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(GMT+08:00) 2004-06-25 14:50:11    
पेड़ व घास उगा कर सुधारा शहरों व गांवों का जीवन

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                                          कृत्रिम वनक्षेत्र की दृष्टि से चीन विश्व का सबसे बड़ा देश है।उसका वर्तमान कृत्रिम वन क्षेत्र 4 करोड़, 40 लाख हैक्टर है जो देश की कुल भूमि का 4.6 प्रतिशत बनता है। कृत्रिम वन ने चीन के पर्यावरण को ही नहीं सुधारा है,चीनी जनता के जीवन-स्तर को भी उन्नत किया है।

यदि आप हवाईजहाज से पेइचिंग पहुंचे हों तो हवाईअडडे से शहर के रास्ते के दोनों तरफ घने पेड़ों के झुरमुट देखेंगे। रास्ते के किनारे खड़ी अधिकतर इमारतें भी इन ऊंचे पेड़ों के हरेपन से लगभग ढकी मिलेंगी। शहर में पहुंचने पर आपको जहां-तहां घासदार बाग और पेड़ों की कतार नजर आयेगी। पेइचिंगवासी य्वी को लुन के छुटपन का यह प्राचीन नगर अब एक ऐसे आधुनिक महानगर का रूप ले चुका है जो हरित जीवन से भरापूरा है। उन्होंने कहा पेइचिंग में इन कुछ सालों में हरियाली बढ़ी है। सड़कों के किनारे घास बिछी है और उन्हें बगीचों व पेड़ों के लिए सुरक्षित रखा गया है। आज मै जिस नये रिहायशी क्षेत्र में रहता हूं, वहां हरियाली को भारी महत्व दिया गया है। हम बड़ी खुशी के साथ अपने बच्चों को लेकर फूलों व घास से भरे बगीचों में घूमते हैं। इससे हमें बड़ा आनंद मिलता है।

श्री य्वे ने पेइचिंग की जिस हरियाली का जिक्र किया है, वह अब पेइचिंग के लिए एक आम बात हो गई है। शहर की सबसे रौनक भरी सड़कों के आसपास भी बहुत सी जगहों पर घास बिछी है जहां लोग आराम कर सकते हैं। दुनिया भर में मशहूर थ्येनआनमन चौक के संगमरमरी फर्श के एक बड़े भाग में भी विशेष तौर पर घास बिछाई जा चुकी है। पेइचिंग ने अपने तीसरे और चौथे चक्करदार मार्ग के बाद अब तेज रफ्तार वाले पांचवें व छठे चक्करदार मार्गों के दोनों किनारों पर एक वनपेटी बनाने व वनोद्यान का निर्माण किया है। तीसरे ही नहीं चौथे व पांचवें चक्राक्रार मार्ग के किनारे भी फूल व हरियाली से सज चुके हैं।

पेइचिंग को हराभरा बनाने में योगदान पड़ोसी प्रांत ह पए का भी रहा। ह पए के चांग च्या खओ शहर ने इधर के सालों में बड़े पैमाने पर पेड़ व घास उगा कर पेइचिंग को रेतीली आंधी से बचाने और इस तरह पेइचिंगवासियों के जीवन में सुधार लाने में हाथ बंटाया। चांग च्या खओ के वन ब्यूरो के उपनिदेशक खांग छंग फू ने इसकी जानकारी देते हुए कहा आज हमारे शहर में उल्लेखनीय परिवर्तन दिखता है। शहर में पेड़ व घास उगाने और उसके रिहायशी क्षेत्रों में हरेभरे बगीचा लगाने से स्थानीय निवासियों के रहन-सहन में भारी सुधार आया। गावों तक को हरियाली बिछाये जाने व नये बगीचे लगाये जाने से रहने का नया पर्यावरण मिला है। चांग च्या खओ में हरियाली बिछने से खुद इस शहर को रेतीली आंधी रोकने में 70 प्रतिशत सफलता प्राप्त हुई है।

चीन सरकार इधर आम नागरिकों में वृक्षारोपण की अवधारणा जगाने व उन्हें इस अभियान में स्वेच्छापूर्वक भाग लेने को प्रेरित कर रही है। सरकार हर साल वृक्षारोपण परियोजना में शरीक होने वाले लोगों को संतोषजनक रियायत देती है। चीन सरकार अब कृत्रिम वन परियोजना को गांवों तक ले जा रही है। किसान भी कृत्रिम वन परियोजना के लिए हितकारी सिद्ध हुए हैं। चीन के राष्ट्रीय वन ब्यूरो के कृत्रिम वन निर्माण विभाग के निदेशक वए तुआन ने बताया उत्तर-पूर्वी चीन, उत्तरी चीन और उत्तर-पश्चिमी चीन तथा यांगत्सी नदी के दोनों तटों की वन निर्माण परियोजना के लिए सरकार ने हरेक हैक्टर पर 1500 य्वेन का अनुदान तय किया है। यही नहीं औद्योगिक उत्पादन में प्रयोग आने वाले पेड़ों को उगाने के लिए सरकार अतिरिक्त सब्सीडी और विशेष रियायत भी प्रदान करती है।

श्री वए ने कहा सरकार आर्थिक वनों समेत फलोद्यानों, बांसों के जंगलों व अन्य वनों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के साथ गैर सरकारी संगठनों को पर्यटन व प्राकृतिक स्थलों के पेड़ों की रखवाली व उनकी संख्या बढ़ाने को भी प्रोत्साहन करती है।

पूर्वी चीन के आनहुए प्रांत के लिन को शहर ने आर्थिक वन निर्माण में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। चीन सरकार ने इस शहर को चीन के पहाड़ी अखरोट के घर की उपाधि देकर सम्मानित किया। 1997 के बाद से यह शहर एक तय योजना के अन्तर्गत 70 हजार आर्थिक वनों का निर्माण करने में सफल रहा। उसके प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में कोई 0.2 हैक्टर आर्थिक वन आता है।

लिन को के उप मेयर य्वी हुंग हान ने बताया कि पिछले साल शहर के किसानों की औसत आमदनी 2800 य्वेन रही जो इससे पहले की आमदनी से 6 प्रतिशत अधिक थी । इस का आधा भाग आर्थिक वन के निर्माण से प्राप्त हुआ। 1997 में लिन को के आर्थिक वनों की आमदनी करीब 10 करोड़ य्वेन थी , पर 2003 में यह बढ़कर 80 करोड़ तक जा पहुंची। 

को लिन की तरह की मिसालें चीन में जहां-तहां देखी जा सकती हैं। पेइचिंग के एक पड़ोसी प्रांत के बहुत से शहरों व गांवों ने अपने यहां के मौसम के अनुकूल सेब, आड़ू, नाशपाती, चेरी, केले आदि फल के बागानों का विस्तार कर अपनी आर्थिक आमदनी बढ़ाने में संतोषजनक सफलता प्राप्त की है।