चीन की अल्प संख्यक जाति में से एक मांन जाति की परम्परागत पूजा अनुष्ठान बड़ा प्रभावकारी है और किसी को इस प्रकार की पूजा परम्परा के बारे में जानकारी पाने की उत्सुकता है ।
चीन की मान जाति मुख्यतः उत्तर पूर्व चीन के प्रांतों में रहती है , यह चीन के इतिहास पर खासा बड़ा प्रभाव डालने वाली एक अल्प संख्यक जाति भी है । एक प्राचीन जाति होने के चलते मान जाति की अपनी अनेक विशेष परम्पराएं और रिति रिवाज चल रही हैं , जिन में सामान पूजा अनुष्ठान एक अलग पहचान लिए अत्यन्त प्रभाव डालने वाली प्रथा है . सा मान पूजा अनुष्ठान मान जाति में पूर्वजों की पूजा करने के समय आयोजित होता है , अनुष्ठान बहुत गंभीर्य से परिपूर्ण होता है , मौके पर पूजा करने वाले पूजारी धुन ताल पर नाचते हुए मंत्र जपाते है और पूर्वजों से वरदान मांगते हैं । दरअसल सा मान का अर्थ मान जाति की भाषा में इस प्रकार के अनुष्ठान करने वाले पूजारी से होता है । यह अनुष्ठान काफी रहस्यमय गतिविधि लगती है और आदिम धार्मिक पूजा से जुड़ा आयोजन होता है , पूजा के मौके पर सामान यानी पूजारी अनुष्ठान के विशेष शब्दों में मंत्र का उच्चारण करते हैं , वे नाचते गाते भी दिखाते हैं , मुह से आग फूंक देते है और बर्फीले गुफा तथा तलवारों से लगाए गए टीले पर कठिन और खतरनाक करतबें करते दिखाते हैं ।
अनुष्ठान में सामान द्वारा बोले शब्दों से उन के पूर्वजों के कारनामों का गुणगान किया जाता है यानी किस तरह मान जाति के पूर्वजों ने लाखों मुसिबतों को झेल कर अपनी जाति का विकास किया था । सामान का यह अनुष्ठान मुख्य तरह अपने वंश के पूर्वजों की पूजा की जाती है , इसलिए अनुष्ठान में उपस्थित अधिकांश लोग खानदानी सदस्य हैं , इस का नाम भी खानदानी पूजा कहलाता है ।
मान जाति में प्राचीन काल से पूर्वजों की पूजा प्रथा चली आई है , इस जाति के घरों की पश्चिमी दीवारों पर लकड़ी का एक तख्ता रखा हुआ है , जिस पर पूर्वजों के नाम अंकित हैं , यह परिवार में सब से पवित्र पूज्य चीज मानी जाती है । खानदानी पूजा इसी पश्चिमी दीवार के आगे आयोजित होता है । पूजा अनुष्ठान के आयोजन के मौके पर पूर्वजों के पूज्य तख्ता के अलावा एक देवता की भी पूजा की जाती है , जो दादी फोतो कहा जाता है , यह देवता प्रजन मामले की देखभाल करती है । चीनी समाज विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर सुश्री स्वांग ह फिन ने दादी फोतो का चित्रण पेश करते हुए कहा कि
दादी फोतो असल में पीले रंग के कपड़े से बनाया गया एक गठरी है , उस में पुत्र पोतों के प्रतीक रस्सी डाली जाती है , पीला रंग का यह गठरी पश्चिमी दीवार के उत्तर पश्चिमी छोर पर लटकायी जाती है , इस के साथ वहां विलो पेड़ की टहनियां भी लटकी रहती है , इसलिए दादी फोतो टहनी माता भी कही जाती है । आदि काल के नारी प्रधान समाज में मान जाति के लोग विलो की टहनी की पूजा करते थे ।
मान लोगों की खानदानी पूजा में जहां पूर्वजों के वंश पोषण के योगदान पर आभार व्यक्त होता है । वहां दादी फोतो से संतान संवर्धन की प्रार्थना की जाती है ताकि खानदान फलती फूलती रहे । दादी फोतो नामक गठरे में डाली जाने वाली रस्सियों पर पर गांठ या लाल कपड़े का टुकड़ा बांधे हुए है , जिन की संख्या से परिवारजनों की संख्या व गठन मालूम हो सकता है , गांठ लकड़े का और लाल कपड़ा लड़की का प्रतीक है ।
