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(GMT+08:00) 2004-04-29 10:50:52    
दुनिया में चीनी भाषा सीखने का रूझान

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इधर के वर्षों में चीन ने अपनी समग्र शक्ति के बढ़ते के चलते विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता प्राप्त की , और वर्ष 2008 में होने वाले 28वें ओलंपियाद के आयोजन का अधिकार भी जीत लिया । इन प्रगतियों के कारण चीनी भाषा के अध्ययन व अध्यापन ने विश्व भर में भारी जोर पकड़ा है । आज के इस कार्यक्रम में हम पेश करते हैं इस की कुछ जानकारी ।

वर्ष 1992 में विदेशियों की चीनी भाषा में दक्षता की परीक्षा शुरू हुई , जो अपने चीनी नाम के अंग्रेज़ी संक्षेम में एच एस केई कहलाती है । तब केवल 200 विदेशी इस परीक्षा में बैठे थे । पर गत वर्ष एच एस के में कुल 1 लाख 40 हजार लोगों ने भागीदारी की । और अब एच एस के के परीक्षा केंद्र दुनिया के अनेक स्थलों पर फैले हैं ।

चीनी भाषा सीखने वाले विदेशियों में सर्वाधिक जापानी , कोरियाई और वियतनामी हैं । उन के देश चीन के निकट है , और उन की संस्कृति भी चीन से मिलती जुलती है । चीनी भाषा इन देशों में खासी लोकप्रिय है । वियतनाम के शिक्षा व प्रशिक्षण मंत्रालय के पदाधिकारी श्री वू ने कहा कि इधर समय वियतनामी छात्रों में चीनी सीखने का शौक बहुत बढ़ा है । कालेजों के अतिरिक्त बहुत से चीनी भाषा केंद्र खुल गये हैं । बहुत से छात्र अवकाश में भी चीनी सीख रहे हैं ।

एशिया के बाहर पश्चिमी देशों , लातिन अमेरिका तथा अफ्रीका में भी चीनी भाषा के अध्ययन में उभार आया है । चीनी भाषा की रूसी छात्रा सुश्री मारिना ने एक बार माँस्को में एक अमेरिकी युवक के साथ चीनी भाषा में ही बातचीत की । उन्हों ने कहा कि अब ऐसी घटनाएं बहुत आम हो गयी हैं । चीनी भाषा दुनिया में पैठ गयी है , वह दुनिया के विभिन्न देशों के लोगों की संपर्क भाषा बन गयी है ।

पहले विदेशी छात्र इसीलिये भाषा सीखने चीन आये थे , क्योंकि उन की चीनी संस्कृति में दिलचस्पी होती थी । पर आज बहुत से छात्र सिर्फ काम की तलाश के लिये ही चीनी सीख रहे हैं । मिसाल के लिये जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में चीनी भाषा जानने वाले युवाओं के लिये काम ढ़ूढ़ना आसान है । एक आंकड़ा कहता है कि जापान में चीनी भाषा सीखने वाले युवाओं में रोजगार की दर 90 प्रतिशत है , जब कि आम युवाओं के रोजगार पाने की दर 70 प्रतिशत । बहुत से विदेशी छात्र चीनी सीखने के लिये चीन आ रहे हैं । गत वर्ष के अन्त तक चीन पहुंचाने वाले विदेशी छात्रों की संख्या 60 हजार थी , और इस का आधा भाग चीनी भाषा सीखने के लिये आया था ।

श्री कोनोर पेइचिंग नर्मिल विश्वविद्यालय के ब्रिटिश छात्र हैं । उन का चीनी बोलने का लहजा बिल्कुल किसी पेइचिंगवासी का सा है ।हालांकि उन्हों ने यह ज़बान लंदन में सीखी । उन्हों ने कहा कि जब मैं ने लंदन विश्वविद्यालय में चीनी भाषा सीखनी शुरू की , तो हमारी शुरू के महीनों की कई कक्षाएं उच्चारण और लहजे पर केंद्रित रहीं । इसलिये हम शुरू से ही शुद्ध चीनी भाषा सीख सके । उन्हों ने कहा कि उन की योजना पेइचिंग में अपनी चीनी भाषा को और सुधरने और बाद में यहां काम ढ़ूंढ़ने की है ।