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चीन की अल्पसंख्यक जाति

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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-04-27 10:49:09    
चीन की तुंग जाति की लोक गीत गायन परम्परा

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चीन में देश की प्रमुख जाति हान जाति के अलावा 55 अल्पसंख्यक जातियां भी होती हैं । चीन की अल्प संख्यक जातियों की एक विशेषता है कि वे बहुधा नाच गान के शौकिन हैं और नृत्य गान उन के जीवन का एक अभिन्न भाग बन गया है । दक्षिण चीन में रहने वाली थुंग जाति उन में से एक है जो अपनी विशेष शैली के गायन के लिए देश भर में मशहूर है ।

चीन की अल्पसंख्यक जाति --थुंग जाति एक बहुत प्राचीन जाति है , वे आम तौर पर देश के सरहदी क्षेत्रों में रहते हैं । विगत दो हजार पांच सौ सालों के लम्बे समय में वे सामुहिक गान गाने के आदि हो गए । सामुहिक गाना उन के जीवन का एक अभिन्न भाग बन गया , जो पीढियों से अपनी सुरीली आवाज से अपनी जाति की संस्कृति और प्रथाओं को आगे ले जाती है । आधुनिक यांत्रिक युग के प्रचंड सांस्कृतिक प्रहार से भी वह अपना अस्थित्व बनाए रखे हुई है ।

जब हम दक्षिण पश्चिम चीन के क्वे चाऔ प्रांत की लि फिन काउंटी के येन तुंग गांव गए , तो पाया कि यहां कुछ थुंग जातीय बुजुर्गों से बहुत से बाल बच्चे थुंग जाति का गाना सीख रहे हैं । सभी बच्चे लगन से बुजुर्गों की नकल करते हुए गा रहे है और बुजुर्ग कभी कभी रूक कर बच्चों के गायन में आई गलतियों को दूरूस्त करते हैं । 61 वर्षीय वु इंग छिन ने हमें बताया कि वे बच्चों को गायन शिक्षा दे रहे हैं ।

श्री वु कह रहे हैं कि मैं चालीस साल की उम्र में ही बच्चों को सामुहिक गाना सीखाने लगा । उस समय हमारी थुंग जाति का सामुहिक गाना स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया था । हमारी जाति की इस विशेष कला को पीढियों के लिए सुरक्षित करने के लिए अब उसे स्कूली पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया गया । हम स्कूल के प्रबंध के अनुसार हफ्ते में कई एक कक्षाएं देते हैं । अभी जो गीत सीखाया है , उस में बच्चों को माता पिता का सम्मान करने तथा पारिवारिक काम में हाथ बटाने की शिक्षा होती है ।

थुंग जाति की परम्परा के अनुसार दूसरों को गायन सिखाने वाले व्यक्ति गायन गुरू कहलाते हैं । गुरू वु तीन साल की आयु से अपने पिता से गाना सीखने लगा , अब पचास से अधित साल हो चुके हैं । उन के अनुसार येन तुंग गांव में सामुहिक गान गाने की प्रथा है , सरहदी क्षेत्र में रहने के कारण अतीत में बाह्य दुनिया के लोगों को यह मालूम नहीं था , पिछली शताब्दी के पचास वाले दशक में थुंग जाति की गायन विशेषता जगतप्रसिद्ध हो गया । श्री वु की बड़ी बहन ने कुछ पूर्वी यूरोपीय देशों में जा कर थुंग जाति के इस विशेष शैली के गाना प्रस्तुत किए थे , जिस ने वहां के लोगों को मनमुग्ध कर दिया और उन की बहन भी थुंग जाति का ऐसा प्रथम व्यक्ति बन गयी थी , जिस ने थुंग जाति के सामुहिक गीत को विदेशों में ले जाने का सफल प्रयास किया । तभी से उन का गांव भी मशहूर हो गया । दूसरे गांवों के लोग गाना सीखने आने लगे ।

नयी पीढियों में थुंग जाति का सामुहिक गान सुरक्षित करने के लिए श्री वु इंग छिन ने कुछ साल पहले स्कूलों के बच्चों को निशुल्क गाना सिखाना शुरू किया । सालों के अथक प्रयत्नों के बाद अब बच्चों को सामुहिक गान से बड़ा लगाव पड़ा । आसपास के गांवों के बच्चे भी गाना सीखने के लिए उन के गांव आया करते हैं ।

येन तुंग गांव इसलिए भी मशहूर है कि गांव में गायन राजा के नाम से एक बुजुर्ग व्यक्ति रहते हैं , वे श्री वु इंग छिन का पिता वु छी यु हैं । इस साल 90 वर्षीय वु छी यु बड़ी आयु होने पर भी थुंग जाति के सामुहिक गान के शौकिन हैं , हमें बताया गया कि यहां दूर पास के अधिकांश गायन गुरू उन के शिष्य हैं । हम उन के घर भी गए , उस समय़ वे अपने शिष्यों के साथ गाने में मस्त हैं।

