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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-07-14 08:49:53    
सारा जाति का तब और अब

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चीनी राष्ट्र की मातृ-नदी पीली नदी छिंग हाई -तिब्बत पठार से निकल कर जब छिंग हाई प्रांत की सारा जातीय स्वायत्त काऊंटी की भूमि पर पधारी , तो विशाल समतल भूमि पर बहते हुए नदी की चौड़ाई बढ़ती गई और पानी शांत गति से बहने लगा । नदी के दोनों किनारों पर फैले अपार मैदान पर हरिभरी जंगलों का श्रृंखलाएं होती है और लाल लाल रंग में विशेष ढंग की भू -स्थिति दिखाई पड़ती है , संध्या वैली की सुर्य की लाली में विशाल भूमि सुहरे रंग में रंजित होती है और बड़ी मनोहर लगती है । पश्चिमी चीन की इस अनोखी भूमि में चीनी राष्ट्र की एक मेहनती , उत्साहित तथा जीवन से प्रिय अल्पसंख्यक जाति -- सारा जाति के लोग रहते हैं ।

उत्तर पश्चिमी चीन के छिंग हाई प्रांत की चुन ह्वा काउंटी चीन का एकमात्र सारा जातीय स्वायत्त जिला है , जो 2 हजार एक सौ वर्ग किलोमीटर की भूमि को घेर लेता है और समुद्र सतह से दो हजार मीटर के ऊंचे पठार पर स्थित है । काउंटी की कुल एक लाख दस हजार जन संख्या में अस्सी हजार सारा जाति के लोग हैं । कहा जाता है कि सारा जाति की उत्पति हाथी से जुड़ी हुई है , किंवदंती के अनुसार आज से सात सौ वर्ष पहले सारा जाति के पूर्वज तेले मांग व आहमां दोनों भाइयों की रहनुमाई में पवित्र भूमि की खोज करने निकले , वे सफेद बालों वाले हाथी पर जन्म भूमि का पानी , मिट्टी तथा कुरान की हस्थलिखित प्रति लादे घंटी बजाते हुए मध्य एशिया से रवाना हुए , विशाल रेगिस्तान से हो कर वे यहां आ पहुंचे , उस दिन रात गहरी हो गई और घने अंधेरे में हाथी भी गुमराह हो कर खोए , जब सुबह आई , तो उन्हों ने पाया कि वे एक स्वच्छ जल वाली चश्मा के पास थे और सफेद बालों वाला हाथी सफेद रंग का पत्थर बन कर पानी के अन्दर लेट गया । यहां का पानी और मिट्टी रंग और वजन में उन की जन्म भूमि से लाए पानी व मिट्टी से एकदम मिल जुल बैठे थे , अतः उन्हों ने यहां अपना नया घर बसाने का निश्चय किया । कालांतर में सारा जाति के लोगों ने यहां की तिब्बत , ह्वई व हान जातियों के साथ विवाह के जरिए अपनी विशेष शैली की संस्कृति का विकास किया । आज भी उस सफेद हाथी वाले चश्मा से मीठा मीठा पानी कलकल निकलता बहता है।

सारा जाति के लोग हाथी को अपनी जाति का प्रतीक मानते हैं । अपने पूर्वज तेले मांग और आहमांग का असीम सम्मान व प्यार करते हैं । चुन ह्वा के छोटा सा काउंटी शहर में अब भी इन दोनों भाइयों की समाधि सुरक्षित है । काउंटी की पर्यटन गाईड मिस हान ली ली ने समाधि के बारे में प्रचलित एक कथा बताते हुए कहाः

सारा जाति के पूर्वज तेलेमांग और आहमांग ने अपने अंतिम समय में लोगों को बताया था कि उन की समाधि पर छत ना बनायी जाए , क्योंकि समय गुजरने के साथ साथ समाधि पर प्राकृतिक छत स्वयं ढका जाएगा । उन की भविष्यवाणी सच निकली , कुछ समय के बाद सचमुच उन की समाधि पर दो पेड़ उगे , उन में से एक का रंग सफेद है और दूसरे का श्याम । सारा जाति की भाषा में तेलेमांग का अर्थ काला है और आहमांग का अर्थ सफेद है । हमें इस पर बहुत ताज्जुब हुआ है कि काला सफेद रंगों के ये दो पेड़ अब भी समाधि को छांह दे रहे हैं ।

अपने पूर्वजों की भांति अब भी सारा जाति के लोग बहुत मेहनत हैं , देश के आर्थिक विकास के कदम में कमद मिलाते हुए सारा जाति ने भी आर्थिक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की है । चुन ह्वा काउंटी के ओद्योगिक विकास केन्द्र में स्थापित छिंग हाई की श्वे तान कंपनी बकरी , हाथी तथा बैल के बालों से ऊनी कपड़े बनाने वाला एक मशहूर कारोबार है । इस कारोबार ने स्थानीय लोगों को रोजगार के अनेक अवसर प्रदान किए , हाई स्कूल से स्नातक सुश्री हान च्यु युन अब कारोबार की एक कर्मचारी है , वह कहती हैः

