चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी 16वीं राष्टीय कांग्रेस में चीन को 21वीं शताब्दी के पहले 20 सालों में सर्वांगीण खुशहाल समाज में बदलने का लक्ष्य पेश किया । पर खुशहाल देश के निर्माण का आधार, शिक्षा ही है । हमारे संवाददाताओं ने इस सवाल को लेकर कुछ सूत्रों से बातचीत की । चीन के शिक्षा कानून के तहत स्कूलपूर्व शिक्षा , प्राइमरी व मिडिल स्कूल , उच्च स्तरीय शिक्षा , व्यावसायिक शिक्षा , और प्रौढ़ शिक्षा सब राष्टीय शिक्षा व्यवस्था में शामिल है । वर्ष 1990 से अब तक चीन के शिक्षा कार्य के विकास में लगातार तेजी आयी । वर्ष 2000 तक चीन में व्यापक तौर पर 9 सालों की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू हो चुकी थी । युवाओं व प्रौढ़ों को साक्षर बनाया जा चुका था । वर्ष 2001 तक चीन की 91 प्रतिशत आबादी या तो अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था के दायरे में आ चुकी थी , या साक्षर बन चुकी थी । वर्ष 1990 में चीनी नागरिकों की औसत प्रशिक्षण अवधि 6 साल रही , जबकि अब यह 8 वर्ष है । यह जाहिर करता है कि चीन की राष्टीय शिक्षा व्यवस्था में निरंतर सुधार हो रहा है । फिर भी विकसित देशों की तुलना में चीन का शिक्षा स्तर ऊंचा नहीं है । मिसाल के लिये विकसित देशों के नागरिकों की औसत प्रशिक्षित अवधि 12 साल है , जो चीन से 4 साल अधिक है । चीनी शिक्षा मंत्रालय की राष्टीय शिक्षा अनुसंधानशाला के प्रधान श्री चाओ ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा कि बुनियादी शिक्षा में सुधार , किसी देश की आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के विकास की कुंजी है । उन का विचार है कि बुनियादी शिक्षा में सुधार आधुनिक शिक्षा व्यवस्था का मूल है । चीन में बुनियादी शिक्षा का अर्थ, प्राइमरी स्कूल से हाई स्कूल तक शिक्षा से लिया जाता है । पर चीन की हाई स्कूल शिक्षा अपेक्षाकृत कमजोर है । इस समय चीन में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू है । पर हाई स्कूलों की भरती दर सिर्फ 50 प्रतिशत है , यानी मिडिल स्कूल पास करने के आधे विद्यार्थी ही हाई स्कूल में प्रवेश हो सकते हैं । चीनी शहरों के अधिकांश परिवार एक बच्चे वाले हैं । उन में अपनी संतान को हाई स्कूल और फिर कालेज में भेजने की तीव्र इच्छा होती है । इसलिये चीन सरकार ने देश में हाई स्कूल स्तर की शिक्षा के जोरदार विकास का लक्ष्य रखा है । वर्ष 2020 तक चीन के हाई स्कूलों की भरती दर 90 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है । और इस आधार पर उच्च शिक्षा का भी विकास किया जाना है । पर चीन के कुछ अल्प-विकसित क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था कायम करने का काम अब तक शतप्रतिशत पूरा नहीं हो गया है । इन इराकों में गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल से छोड़ने का खतरा मौजूद होता है । इसलिये सरकार इन क्षेत्रों में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा को मजबूत करने और गरीब परिवारों के बच्चों की यथासंभव मदद करने का प्रयास कर रही है ।
चीनी शिक्षा मंत्री सुश्री चेन चि ली का विचार है कि एक आधुनिक देश की बुनियाड, आधुनिक शिक्षा ही होती है । उन्हों ने कहा कि हमें देश भर में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा व्यवस्था कायम करनी चाहिये ताकि छात्रों की व्यावहारिक क्षमता को उन्नत किया जा सके । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये पाठ्यपुस्तकों और परीक्षा व्यवस्था में भी सुधार भी करना पड़ेगा । सुश्री चेन ने आगे कहा कि देश के आधुनिकीकरण के लिये शिक्षकों और प्रबंधकों को भी आधुनिक विचारों से लैस होना चाहिये । इस के लिये शिक्षा संस्थानों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिये । इन दिनों चीन के शिक्षा प्रबंध संस्थान अध्यापकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं । और साथ ही पुरानी पाठ्यपुस्तकों के नवीनकरण का काम भी चल रहा है । भविष्य में हम ऐसी स्थिति तक जा पहुंचेंगे कि भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अलग अलग पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग हो सकेगा । चीनी शिक्षा मंत्रालय की राष्टीय शिक्षा अनुसंधानशाला के प्रधान श्री चाओ ने कहा कि हमें मौजूदा पाठ्यपुस्तकों तथा शिक्षा कार्यक्रमों का नवीनकरण करना चाहिये ताकि उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर छात्रों की विशेषता के अनुकूल बनाया जा सके । पहले चीन के सभी स्कूलों में एक ही शिक्षा कार्यक्रमों से समान पाठ्यपुस्तकों का प्रयोग किया जाता था । पर अब यह बदलने वाला है । भविष्य में स्कूलों को भिन्न पाठ्यपुस्तकों के प्रयोग की स्वतंत्रता हो जाएगी ।
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