजार अधिक सालों से चलती आई है ।
वेवूर जाति के युवा चुलाईती की फिलहाल खुशी का ठिकाना नहीं रहा , क्योंकि उस के गले में पीड़ा होने की बीमारी , जिस से वह वर्षों से पीड़ित रहा था , अब इलाज से ठीक हो चुकी है । अपनी इस पुरानी बीमारी का इलाज करने के लिए उस ने हाल में प्रदेश की राजधानी उरूमूची के वेवूर अस्पताल का दरवाजा खटखटाया और वेवूर जीति की औषधि के सेवन से वह चंगा हो गया और गले में फिर कभी दर्द नहीं आई । इस खुशी की बात ले कर उस ने हमें बतायाः
इस से पहले उस के गले में दर्द हुआ करती थी , बहुत सी दवाइयां ले चुका था , पर ठीक नहीं हो पायी । ऊरूमची के वेवूर अस्पताल में इलाज के लिए आया और उस की वेवूर औषधि खाई , तो गले में दर्द काफी हल्की हो गई , फिर कुछ औषधि ले ली , अब उस की यह बीमारी पूरी तरह दूर हो गई , इस के साथ ही साथ उस के दांतों में दर्द भी बहुत कम उत्पन्न होने लगी ।
श्री चुलाईती ने जिस वेवूर औषधि ले ली है , उस का दो हजार पांच सौ साल लम्बा पुराना इतिहास रहा है । वेवूर चिकित्सा व औषधि चीनी राष्ट्र की परम्परागत चिकित्सा व औषधि व्यवस्था का एक अहम अंग है । वेवूर चिकित्सा व औषधि प्रायः ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में अस्तित्व में आई थी । वेवूर चिकित्सा व औषधि के इतिहास पर अनुसंधान करने वाले विशेषज्ञ श्री आरफू ने कहा कि प्राचीन इतिहास में मशहूर हुए रेशम मार्ग के विकास का वेवूर जाति की चिकित्सा व औषधि पद्धति के विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ा था । वे कहते हैः
शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश मध्य एशिया के अन्तर्स्थलीय स्थान में स्थित है , प्राचीन काल में एशिया को यूरोप के साथ जोड़ने वाला रेशम मार्ग इसी प्रदेश से गुजरता था । आज से दो हजार साल पहले चीन के हान राज्य काल तथा एक हजार चार सौ साल पहले चीन के थांग राज्य काल में रेशम मार्ग से व्यापार फलता फूलता रहने के कारण यहां वेवूर जाति व हान जाति की चिकित्सा व औषधि शास्त्रों के साथ प्राचीन यूनानी चिकित्सा ,अरबी चिकित्सा तथा भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का साथ साथ विकास हो रहा । उन के बीच आदान प्रदान के मिश्रित होने से वेवूर जाति की चिकित्सा व औषधि के जोरदार विकास में मदद मिली , अंत में उस की अपनी विशेषता वाली पद्धति संपन्न हुई ।
श्री आरफू का कहना है कि वेवूर जाति की औषधि से चिकित्सा में लगातार सुधार व प्रगति होती चली गई , इस से अपनी विशेष उपचार सिद्धांत , विशेष नुस्खा तथा विशेष उपचार के तरीके तैयार बन गए हैं , जो व्यापक जनता , खास कर वेवूर जाति के लोगों को बीमारी से छुटकारा दिलाने में बहुत कारगर सिद्ध हो गए हैं ।
वेवूर जाति की औषधि की क्या विशेषता है , इस की चर्चा में सिन्चांग वेवूर अस्पताल के मेडिसीन विभाग के विशेषज्ञ 70 वर्षीय बाकयीसुर .अजी ने परिचय दिया , श्री अजी वेवूर चिकित्सक परिवार में पैदा हुए हैं और पिछले चालीस सालों से वेवूर चिकित्सा और औषधि के अनुसंधान और रोग इलाज का काम करते रहे है , जो अब एक अनुभवी डाक्टर बन गए हैं । उन्हों ने बताया कि चीन की परम्परागत चिकित्सा पद्धति की ही तरह वेवूर चिकित्सा पद्धति के अन्तर्गत रोगी के रंग देखने , गंध सुनने , हालत पूछने तथा नाड़ी नापने के तरीके अपनाये जाते हैं । वेवूर चिकित्सा में औषधि की सामग्री चुनने में अपनी विशेषता होती है । वे कहते हैः
