घनघन---, क्लास की घंटी बजी , कीट पतंग क्लास के छात्र फटाफट क्लासरूम में प्रवेश कर गए ।
नमस्ते , अध्यापक जी , नमस्ते प्यारे छात्र । शिक्षक औक छात्रों ने एक दूसरे से नमस्कार कहे , फिर शिक्षक मैंटिस ने पढ़ाना शुरू किया ।
सभी छात्र ध्यान से अध्यापक का व्याख्यान सुन रहे थे , इसलिए क्लासरूम बहुत शांत था . इसी समय न जाने किस से गो --गो की अजीब आवाज सुनाई पड़ी . छात्रों में तुरंत हाहाहा हंसने की जोरदार आवाज गूंज उठी , जिस के कारण क्लासरूम की शांति एकाएक भंग गई । मैंटिस शिक्षक ने गुस्से में आ कर पूछा , किस ने यह आवाज निकाली है .
सिकाडा ने ऊंचे स्वर में कहा , अध्यापक जी ,इस समय सुरज ढल गया है , मैं आवाज नहीं देता हूं , यह आवाज मेरी नहीं है . मच्छर ने पतली पतली सहजे में कहा , मैं अभी उड़ान नहीं भरती है , इसलिए आवाज मेरी भी नहीं है । ड्रैगनफलाई की आंखें बड़ी बड़ी खुली थी , वह खामोश रही , इस का अर्थ था कि अजीब आवाज का उस से भी कोई नाता नहीं है ।
शिक्षक मैंटिस ने झींगूर की ओर इशारा करते हुए कहा , अवश्य ही तुम गड़बड़ी करते हो । इस गलत दोषारोपसे झींगूर करीब करीब रोने को हुआ , उस ने कहा , अध्यापक जी , मुझे आवाज देना नहीं आती है ।
शिक्षक ने फिर खाटाईडिड से पूछताछ की , तो उस ने उठ खड़ हो कर कहा, अध्यापक जी , अभी मेरा मुंह कस कर बन्द था , बस मेरी पंखें फड़फड़ गई थी । खाटाईडिड की बात अभी समाप्त हुई कि मैंटिस शिक्षक ने कहा , अब मैं समझ गया हूं ,यह अजीब आवाज तुझ से निकली है । इस बात पर सभी छात्रों को बड़ा आश्चर्य हुआ , उन्हें पता नहीं कि शिक्षक ने कैसे यह निश्चय किया था कि आवाज खाटाईडिड से उत्पन्न हुई है । मैंटिस ने कहा , खाटाईडिड मुंह से आवाज नहीं दे सकता है , पर वह दोनों पंखों के फड़फड़ाने और रगड़ने से आवाज पैदा करता है । इस सत्य के सामने खाटाईडिड ने अपनी गलती मान ली ।
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