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(GMT+08:00) 2004-05-21 10:41:06    
चीन और भारत के उद्योगपतियों की बैठक

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                 हाल ही में चीन स्थित भारतीय दूतावास के सौजन्य से चीनी इलैक्ट्रोनिक्स मशीनरी आयात-निर्यात वाणिज्य संघ व चीनी मशीनरी उद्योग तथा भारत के उद्योगपतियों की एक संयुक्त आर्थिक-व्यापारिक वार्ता का आयोजन हुआ। वार्ता में शामिल भारत के कर्नाटक प्रदेश के बंगलौर शहर के ग्रेटर मैसूर चैम्बर आफ इन्डस्ट्री के प्रतिनिधि उद्योगपतियों व चीन के विभिन्न बड़े उपक्रमों व निगमों के प्रतिनिधियों के बीच हुए गहन आदान-प्रदान ने दोनों पक्षों के बीच वाणिज्य व व्यापार में सहयोग की बहुत अच्छी नींव डाली। हमारी संवाददाता सुश्री पी वए ने वार्ता के आयोजन स्थल से हमें यह रिपोर्ट भेजी।

भारत के प्रतिनिधियों के रूप में ग्रेटर मैसूर चैम्बर आफ इन्डस्ट्री की अध्यक्ष व कुछ सुप्रसिद्ध उद्योगपतियों ने इस वार्ता में भाग लिया। ग्रेटर मैसूर चैम्बर आफ इन्डस्ट्री भारतीय उद्योग जगत का एक सुप्रसिद्ध संस्थान है।उसके उच्चस्तरीय प्रबंध विशेषज्ञों वाले वाणिज्य समूह ने कर्नाटक के उद्योग के सुरक्षित विकास को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस वाणिज्य समूह के सदस्यों का पेइचिंग आने का लक्ष्य चीनी बाजार में वाणिज्य व निवेश की संभावना के अवसरों की खोज करना था, ताकि चीन और भारत के बीच व्यापारिक सहयोग और आयात-निर्यात को और तेजी से प्रेरित किया जा सके तथा संयुक्त पूंजी से संचालित उद्योगों के जरिए अनेक क्षेत्रों में सहयोग की संभावना को अधिकाधिक उजागर किया जा सके।

पेइचिंग के होटल क्राउन होलीडे इन में आयोजित चीन-भारत आर्थिक-व्यापारिक वार्ता में चीन स्थित भारतीय दूतावास के वाणिज्य कांसुलर श्री विनय क्वात्रा ने भारत की आर्थिक स्थिति का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि भारत इस समय विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले 10 सालों में भारत की औसत वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही है औऱ वर्ष 2003 और 2004 के प्रारम्भ में यह 7 प्रतिशत तक जा पहुंची थी। विश्व के विशाल औद्योगिक देशों की पंक्ति में भारत 10 वें स्थान पर है। तकनीकी विकास , वैज्ञानिक क्षमता, इंजीनियरिंग व स्कूलों के प्रबंध तथा बैंक व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में विश्व में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व के 500 शक्तिशाली उद्योगों में से कोई 100 उद्योगों ने भारत में अपने अनुसंधान केंद्र स्थापित किये हैं। वैदेशिक व्यापार प्रबंध में भारत चुंगी कर में उचित बदलाव ला कर कुछ वैदेशिक व्यापार संबंधी सीमाओं को कम करने का प्रयास कर रहा है। 2000 से 2003 तक भारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में तेज वृद्धि हुई और वह वर्ष 2000 के 2 अरब, 90 करोड़ अमरीकी डालर से वर्ष 2003 में 7 अरब, 50 करोड़ अमरीकी डालर तक जा पहुंचा। केवल वर्ष 2004 के पिछले दो महीनों में दोनों देशों की व्यापारिक रकम 2 अरब रही। दोनों देशों के अनवरत विकास की रणनीति की दृष्टि से देखें तो द्विपक्षीय व्यापार संरचना को युक्तिसंगत व विविध बनाने पर बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ व्यापार का विस्तार करने के लिए सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए तो दूसरी तरफ व्यापारिक संरचना के ढांचे का भी विस्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें कृषि, दुग्ध उत्पाद, खाद्य पदार्थों की प्रोसेसिंग, सूचना तकनीक, औषधि निर्माण तथा वाहनों के पुर्जे के निर्माण आदि क्षेत्रों में व्यापक सहयोग करना चाहिए।