श्वे तान कंपनी में नौकरी मिलने के बाद मैं ने बहुत से काम सीखे है , अब मैं प्रबंध का काम कर सकती हूं , कपड़े की बुनाई कर सकती हूं और कम्प्यूटर पर भी काम कर सकती हूं । कैरियर के विकास के लिए बहुत से मौके हैं , कंपनी ने मुझे पेइचिंग विदेशी भाषा कालेज में दो साल पढ़ने भी भेजा गया था ।

श्वे तान कंपनी से हमें पता चला कि कंपनी के मजदूरों व कर्मचारियों के वेतन दूसरे लोगों से ज्यादा है और कंपनी में उन्हें तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है । कंपनी में इंटरनेट का अपना वेब साइट भी खोला गया , जिस से बड़ी संख्या में कान सू और सिन्चांग के युवा भी आकृष्ट हो गए ।

चुन ह्वा काऊंटी में जलवायु गर्म और नम होता है , दिन में धूप लम्बे समय पड़ता है । इसलिए यहां कृषि उत्पादन का अच्छा विकास हुआ । काऊंटी के मिर्च और काली मिर्च देश भर में मशहूर है । वर्ष 2001 में काऊंटी में एक निजी कंपनी स्थापित हुई , जो मिर्च के 12 किस्मों की चीजें बनाती है । कंपनी के मेनेजर श्री मा छुङ लिन ने हमें बतायाः

हमारी कंपनी ने स्थानीय किसानों की कृषि उपजों को कच्चा माल बनाया , जिस से किसानों की अपनी चीजें बेचने की समस्या हल हो गई , कंपनी ने किसानों को मिर्च व काली मिर्च की खेती की नई तकनीकें भी सिखायी और उन्हें अच्छी सेवा भी प्रदान की । इस के चलते यहां के मिर्च सभी उच्च क्वालिटी के सिद्ध हुए है और स्थानीय अल्पसंख्यक जातियों के लोगों ने गरीबी से पिंड छुड़ा कर समृद्धि का जीवन बिताना शुरू किया । 2002 में काऊंटी के सारे किसानों की औसत आय में चालीस य्वान की वृद्धि हुई ।

देश की अन्य अल्पसंख्य जातियों की ही तरह सारा जाति के लोग भी फुलों को पसंद करते हैं , उन के हर घर के आंगन में फुल फलों का बगीचा है । काउंटी शहर में हम श्री हान चान शांग के घर गए , घर का आंगन बड़ा नहीं है , पर अत्यन्त साफ सुथरा है , आंगन के बीचोंबीच फुलों की क्वारी है , जिस में रंगबिरंगे फुल खिले हैं और प्यारी प्यारी छोटी पक्षियां फुलों में चहचहा रही है ।

श्री हान का मकान दोहरे छज्जों की परम्परागत शैली में है , जिन में सुन्दर पुष्प चित्र अलंकृत हुए है। श्री हान ने हमें बताया कि यह मकान देश में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद बनाया गया था , मकान के कई कमरों की सजावट और छत -छज्जों पर नक्काशी के चित्र खुद उन्हीं के द्वारा बनाए गए है . उस में परम्परागत रंग ढंग के साथ आधुनिक कला जोड़ी गई है और देखने में बड़ा शानदार दिखता है . सारा जाति में श्री हान एक प्रसिद्ध बुजुर्ग है , वे अपनी जाति के इतिहास , संस्कृति और रीतिरिवाजों का अध्ययन करना पसंद करते हैं । वे कहते हैः

मौसम और भौगोलित स्थिति के कारण सारा जाति के आंगनों में फुल और पेड़ पौधे लगाए जाते हैं । सारा जीति के लोगों को फुलों से किस कदर लगाव है , आप जब उन के किसी घर गए , तो खुद समझ सके , हर आंगन में फुल पौधे उगते हैं , फुलों की खेती यहां एक परम्परा बन गई है ।

चुन ह्वा काऊंटी में मौसम सुहावना , प्राकृतिक नजारा सुन्दर और भूमि उर्वर होती है । सारा जाति के लोग सीदा सादा , खुले मिलनसार और उत्साहित होते हैं , उन्हों ने अपने मेहनती हाथों से अपनी भूमि को खूबसूरत और समृद्ध बनाया । और वे अपने खुशहाल जीवन में और उज्जवल भविष्य का स्वागत कर रहे ।