• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-07-09 09:09:23    
पश्चिमी चिन:एकीकरण का संक्षिप्त दौर

cri
उक्त तीन राज्यों में वेइ राज्य सर्वाधिक शक्तिशाली था। 263 में उसने शू राज्य को जीतकर अपने में मिला लिया। 265 में उसके शक्तिशाली मंत्री सिमा येन(236-290) ने इस राज्य को समाप्त कर चिन के नाम से अपना नया राज्य कायम किया, जो इतिहास में पश्चिमी चिन(265-316) के नाम से मशहूर है। 280 में सिमा परिवार ने ऊ राज्य को जीत लिया और तीन पायों वाली स्थिति का अन्त कर दिया। इस प्रकार अल्पकाल के लिए चीन का पुनः एकीकरण हो गया।

पश्चिमी चिन राजवंश भ्रष्टाचार में डूबा हुआ था तथा उसके अफसरों की नियुक्ति उनके गुणों व योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि पारिवारिक हैसियत के आधार पर की जाती थी। परिणामस्वरूप, सरकार पर एक वंशानुगत विशिष्ट वर्ग का नियंत्रण बढ़ता गया। सरकार का कोई भी अफसर इस विशिष्ट वर्ग का सदस्य होने के नाते न केवल बड़ी-बड़ी जमीनों का मालिक बन जाता था, बल्कि किसानों पर भी अपनी मिलकियत कायम कर लेता था, जिससे उनकी स्थिति कृषिदासों के समान हो जाती थी। शासक वर्ग के लोग विलासिता व भ्रष्टाचारिता का जीवन व्यतीत करते थे। देश पर अपना नियंत्रण सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पश्चिमी चिन राजपरिवार ने अपने बहुत-से रिश्तेदारों को राजा या जागीरदार बना दिया। लेकिन जल्दी ही उनके बीच सत्ता की छीनाझपटी शुरू हो गई, जिसने "आठ राजाओं के बीच के संघर्षों"को जन्म दिया जो 16 वर्षों तक जारी रहे। इन राजाओं के बीच चलने वाले परस्पर विनाशकारी युद्धों ने उनके राज्यों की जनता पर कहर बरपा कर दिया और चिन राजवंश का शासन बहुत कमजोर हो गया।

चीन के उत्तरी और पश्चिमी सीमान्त प्रदेशों में बसने वाली विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों ने पूर्वी हान काल से लम्बी दीवार के दक्षिण में स्थानान्तरित होना शुरू कर दिया था, जहां वे हान जाति के लोगों के साथ मिलजुलकर रहने लगीं। पश्चिमी चिन काल के दौरान जब किसानों का बोझ बढ़ते-बढ़ते असह्य हो गया और हर साल की प्राकृतिक विपत्तियां व महामारियां उनको तबाह-बरबाद करने लगीं, तो उनके पास अपने गुजारे का कोई जरिया नहीं रह गया और वे जीविका की तलाश में अपना घरबार छोड़कर अन्य इलाकों में जाने लगे। इन परिस्थितियों में श्युङनू अभिजात वर्ग के ल्यू य्वान नामक व्यक्ति ने पश्चिमी चिन सरकार के विरुद्ध किसानों के असन्तोष का लाभ उठाते हुए विद्रोह का झण्डा बुलन्द कर दिया। उसने ल्वोयाङ व छाङआन पर हमला करके कब्जा कर लिया और पश्चिमी चिन शासन को समाप्त कर डाला।