थुंग जाति के सामुहिक गान और उस की गायन कला मुख्यतः गुरूयों द्वारा मौखिक रूप से पीढी दर पीढी सुरक्षित हो रहे हैं , उस के लिखित सामग्रियों का खासा अभाव है । इस की वजह से उस की धुन और कला शैली लुप्त होने का खतरा है ।

इस नाजुक स्थिति को बचाने के लिए येन तुंग गांव के स्कूल ने थुंग जातीय गायन को पाठ्यक्रम में शामिल किया और विशेष रूप से शिक्षकों द्वारा गीतों को कलमबद्ध करने का प्रबंध किया । वु श्यान मै इस स्कूल की एक संगीत अध्यापिका है । वे कहती है कि

हमारे स्कूल ने अपनी संगीत कक्षा में सामान्य संगीत के अलावा थुंग जाति के सामुहिक गान कला की शिक्षा का भी बंदोबस्त किया है , पुरानी पीढी के गुरू मौखिक रूप में गाना सिखाते हैं , उन के गीत कलमबंद नहीं है , अब हम ने थुंग जाति के अधिकांश गीतों को थुंग जाति की भाषा में लिख डाला है।

वहां का दौरा करने के दौरान हमें पता चला है कि थुंग जाति की सामुहिक गान कला को पीढियों से सुरक्षित करने की समस्या पर स्थानीय सरकार का ध्यान लगा है । जिल्ला सरकार ने इस साल के अगस्त में औपचारिक रूप से येन तुंग गांव को थुंग जातीय गायन कला का संरक्षित स्थान घोषित किया और उस के संरक्षण में देश के अनेक गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से लाखों चीनी य्वान की धन राशि लगायी . विभिन्न स्थानों से गायन गुरू बुला कर बच्चों को गाना सिखाने में लगाए गए ।

स्थानीय सरकार ने जिल्ला मुख्यालय में एक विशेष स्कूल भी खोला , जिस में थुंग जाति के सामुहिक गान सिखाने की को कला कक्षाएं कायम हुई हैं , इस का मकसद बड़ी संख्या में थुंग जातीय गाना के प्रेमी नौजवानों को नियमित व सुव्यवस्थित प्रशिक्षण देना है । स्कूल के कुलपति श्री वु शी क्वो ने कहा कि

हमारे स्कूल के सभी छात्र हम द्वारा आमंत्रित कला शिक्षकों से विभिन्न गांवों से चुने गए हैं । वे थुंग जाति की गायन कला पर अच्छा अधिकार करते हैं और वे आगे अवश्य प्रतीभाशीली छात्र बन जाएंगे । स्कूल में छात्र थुंग जाति की गायन कला सीखने के अलावा सुबह नृत्य कला भी सीखते हैं और हर दोपहर बाद विभिन्न रूपों में कक्षा से इतर गतिविधियां भी करते हैं , छात्रों में अध्ययन करने का उम्दा माहौल बना रहा है ।

कला कक्षा में हमारी मुलाकात वु चो चो नाम की एक लड़की से हुई , उस ने हमें बताया कि वह अब 15 साल की है और कला कक्षा में दो साल पढ़ चुकी है । वह कहती है कि

हमारा गांव शहर से बहुत दूर है , यहां स्कूल की सुविधा बेहतर है , हम स्कूल में थुंग जाति की गायन कला व थुंग जाति की नृत्या सीखते हैं . वे हमारे मां पाप से ज्यादा ढंग से हमें यह कला सिखा सकते हैं , मुझे अनुभव हुआ है कि स्कूल में बहुत बहुत से ज्ञान प्राप्त हुऐ है । स्कूल से स्नातक होने के बाद मैं ऊपर के स्तर के कला स्कूल में पढ़ने जाना चाहती हूं और हमारी रे फिन काउंटी की थुंग जाति की गायन कला को दूसरे स्थानों में ले जाऊंगी ।

थुंग जाति के सामुहित गान को बेहतरीन संरक्षित करने तथा विश्व में इस प्रकार की विशेष कला प्रसारित करने के लिए रे फिन काउंटी ने भौतिक ऐतिहासिक अवशेष से इतर विश्व सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल करने का आवेदन देने की योजना बनायी है , फिलहाल इस की तैयारी का काम पूरा भी हो गया है ।

येन तुंग गांव के दौरे के समय हमें वहां सामुहिक गानों की प्रतियोगिता देखने का मौका मिला । प्रतियोगिता की विजेता टीम गांव की ओर से काउंटी की थुंग गाना प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी ।

येन तुंग गांव में हुए प्रतियोगिता में बीस से अधिक दलों ने भाग लिया , जिन में बुजुर्ग दल , युवा दल और बाल दल बंटे हुए हैं . प्रतियोगिता में भाग ले रहे सभी गांव वासी थुंग जाति के परम्परागत पोशाक में सुसज्जित हुए हैं , वे अपने सब से अच्छे गीतों को प्रस्तुत कर रहे हैं । गांव के सभी लोग , यहां तक दूर के गांवों से भी लोग गायन प्रतियोगिता देखने आए हैं । प्रतियोगिता दो घंटों तक चली और पूरा गांव मधुर गीतों की लहरों के साथ बह रहा है । थुंग जाति के गीत लोगों के दिलों में घर कर गए हैं ।