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(GMT+08:00) 2004-07-14 08:49:23    
चीनी गायिका जू मिंग यिंग की कहानी

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गायिका जू मिंग यिंग चीन में बहुत मशहूर हैं । वे देश विदेश के बहुत से गीत गा सकती हैं और कभी कभी गाते समय नाच भी करती है , जो विदेश गीत गाती है , उस की शैली बिलकुल उसी देश की तरह होती है ।

तीस वर्ष की उम्र में जू मिंग यिंग ने विदेसी गाना सीखना शुरू किया , क्योंकि वे एशिया , अफ़्रिका व लाटिन अमरीका आदि क्षेत्रों का नृत्य करती है , इस लिए वे इन क्षेत्रों के नृत्यों से जुड़ने वाले गाना सीखना भी चाहती थी । लेकिन शूरु में यह काम बहुत कठीन था । गाने सीखने के लिए, उन की उम्र बड़ी थी , उन की गुरू जी उन्हें सीखाना नहीं चाहती । तो जू मिंग यिंग एक अनौपचारिक छात्रा की हैसियत से गाना सीखने लगी । वे बहुत मेहनत से सीखती थी , दूसरे छात्र सौ से ज्यादा बार अभ्यास करते थे , तो वे दस हजार बार अभ्यास करती थी । इन क्षेत्रों के गाना सीखने की एक कठीनाई है कि उन्हें विदेशी भाषा में सीखना पड़ा । इस लिए वे जगह जगह जाकर विदेशी भाषा के अधियापकों व चीन में पढ़ने के लिए आए विदेशी छात्रों से गानों में विदेशी शब्द सीखती थी । इस तरह अंत में वे अफ़्रिकी बाली , रूसी , अरबी तथा उर्दू व हिन्दी भाषाओं में गाना गाने में सफल हो गई । उसी समय चीन में विदेशी गाना तो बहुत कम था , जब उन्हें विदेशी गीतों का कैसेट मिला , तो इस के गीत वे दस हज़ार बार सुनती थी , और दस हज़ार बार गाने का अभियास करती थी । इस से उन की स्वर कैसेट में प्रस्तुत गायिकाओं के स्वर से एकदम मिल जुल हो गई।

आइए सुनिए जू मिंग यिंग द्वारा गाया गया एक हिन्दी गीत

अब जू मिंग यिंग को 26 विदेशी भाषा व बोली में सैकड़ों गीत गा सकती हैं । वे किस देश का गीत गाती हो, तो उसी देश की ही गायिका जैसी सज्जित होती थी । वे 30 से ज़्यादा देशों की यात्रा कर चुकी थी, एक बार वे भारत भी गयी , उन्होंने दर्शकों को हिन्दी गाना और तमिल गाना प्रस्तुत किया , उन की मिठी आवाज़ से दर्शक बहुत प्रभावित हुए, मिश्र की यात्रा के दौरान उन्होंने स्थानीय लोक गीत "बेस्बुका"       गाया, तो दर्शकों ने 30 से ज़्यादा बार तालियां बजायीं।

देश विदेश में प्रसिद्ध होकर भी जू मिंग यिंग को अनुभव हुआ कि संगीत के क्षेत्र में उन की जानकारी पर्याप्त नहीं है और उन्हें ज्यादा सीखना चाहिए । इस लिए वे फिर एक बार विद्यार्थी बन गयी । इस बार उन्होंने अमरीके के तीन बड़े मशहूर संगीत संस्थानों में से एक यानी बेर्कली संगीत कॉलेज में प्रवेश किया । सब से बड़ी उम्र वाली और सब से कमज़ोर बुनियाद वाली विद्यार्थी होने के कारण उन्होंने फिर एक बार अपनी मेहनत आजमाई की । चार सालों के पढ़ाई में अपने सहपाठियों में वे सब से श्रेष्ठ विधद्यार्थी चुन कर सम्मानित की गई ।

स्वदेश लोटने के बाद जू मिंग यिंग ने मिंग यिंग विकास कंपनी की स्थापना की , जो चीन के फिल्म व टेलिवेज़न बनाने , संगीत रचने तथा कला की शिक्षा देने के क्षेत्रों में मशहूर है । उन की आशा है कि चीन में एक अंतरराष्ट्रीय स्तरीय प्रतिष्ठान की स्थापना की जाएगा, ताकि कला क्षेत्र में श्रेष्ठ चीनी जवानों को देश में ही विश्व की सब से प्रगतिशील व आधुनिक चीज़ें सीखयी जा सके । कामना है कि उन की यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा ।

आइए सुनिए जू मिंग यिंग द्वारा गाया गया एक उर्दू गीत ।