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(GMT+08:00) 2004-06-11 16:00:26    
कृत्रिम वन चीन के पर्यावरण में नया रंग ला रहे हैं

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                             वर्ष 2000 के वसंत में एक भयंकर रेतीली आंधी ने उत्तरी चीन समेत राजधानी पेइचिंग को अपनी चपेट में ले लिया था। पूरा आकाश तेज रेतीली आंधी से पीला पड़ गया औऱ सौ मीटर के फासले के भीतर की सभी वस्तुए धुंधली पड़ गईं। सामान्य जनजीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा औऱ पर्यावरण गंभीर रूप से प्रदूषित हुआ। वर्ष 2001 में चीन सरकार ने 55 अरब य्वेन की धनराशि से 10 सालों के अन्दर भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश, ह पए प्रांत आदि क्षेत्रों के 4 लाख से अधिक वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में , विशेषकर ह पए प्रांत के चांग च्या खओ शहर के 80 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रेतीली आंधी को रोकने की परियोजना शुरू की।

ह पए प्रांत के चांग च्या खओ शहर के वन ब्यूरो के निदेशक श्री खांग छन फु ने इस की जानकारी देते हुए कहा,तीन साल से यहां 80 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में पेड़ व घास उगाने की कड़ी मेहनत जारी है। पहले केवल 30 प्रतिशत क्षेत्र में ही पेड़ व घास होने की स्थिति वर्तमान में बदल गयी है, अब ऐसा इलाका 70 प्रतिशत है। इस प्रकार भूमि की सुरक्षा, विशेषकर पानी से मिट्टी के कटाव से भूमि को रेतीली होने से बचाने का काम बहुत ही अच्छी तरह चल रहा है।

श्री खांग ने आगे कहा, इस परियोजना ने पेइचिंग और थिएनचिन शहर पर रेतीली आंधी के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और चांग च्या खओ शहर के पर्यावरण को सुधारने में भी मदद दी है। चांग च्या खओ में रेतीली आंधी की आवृत्ति पहले से उल्लेखनीय रूप से कम हुई है। पेइचिंग का पर्यावरण भी लगातार बेहतर होता गया है और वसंत मे रेतीली आंधी का आना भी कम नहीं हुआ है, आंधी की तीव्रता भी कम होती जा रही है।

चीन के राजकीय वन ब्यूरो के निदेशक श्री वए तिएन संग ने हमारे संवाददाता से कहा,पेइचिंग और थिएनचिन शहरों की रेतीली आंधी रोकने की परियोजना की सफलता ने पूरे देश के लिए कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगाने व हरियाली बिछाने के तरीकों से पर्यावरण सुधारने की बढ़िया मिसाल खड़ी की है। वास्तव में 70 के दशक से ही चीन ने उत्तर-पूर्वी, उत्तर व उत्तर- पश्चिमी चीन के विशाल इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ रोपने का अभियान चलाना शुरू कर दिया था। चीन के इस भाग का क्षेत्रफल 40 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक है । तथ्य यह है कि इन क्षेत्रों की प्राकृतिक स्थिति बहुत ही खराब है और चीन के मुख्य रेगिस्तान भी इन्ही क्षेत्रों में हैं। इसे अर्ध व पूर्ण सूखा इलाका माना जाता है, और यहां रेतीली आंधी लम्बे अर्से से एक अत्यन्त गंभीर संकट का रूप लिये रही है।

सूत्रों के अनुसार, चीन की सबसे बड़ी नदी यांगत्सी के किनारे के क्षेत्रों में कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगा कर खेतों को वन में बदलने की योजना में रेतीली आंधी को रोकने की परियोजना भी शामिल है। चीन वर्तमान विश्व का कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगाने वाला सबसे बड़ा देश माना जाता है । आंकड़ों के अनुसार, इधर के सालों में पूरे चीन में कृत्रिम पेड़ व घास की रोपाई का क्षेत्रफल 66 लाख हैक्टर आंका गया है। यदि पिछले 50 सालों का भी हिसाब लगाया जाए तो कृत्रिम पेड़ व घास रोपण क्षेत्र 4 करोड़ 40 लाख हैक्टर से अधिक बैठेगा।

पूर्वी चीन के आनहुए प्रांत का को लिंन शहर कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगाने की एक बड़ी मिसाल है। को लिन यांगत्सी नदी के निचले भाग में स्थित है। 1997 से वहां कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगाने का कार्य जोर-शोर से चलता आया है। शहर के उपमेयर श्री य्वी हुंग हान ने हमारे संवाददाता को बताया,पिछले छै-सात सालों के अथक प्रयासों से हमारे शहर में हरित क्षेत्र चार प्रतिशत बढ़ा है ।वर्तमान में क्षेत्र के 70 प्रतिशत से अधिक में हरियाली है। यांगत्सी नदी के डेल्टा में हमारे शहर ने एक हरी पट्टी बिछा कर पारिस्थितिकी, आर्थिक विकास व जनता के आनंदमय जीवन के लिए एक बेहतरीन पर्यावरण तैयार किया है।

को लिन शहर की हरियाली परियोजना व वहां जल औऱ मिट्टी के संसाधनों की अच्छी तरह रखवाली किये जाने से पड़ोसी शहरों हांगचओ व शांगहाए को भी भारी लाभ प्राप्त हुआ है। इस की चर्चा करते हुए चीन के राजकीय वन ब्यूरो के निदेशक वए तिएन संन ने कहा,चीन में कृत्रिम वन विकास के तीन भाग हैं, पहला है, देश की वन परियोजना, जिस का पूरा खर्चा सरकार उठाती है। दूसरा है देश सेवा वन विकास परियोजना, यानी हरेक नागरिक को हर साल तीन या पांच पेड़ उगाने का दायित्व दिया गया है । तीसरा है, सामाजिक वन विकास परियोजना जिस का लक्ष्य आर्थिक लाभ हासिल करना है। इसमें उद्यान व सुंदर दृश्यों का विकास कर पर्यटन के माध्यम से आर्थिक लाभ हासिल करना शामिल है।

वर्तमान में चीन वीरान पहाड़ों व रेतीली भूमि तथा जल से मिट्टी के कटाव से गंभीर रूप से ग्रस्त इलाकों में वन विकास को विशेष महत्व दे रहा है। चीन की राष्ट्रीय वन विकास की दीर्घकालिक योजना के मुताबिक, वर्ष 2050 तक चीन ने मुख्य तौर से कृत्रिम रूप से पेड़ व घास उगाने तथा प्राकृतिक वनों के संरक्षण करने जैसी कार्रवाइयों के जरिए, अपने मौजूदा 16.55 प्रतिशत वन क्षेत्र को 26 प्रतिशत तक विस्तृत करने की योजना तैयार की है, ताकि देश का वन व हरित क्षेत्र विश्व के औसत स्तर से ऊपर पहुंच सके। चीन के आर्थिक व सामाजिक विकास के निरंतर तेज विकास को देखते हुए , देश के सभी शहरों व गांवो में कृत्रिम वन विकास पर कहीं अधिक बल दिया जायेगा, ताकि शहरी व ग्रामीण नागरिकों को एक बेहतरीन आवास वातावरण प्रदान किया जा सके।

श्री वए के अनुसार, कृत्रिम वन विकास परियोजना में चीन अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व आदान-प्रदान पर भी बल दे रहा है। चीन और जर्मनी के बीच वन विकास में सहयोग इसकी एक शानदार मिसाल माना जा रहा है। वन विकास परियोजना का न केवल चीन, बल्कि पूरी दुनिया के पर्यावरण सुधार में महत्वपूर्ण योगदान होगा।