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(GMT+08:00) 2004-07-26 10:47:27    
चीन विश्व विरासत के संरक्षण को महत्व देता है

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संयुक्त राष्ट्र की शिक्षा,संस्कृति और विज्ञान से जुड़ी संस्था यूनेस्को का 28वां विश्व विरासत सम्मेलन जून की 28 तारीख से जुलाई की सात तारीख तक पूर्वी चीन के प्राचीन शहर सूचाओ में सफलतापूर्वक आयोजित हुआ। चीन में प्रथम बार विश्व विरासत संबंधी इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। आम विचार है कि इस सम्मेलन का चीन में आयोजन विश्व का चीन के विरासत संरक्षण कार्य का उच्च मूल्यांकन ही है। 

वर्ष 1972 में यूनेस्को ने विश्व विरासत संधि पारित की। चीन वर्ष 1985 में इस संधि में शामिल हुआ। आज चीन की 29 सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासतें विश्व विरासत सूची में शामिल हैं। यह संख्या विश्व में तीसरे स्थान पर है। ची न की इन विश्व विरासतों में थाई शान , ह्वांग शान , अमई शान पर्वतों के अलावा ल शान की महाबुद्ध मूर्ति तथा वू यी शान सांस्कृतिक विरासतों के साथ प्राकृतिक विरासतों की सूची में भी शामिल किये गये हैं। इन के अलावा, चीन के और 100 से स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल कराने की कोशिश चल रही है। यह संख्या भी विश्व में सब से ऊपर है। यूनेस्को की चीन की राष्ट्रीय समिति के निदेशक चांग शिंग शन का विचार है कि इतने थोड़े समय में चीन के ऐसी उपलब्धि हासिल करने का कारण चीन में पर्याप्त सांस्कृतिक व प्राकृतिक संसाधन होने के अलावा, सरकार का उन पर महत्व देना और उनकी रक्षा के लिए कारगर कदम उठाना भी रहा है। श्री चांग शिंग शन ने कहा कि

मेरा विचार है कि चीन का सब से उल्लेखनीय कदम यह रहा कि उसने सर्व प्रथम अपनी विश्व विरासतों जिन में प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासतें शामिल हैं , के संरक्षण की नीति बनायी। सांस्कृतिक विरासतों को हम ने संरक्षण में प्राथमिकता देने का सिद्धांत बनाया और उन के प्रबंध को मजबूत करने के साथ उचित इस्तेमाल पर भी जोर दिया। प्राकृतिक विरासतों के कड़े संरक्षण व एकीकृत प्रबंध के सिद्धांत के आधार पर हमने उन के निरंतर प्रयोग की नीति बनायी। इस के साथ ही हम ने कानूनी निर्माण को गति दी और देश की विभिन्न स्थानीय सरकारों ने भी संबंधित कानून अपनाये।

श्री चांग शिंग शन के अनुसार, इधर के दशकों में चीन ने अपनी विश्व विरासतों के संरक्षण में कई ग़लतियां कीं। विश्व की कुछ चीनी विरासतें सीमा से अधिक दोहन की शिकार हुईं। चीन सरकार ने इस समस्या के समाधान को विशेष महत्व दिया और विधि निर्माण को गति दी और पूंजी निवेश का विस्तार किया। उन्होंने कहा कि चीन की अनेक विश्व विरासतों में से अनेक ईंट व लकड़ी से निर्मित हैं- जैसे ग्रीष्म प्रासाद , थ्येन थान , फिंग याओ का प्राचीन नगर , सूचाओ के प्राचीन उद्यान आदि । ऐसी विरासतों का प्राकृतिक कारणों से नष्ट होना सामान्य बात है। उदाहरण के लिए पेइचिंग का प्राचीन शाही प्रासाद 6 सौ साल पुराना है। इस महल में प्रयुक्त अधिकांश काष्ठ सामग्री बहुत प्राचीन हो चली है और इधर के वर्षों में वहां आने वाले पर्यटकों की संख्या दुगनी हुई है। इसीलिए प्राचीन शाही प्रासाद के बेहतर संरक्षण के लिए चीन सरकार ने वर्ष 2003 से उस का जीर्णोद्धार करना शुरू किया । यह कोई 20 सालों तक जारी रहेगा। पेइचिंग के प्राचीन प्रासाद संग्रहालय के एक उच्चाधिकारी यन होंग बिन ने हमारे संवाददाता से कहा कि

हमारी राष्ट्रीय शक्ति की वृद्धि होने के चलते सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण का कार्य मजबूत हो रहा है। सरकार प्राचीन धरोहरों के जीर्णोद्धार के लिए हर वर्ष दस करोड़ रन मिन बी प्रदान कर रही है। प्राचीन प्रासाद संग्रहालय अब अपने जीर्णोद्धार की निकट, मध्य व दूरगामी परियोजना बना चुका है। जब इस योजना पर कार्यान्वयन होगा, तो प्राचीन शाही प्रासाद में भारी परिवर्तन आयेगा।

पेइचिंग के प्राचीन शाही प्रासाद जैसी चीन की अन्य विश्व विरासतों की रक्षा के काम को भी इधर मजबूती दी जा रही है। कुछ समय पूर्व पेइचिंग म्युनिसिपल सरकार ने अपनी छै विश्व छै विरासतों के पूर्ण जीर्णोंद्धार व संरक्षण का प्रस्ताव पारित किया। देश के अन्य क्षेत्रों में भी इधर के वर्षों में विश्व विरासतों के संरक्षण का कार्य मजबूत हुआ है।

संरक्षण पर ज्यादा पूंजी लगाने और संबंधित कानून निर्माण को गति देने के साथ नयी तकनीक का भी विश्व विरासतों के संरक्षण व जीर्णोद्धार के लिए प्रयोग किया जा रहा है। उदाहरण के लिए विश्व विख्यात प्राचीन प्रासाद की हर काष्ठ सामग्री और सांस्कृतिक अवशेष की संबंधित सूचनाओं को नवीनतम फोटो तकनीक से रिकॉर्ड करने के बाद एक पूर्ण सूचना व्यवस्था में शामिल किया गया है। सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण विशेषज्ञ हू छ्वी ने कहा कि

इस सूचना व्यवस्था में हम अनुसंधान के समय ली गई तस्वीरों समेत अधिकांश दस्तावेज़ों को शामिल कर सकेंगे। हम ने अनुसंधान के क्रम में सूचना तकनीक से कुछ सांस्कृतिक अवेशेषों की नकल भी तैयार की है और अब एक इलेक्ट्रोनिक गैलरी की स्थापना कर रहे हैं । इस सब के जरिए हम चित्रों की प्राकृतिक छवि ही नहीं देख सकेंगे इन के कागज़ तक के बारे में विस्तृत जानकारी पा सकेंगे।