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(GMT+08:00) 2004-07-08 12:49:49    
दुष्ट ट्टिडा

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मोटू और मुन्नी के घर के सामने एक छोटी सी दरिया बहती थी , गर्मियों के मौसम में दरिया के तटों पर हरा हरा घास उगता था । मोटू और मुन्नी अकसर वहां घास के मैदान में खेल खेलते थे । एक दिन , जब मोटू घास पर क्रिड़ा कर रहा था , सहसा एक बड़ा सा कीड़ा आंखों के आगे उड़ कर गुजरा । मोटू ने उस की ओर गौर किया , वाह , वह तो एक बड़ा ट्टिडा है । मोटू ने उसी क्षण ट्टिडे की ओर लपका , जब ट्टिडा जमीन पर उतर आया , तो उस ने दबे पांवों से उस के पास पहुंच कर हथेली फैलाए ट्टिडे को पकड़ा । मोटू की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा , वह तेज दौड़ते हुए घर पहुंचा और एक पतली सी रस्सी ले कर ट्टिडे के पैर पर बांधा । फिर वह दौड़े दौड़े आंगन में आया और रस्सी का दूसरा छोर हाथ में पकड़े ट्टिडा हवा में छोड़ दिया । ट्टिडा पंख फड़ा फड़ा कर उड़ने लगा , मोटू उस के पीछे दौड़ा दौड़ा हर्षोल्लास मचाता रहाः छोटा वायु यान आया है , छोटा वायु यान आया । वह उल्लास से दौड़ता रहा , इस से जो दो मुर्गियां आंगन में थी , वह घबरा कर दीवार के कोने में भाग दुबक गईं ।

मुन्नी ने देखा , मोटू का खेल बड़ा मजेदार था , तो वह भी ट्टिडा पकड़ने घास मैदान चली गई , किन्तु बड़ी कोशिश के बाद भी उसे महज एक छोटी ट्टिडा हाथ लगी । इस नन्हीं सी ट्टिडा को केवल जमीन पर कूदना फूदना आता था , उसे उड़ना अभी भी नहीं आता , क्योंकि उस के शरीर पर अभी पंख नहीं निकला था । मुन्नी ने उसे डोर से बांधा और उड़ाने की कोशिश कीः छोटा विमान जल्द उड़ो , जल्द उड़ने जाओ । लेकिन नन्हीं ट्टिडा बस जमीन पर फूदती भागती रही , उड़ नहीं पाई ।

 

मोटू ने मुन्नी पर हंसी कसते हुए कहाः हा हा , यह भी कोई विमान है , किस ने बिना पंख का विमान देखा है .

मुन्नी उस की बात से बड़ी खीज गई , बोलीः यह विमान ही है , हां हां ,यह विमान ही है ।

यह विमान नहीं है ।

यह विमान ही है ।

नहीं , नहीं ।

है है , मैं कहती हूं , वह विमान है ।

दोनों वाद -प्रतिवाद करते रहे । इसी बीच पड़ोस का दादा चांग पास आए और पूछाः अरे , क्या बात है , बच्चे , किस बात पर झगड़ा कर रहे हैं . मोटू ने बतायाः मुन्नी कहती हो कि उस की यह ट्टिडा विमान है , भला वह कैसी विमान हो सकती. मुन्नी ने प्रतिवाद कियाः तुम्हारी ट्टिडा यदि विमान हो , तो मेरी भी विमान है । दादा चांग ने उन के हाथों में पड़ी टिटडे देख कर मुस्कराया मुझे पहली बार इस प्रकार का विमान देखा है .

मोटू और मुन्नी को भी हंसी आईः क्यो आप इसे असली विमान समझते हैं , हां , यह ट्टिडा है।

मैं जानता हूं कि यह ट्टिडा है , मैं ने पहले टिटड्डियों की विशाल सेना भी देखी थी ।

मोटू और मुन्नी को बड़ा ताज्जुब हुआः सच , ट्टिड्डियों की सेना क्या कर रही है.

हाय , वह पुराने चीन की बात थी , एक गर्मियों में खेतों में फसलें लहलहा रही थी , लेकिन कुछ दिन बाद सभी फसलें ट्टिड्डियों से चौपट हो गई ।

दादा चांग , ट्टिड्डियों ने किस तरह फसलों को नष्ट कर दिया.

सुनो , एक तपती दोपहर , धूप बहुच तेज हो रही थी , सहसा तिक्षिज के ऊपर काला सा बादल उमड़ता नजर आया , काला बादल इतनी तेजी से दौड़ रहा था कि देखते देखते ही पूरा आकाश बादल के साया से ढंक गया , मानो एकाएक अंधरा छा गया हो ।

दादा जी , क्या मुसलाधार बारिश होने वाली थी .

बेटा , उस समय हम भी ऐसा समझते थे कि बारिश होने वाली है , पर हमें शीघ्र ही मालूम हुआ कि वह बारिश का बादल नहीं है , उस बादल के साथ छा--छा--छा की आवाज भी सुनाई पड़ी है . हम ने गौर करते हुए देखा , हाय , बड़ी आफत आई है , वह कहां बादल है , वह तो लाखों करोड़ों टिटडियों का विशाल झुंड है . वे खेतों पर छा मारे और देखते ही देखते पूरे के पूरे खेतों में खड़ी फसलों को खा खा कर सफाचाट कर दिया और फसल सब की सब नंगी हो गईं ।

दादा की बात सुन कर मोटू और मुन्नी को बड़ा आश्चर्य हुआः अरे , इतना खतरनाक है । ट्टिड्डी वाकई बहुत खराब कीड़ा है ।

मुन्नी बोलीः ट्टिड्डी बहुत खराब है , आगे जब मैं उसे पकड़ती हूं , तो जरूर उसे पैरों तले कुचल दूंगी ।

मोटू ने जोर से सिर हिलाते हुए कहाः बिलकुल ठीक है , अवश्य सभी ट्टिडियों को कुचला जाना चाहिए । दोनों बच्चों को अनायास उस दो पकड़े हुए टिटडों की आद आई और उन्हें पैरों से रौंदना चाहा . लेकिन तभी दोनों ट्टिड्डा रस्सी से छुटकारा कर भाग निकले थे । इसी बीच पीले रंग की दो मुर्गियां कु--कु की आवाज करते हुए पास आई , दादा चांग ने मुस्कराते हुए कहाः देखो , वे दो ट्टिड्डे जरूर मुर्गी के मुंह का कौर हो गया है , मुर्गी भी जानती है कि ट्टिड्डी हानिकर कीड़ा है ।

शाबाश , मुर्गी ट्टिड्डी को खाना बहुत पसंद करती है । मोटू और मुन्नी हाथ में हाथ थामे बाहर दौड़ने लगेः चलो , हम मुर्गी के लिए ट्टिड्डी पकड़ने चलो ।