पूर्वी चिन राज्य ने फ़ेइश्वेइ की लड़ाई जीतकर दक्षिणी चीन को तबाही से बचा लिया। इस विजय के फलस्वरूप दक्षिणी चीन अपनी आर्थिक व सांस्कृतिक प्रगति जारी रख सका। 420 ई. में ल्यू य्वी नामक सेनापति ने पूर्वी चिन शासन का अन्त कर दिया और सुङ (420-479) के नाम से अपना नया शासन कायम किया। अगले 160 वर्षों तक दक्षिणी चीन में क्रमशः इन चार राज्यों ने शासन किया- सुङ, छी (479-502), ल्याङ (502-557) और छन (557-589)। इन सभी राज्यों की राजधानी च्येनखाङ थी। इतिहास में इनका उल्लेख"दक्षिणी राजवंशों"के रूप में किया जाता है।
उधर उत्तरी चीन में फ़ेइश्वेइ नदी की लड़ाई के बाद पूर्वकालीन छिन राज्य का शीघ्र पतन हो गया और उसका स्थान अनेक छोटे छोटे स्थानीय राज्यों ने ले लिया, जो सदैव आपस में लड़ते रहते थे। कालांतर में श्येनपेइ जाति के थ्वोपा नामक एक कुलीन ने कदम-ब-कदम उत्तरी चीन का एकीकरण किया और 386 में वर्तमान भीतरी मंगोलिया के पश्चिमी भाग तथा वर्तमान शानशी प्रान्त के उत्तरी भाग में एक नए राजवंश की स्थापना की। इसका नाम औपचारिक रूप से वेइ रखा गया तथा फिङछङ (वर्तमान शानशी प्रान्त का ताथुङ) को उसकी राजधानी बनाया गया, किन्तु इतिहासकार इसे उत्तरी वेइ राजवंश (386-534) के नाम से पुकारते हैं। बाद में, उत्तरी वेइ राजवंश पूर्वी वेइ (534-550) व पश्चिमी वेइ (535-557) में और फिर क्रमशः उत्तरी छी (550 -577) व उत्तरी चओ (557-581) में विभाजित हो गया। इन पांचों राज्यों को इतिहासकारों द्वारा "उत्तरी राजवंशों"का नाम दिया गया है।
दक्षिणी और उत्तरी राजवंश दरअसल पूर्वी चिन काल से चले आ रहे चीन के राजनीतिक विभाजन का ही जारी रूप थे।
|