चीनी मशीनरी व इलैक्ट्रोनिक्स उत्पाद आयात-निर्यात वाणिज्य संघ के उपाध्यक्ष श्री ल्यू मए खुन ने चीन-भारत व्यापार सहयोग के बेहतर भविष्य की बात करते हुए कहा, मुझे बड़ी खुशी है कि चीन और भारत के उद्योगपतियों व ग्रेटर मैसूर चैम्बर आफ इन्डस्ट्री के नेताओं को एक साथ दोनों देशों के व्यापार को सुदृढ़ करने तथा दोनों पक्षों के उद्योगपतियों को व्यापार के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने के विषय पर विचार करने का मौका मिला। चीन और भारत एशिया के ही नहीं विश्व के सबसे बड़े विकासशील देश हैं। दोनों देशों के नेताओं के विकास पर विशेष ध्यान देने व दोनों के उद्योगपतियों के उभय प्रयासों से हमें भारी उपलब्धियां प्राप्त हुईं। गत वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी की चीन की यात्रा के समय उनके साथ यहां पहुंचने वाले उद्योगपतियों के प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों से सौभाग्यवश मुझे भी विचारों का आदान-प्रदान करने का मौका मिला। आज हमने चीन-भारत द्विपक्षीय व्यापारिक वार्ता का आयोजन किया है और मुझे विश्वास है कि यह दोनों देशों के व्यापार को और आगे बढ़ाने में एक बड़ा कदम साबित होगी। वार्ता में उपस्थित चीनी उद्योगपतियों की हार्दिक अभिलाषा यही थी कि इस सुअवसर का लाभ उठाकर वे अपने भारतीय साथियों के साथ पूरी संजीदगी से राय-मश्वरा करें औऱ आपसी सहयोग के औऱ अधिक अवसर खोजने तथा द्विपक्षीय घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की भरसक कोशिश करें।

भारत के ग्रेटर मैसूर चैम्बर आफ इन्डस्ट्री की अध्यक्ष सुश्री इन्द्रा प्रेम मेनन की यह पहली चीन यात्रा थी। उन्होंने भावविभोर होकर कहा मुझे सुन्दर शहर पेइचिंग आने की बड़ी खुशी है। हमारी इन्डस्ट्री के बहुत से सदस्यों की भी यह पहली चीन यात्रा है, यहां के सुन्दर दृश्यों ने हमारा मन मोह लिया है। वर्तमान में चीन और भारत का व्यापार मुख्य तौर पर खनिज पदार्थों, खनिज उत्पादों तथा प्लास्टिक व जलीय उपजों जैसे श्रमिक उत्पादों से जुड़ा है। हमें यथाशीघ्र आपसी सहयोग की संभावना के क्षेत्रों को स्पष्ट करना बहुत जरूरी है, ताकि दोनों पक्षों की क्षमता व स्पर्धा की श्रेष्ठता एक-दूसरे को प्रेरित कर सके और दोनों उसका भरपूर प्रयोग कर सकें।उन्होंने कहा कि भारत के पास सूचना तकनीक के बेहतर प्रयोग की खूबियां है, भारत के सोफ्टवेयर उद्योग ने चीन में शानदार प्रदर्शन किया है। एक-दूसरे की श्रेष्ठता के पूरक होने को सोफ्टवेयर ही नहीं, वित्तीय , बैंकिग तथा सेवा जैसे कई क्षेत्रों में उजागर किये जाने की आवश्यकता है। आशा है, चीन और भारत आपसी आदान-प्रदान व सहयोग को अधिकाधिक क्षेत्रों में प्रगाढ़ बनायेंगे।

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