वेवूर औषधि के लिए तीन किस्मों की सामग्री ली जाती है , एक है जड़ी बूटी , दूसरी है खनिज्य सामग्री तथा तूसरी है जीव जंतुओं की सामग्री । अलग अलग किस्म की चीजों से अलग अलग बीमारी का इलाज किया जा सकता है । उदाहरण के लिए वनस्पति हिसप को लीजिए , इस से बनी औषधि से आमाशय रोग को दूर करने में काफी असरदार है । सफेद रंग वाले सांप के सूखे शरीर को अन्य आठ किस्मों की जड़ी बूटियों के साथ मिला कर जो दवा बनायी गई है , उस से मध्य स्तर तक विकसित खाना नली कैंसर तथा आमाशय कैंसर की गंभीरता कम करने या उसे दूर करने का काम आता है ।
श्री अजी का कहना है कि औषधि दवा से बीमारियों की चिकित्सा एक आम पद्धति है , लेकिन वेवूर औषधि में बाश्य कुप्रभाव कम है और क्षमता उल्लेखनीय है , वे ज्यादातर प्राकृतिक चीजों से बनती है । इस के अलावा वेवूर चिकित्सा पद्धति में खाद्य पदार्थों के इस्तेमान , चिकित्सक देखभाल तथा हस्त उपचार से भी बीमारियों का इलाज किया जाता है । खाद्यपदार्थों से चिकित्सा के तहत विभिन्न किस्मों के ऐसे खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं , जो बीमारियों के इलाज का काम आता है । जैसा कि गर्मियों के दिन वेवूर लोग बर्फ के टुकड़े , अंडे तथा शगर से बनाया जाने वाला शीतल पानजल पसंद करते हैं , इस से गर्मी मिटाने तथा बुखार दूर करने का काम आता है । चिकित्सक देखभाल में सुर्य किरणों से सेंकने तथा गर्म चश्मे के पानी में नहाने से बीमारियों की रोकथाम व उपचार किया जाता है । हस्त उपचार में मुख्यतः रक्त निकाने तथा विकृत हड्डियों को ठीक स्थान पर बिठाने के तरीके शामिल हैं ।
वर्तमान में सिन्चांग के विभिन्न स्थानों में चालीस से अधिक वेवूर अस्पताल कायम हो चुके हैं , वेवूर औषधि के अनुसंधान में लगे चिकित्सकों की संख्या दो हजार सात सौ है तथा वेवूर औषधि बनाने वाले दवा कारखाना पांच हो गए ।
ऊरूमूची शहर में स्थित सिन्चांग वेवूर अस्पताल एक बहु सेवा अस्पताल है , अस्पताल के चिकित्सक श्री अहती .अबुलीज ने अस्पताल की विशेषता की चर्चा करते हुए कहाः
वेवूर अस्पताल वर्षों के निरंतर विकास के परिणामस्वरूप दाग रोग जैसे त्वच रोगों , हृद्य की रक्त नली की बीमारी तथा हड्डी की बीमारी के इलाज में उच्च स्तर हासिल हो चुका है ।
श्री अबुलीज ने कहा कि वेवूर औषधि से दाग रोग का इलाज करने में अस्पताल 96 प्रतिशत की सफलता दर पा सकता है । जब कि विदेशों में अन्य चिकित्सा तरीके से दाग के इलाज की सफलता दर केवल 70 प्रतिशत है । वेवूर औषधि से दाग के इलाज की सफलता से अधिकाधिक संख्या में रोगी आकर्षित हो गए हैं ।
पीढियों के निरंतर व अथक परिश्रम के बाद अब वेवूर चिकित्सा व औषधि चीनी राष्ट्र के औषधि खजाने का एक अमूल्य भाग बन गया है , सदियों के तथ्यों से जाहिर है कि वेवूर चिकित्सा और औषधि वैज्ञानिक औह व्यवहारिक सिद्ध हुई है । वह रोगियों को बीमारी से छुटकारा दिलाने तथा चिकित्सीय अनुसंधान में अधिकाधिक भूमिका अदा कर सकती है ।
|