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(GMT+08:00) 2004-05-10 18:55:25    
चीन में स्वास्थ्य कार्यों की प्रगति

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टीकों को रोगरोधन का सब से कारगर कदम माना जाता है । टीकों के जेरिये छूत के बहुत से रोगों को रोका जा सकता है । बीती आधी शताब्दी में मानव ने कोढ़ , तपेदिक , पीलिया , चेचक , हैजा और प्लेग आदि भयानक रोगों के लिये टीकों के अनुसंधान और उत्पादन में सफलता पायी है ।

टीकों से न सिर्फ संक्रामक रोग रोके जा सकते हैं , इन रोगों के इलाज का खर्च का बचाव भी कम किया जा सकता है । आंकड़े बताते हैं कि खसरे के एक रोगी के इलाज का कुल खर्च , ऐसे 20 टीकों के बराबर बैठता है । और चेचक के टीके प्रति वर्ष दुनिया के 30 करोड़ अमेरिकी डालर बचाते हैं।

चीन में भी अन्य देशों की ही तरह लोग संक्रामक रोगों के शिविर बनते हैं । इसलिये चीन सरकार ने देश में टीका लगाने के काम को विशेष महत्व दिया है । चीनी रोगरोधन सोसाइटी की एक पदाधिकारी सुश्री वांग चाओ का कहना है कि वर्ष 1949 में नये चीन की स्थापना के बाद से चीन सरकार टीकों के जरिये रोगरोधन को बहुत महत्व देती आयी है । नये चीन की सरकार ने अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न संक्रामक रोगों के टीकों का अनुसंधान शुरू कर दिया , जिस में उस ने उल्लेखनीय प्रगति भी प्राप्त की । मिसाल के लिये चीन वर्ष 1960 में ही विश्व के अन्य क्षेत्रों से 10 साल पहले चेचक का विनाश करने में सफल रहा ।

वर्ष 1978 में आर्थिक रुपांतर शुरू होने के बाद , रोग प्रतिरक्षण कार्य को देश के सामाजिक विकास कार्यक्रम में शामिल किया गया । एक सरकारी नियम के अनुसार सभी चीनी बच्चों को तपेदिक , पीलिया , पोलियो , खसरा और डिपथीरिया आदि पांच संक्रामक रोगों का टीका लगाना अनिवार्य दिया जाता है । और ये सब मुफत हैं । इन के अलावा लोग अपने खर्च पर बच्चों को फ्लू और दिमागी सूजन के टीके भी लगवाते हैं ।

चीन ने अपने अल्पसंख्यक जाति-बहुल क्षेत्रों में बच्चों को टीका लगाने के कार्य को विशेष महत्व दिया है । कुछ समय पहले हमारे संवाददाता ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ल्हासा शहर के एक महिला बाल स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया । वहां त्सीरेंबाईचेन नामक एक महिला ने उन से बातचीत में कहा कि मेरा बच्चा दो माह का है , मैं उसे दो बार टीका लगवा चुकी हूं । मुझे मालूम है कि टीके स्वास्थ्य के लिये कितने अच्छे हैं , इन से अनेक रोगों की रोकथाम होती है । इसलिये मैं अपने बच्चे को सारे टीके लगवाऊंगी ।

सिर्फ ल्हासा ही नहीं , देश के सभी शहरों व देहातों में ऐसे विशेष संस्थान खुले हुए हैं , जहां लोगों को टीके लगाने की सुविधा हासिल है । और घासमैदान के पशुपालकों तथा पहाड़ी इलाकों के निवासियों के बच्चों के लिये टीका लगाने की जिम्मेदारी विशेष चिकित्सक उठाते हैं ।

चीन सरकार के अथक प्रयासों से देश के रोग प्रतिरक्षण कार्य में भारी प्रगति प्राप्त हो चुकी है । चीन चेचक और पोलियो का विनाश कर चुका है , और खसरा रोगियों की संख्या भी 1960 के दशक की प्रति लाख 2 हजार से घटकर प्रति लाख 10 तक आ गिरी है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के एशिया व पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र कार्यालय के प्रधान डाक्टर शेकारो ओमी ने इस की चर्चा में कहा कि चीन में एशिया व पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की 80 प्रतिशत तथा विश्व की 20 प्रतिशत आबादी रहती है । विश्व के दायरे से देखें तो पोलियो को नष्ट करने में प्राप्त चीनी सफलता का विशेष महत्व है । खुशी की बात है कि चीन सरकार इस कार्य को बहुत महत्व देती रही है , और उसे जोरदार तरीके से निभाती आयी है , चीन अपने इन उल्लेखनीय कार्यों से एशिया व पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र तथा विश्व के अन्य देशों के लिये एक आदर्श बन कर खड़ा हुआ है ।

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