खानदानी पूजा अनुष्ठान के अलावा मान जाति में मैदानी अनुष्ठान भी होता है । इस का अर्थ बहुत स्पष्ट है , यानी मैदान में प्रकृति की पूजा की जाती है ।मान जाति में प्रकृति में आस्था होती है , वे विभिन्न किस्मों के प्राकृतिक वस्तुओं की पूजा करते हैं और अनेक चीजों को देवता मानते है । सुश्री स्वांग ह फिन ने इस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि
मैदानी अनुष्ठान में आम तौर पर एक बार एक देवता यानी बारी बारी से एक एक देवता की पूजी की जाती है । मैदानी अनुष्ठान की एक अलग विशेषता यह है कि देवता का सामान यानी पूजारी के शरीर में अवतार होता है ।
देवता का अवतार सामान , जिस किसी देवता की पूजा करना शुरू करता है , वह उसी देवता के विशेष अंगविक्षेप की नकल करता है , उदाहरण के लिए देवता बाघ की पूजा लीजिए , देवता बाघ की पूजा के समय पूजारी बाघ के छलांग मारने तथा हुंकार मारने की भंगिमा की नकल करता है । अगर बाज पूजारी में अवतारित हुआ , तो पूजारी बाज के उड़ान भरने की मुद्रा में उस की आवाज भी बना कर देता रहा ।
मैदानी अनुष्ठान में जिन देवताओं की पूजा की जाती है , वे विविध और बेशुमार है , जिन में सुर्य , चांद , तारे , पवन , अग्नि शामिल है , बाघ , बाज , वृक्ष और फुल पौधे भी शामिल है , इन के अतिरिक्त कृषि देवता , आखेट देवता और बुनाई देवी भी शामिल है । पूजी के समय विभिन्न पूजारी यानी सा मान से इन सभी किस्मों के देवताओं के अंगविक्षेपों की नृत्य के रूप में नकल उतारी जाती है , जो बहुत सजीव और ध्यानाकर्षक होती है ।
सा मान पूजा अनुष्ठान से यह जाहिर होता है कि मान जाति के लोग प्रकृति में कितना गाढ़ा आस्था रखते हैं । वे आशा करते है कि इस प्रकार की पूजा से साल भर भंयकर प्राकृतिक प्रकोप नहीं आयेगा , परिवार के सभी सदस्य बीमारी और विपदा से मुक्त रहेंगे और शानदार फसल काटी जाएगी । मैदानी अनुष्ठान बाहर मैदान में आयोजित होने के कारण गांव के सभी लोग भाग लेते हैं । यह गांव का महत्वपूर्ण आयोजन माना जाता है , जो कभी कभार कई दिन रात चलता रहा , गांव वासी देवताओं के अवतारों के रूप में पूजारियों के साथ मिल कर गाते नाचते रहे , यह वास्तव में गांव का उमंग व उल्लास से भरा एक मिलन समारोह का रूप घारण हो गया है ।
हां , आधुनिक युग के प्रभाव से मान जाति का सामान अनुष्ठान बहुत कम आयोजित हुआ , केवल उत्तर पूर्व चीन के कुछ स्थानों में देखने को मिलता है , जो बहुधा वसंत त्यौहार के दौरान दूर दराज गांवों में खानदानी अनुष्ठान के रूप में आयोजित किया जाता है । पर यह इस जाति की एक महत्वपूर्ण एतिहासिक प्रथा है , मान जाति के जीवन का एक अहम भाग रहा और उस का मान जाति के विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ा था , जिस के आधार पर मान जाति के अन्य अनेक रिति रिवाज उत्पन्न हुए हैं ।
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