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(GMT+08:00) 2004-04-26 15:59:55    
चीन के त्रिघाटी क्षेत्र में एतिहासित अवशेषों की रक्षा

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        चीन के मध्य भाग से गुजरती बहती यांगत्सी नदी चीनी राष्ट्र के विकास के लिए मातृ नदी के रूप में मानी जाती है । नदी के घाटी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में एतिहासित अवशेष सुरक्षित हैं । 37 वर्षीय विद्वान श्री ल्यू जङ ने पिछले दस सालों में नदी के किनारे खड़ी एक मशहूर चट्टान की रक्षा का भरसक प्रयास किया ।

        श्वेत हंस चट्टान की रक्षा की योजना बनाने के लिए श्री ल्यू जङ ने अपने साथियों के साथ मिल कर ढेर सारे काम किये , सर्दियों के दिनों में वे चट्टान पर चढ़ कर उस पर खुदे लेखों की प्रतियां बनाते थे और संपूर्ण संबद्ध सामग्री तैयार कर सुरक्षित करने की कोशिश करते थे । इस काम के लिए वे कभी कभी दिन भर चट्टान पर मेहनत करते रहे , सूखा रोटी और ठंडा पानी खाते थे । उन्हों ने चट्टान पर खुदे लेखों में उल्लिखित एतिहासिक व्यक्तियों के बारे में खोज अध्ययन का काम भी किया । तीन सालों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप उन्हों ने श्वेत हंस चट्टान के इतिहास पर एक पुस्तक लिख कर प्रकाशित करने की कामयाबी हासिल की ।

        श्री ल्यू जङ और उन के साथियों के निरंतर प्रयासों के चलते 2001 में श्वेत हंस चट्टान की रक्षा के काम में आशावान मोड़ आया । चीनी इंजिनियरिंग अकादमी के अकादमिशन श्री क श्यु-रन ने संरक्षण की एक सुयुचित योजना पेश की , जिस के अनुसार श्वेत हंस चट्टान की रक्षा के लिए पानी के अन्दर एक विशाल संग्रहालय बनाया जाएगा , जिस से चट्टान पर लगे ऐतिहासिक अवशेषों की सुरक्षा की गारंटी हो सके , साथ ही इस योजना में दूसरी योजनाओं से कम खर्च भी होगा । इस योजना की मंजूरी के बाद श्री ल्यू जङ को बड़ी राहत की सांस मिली । उन की वर्षों की अथक कोशिश अखिर में कामयाब हो गई है । वे कहते है,श्री क श्यु रन की योजना ने एतिहासिक अवशेषों के संरक्षण व प्रयोग दोनों के सवाल को हल किया है । इस पर मैं बहुत खुश हूं और निश्चिंत भी हो गया हूं ।

        इस साल के फरवरी माह में योजना पर 14 करोड़ य्वान की राशि में काम शुरू हो गया । श्री ल्यू जङ इस परियोजना के मालिक नियुक्त किए गए , वे रोज कार्य स्थल में निर्माण का निरीक्षण करते रहे है । यो तो अब उन्हें दूसरी जगह दौड़ धूप करने की जरूरत नहीं है , फिर भी उन्हें घर लौटने के बहुत कम मौके मिलते है। उन के 12 वर्षीय पुत्र ने उन के नाम एक संदेश भेज कर कहा कि पापा , चार दिन गुजरा है , मुझे आप का सूरत नहीं दिखा । पुत्र का यह वाक्य पढ़ कर दृढ़ संकल्प वाले ल्यू जङ के दिल में बड़ा खटास आया ।

        श्वेत हंस चट्टान की रक्षा की कोशिश में श्री ल्यू जङ को अपनी पत्नी की ओर से प्रबल समर्थन मिला है । पत्ती पत्नी एक विश्वविद्यालय के सहपाठी थे । शादी के बाद अपनी सखियों के पत्ती व्यापार आदि नौकरी से काफी कमाते है , लेकिन अपने पत्ती ल्यू जङ ने अपनी पूरी शक्ति और बुद्धि को पुरातन अवशेषों के संरक्षण में लगाया है , यह एक व्यस्त काम है , पर इस नौकरी का वेतन ज्यादा नहीं है और कभी कभार इस के लिए अपने पैसों का भी खर्च करता है । पत्नी यांग फङ चाहती थी कि पत्ती की यह नौकरी बदलेगी और परिवार का जीवन भी सुधर जा सकेगा । किन्तु जब कभी इस बात की चर्चा छिड़ी , तो ल्यू जङ मौन साध कर प्रतिवाद प्रकट करता था । अपने पत्ती का पक्का संकल्प जान कर पत्नी यांग फङ ने फिर कभी यह सवाल नहीं उठाया । वह जानती है कि पत्ती श्वेत हंस चटटान के संरक्षण काम को सर्वस्व समर्पित हो गया है । संवाददाता के साथ बातचीत में श्रीमती यांग फङ ने कहा,मेरा पत्ती एक पुरातनत्व कार्यकर्ता है , वे अपने कार्य को समर्पित हुए है , इस पर मैं बहुत प्रसन्न हूं । मैं चाहती हूं कि वे अपने काम पर खुश होंगे और इस काम में सफल भी होंगे , तब मुझे कुछ न कुछ कष्ट उठाना पड़ेगा , तो भी मेरी कोई आपत्ती नहीं है ।

        छह सौ साठ किलोमीटर लम्बी त्रिघाटी क्षेत्र में ल्यू जङ की तरह चार हजार से अधिक एतिहासिक अवशेष अनुसंधान विशेषज्ञ कार्यरत हैं , उन का एकमात्र लक्ष्य है कि घाटी क्षेत्र के एतिहासिक अवशेषों की ज्यादा से ज्यादा संख्या में रक्षा की जाए , वे जानते हैं कि जब घाटी के विशाल जलाश्य में पानी पूरी तरह संचित हुआ , तो बहुत से अवशेष जलमग्न होंगे । यो पुरातनत्व काम बहुत कठोर और मजेदार नहीं है । लेकिन ल्यू जङ जैसे विशेषज्ञों को इस में भरपूर रूचि मिलती है । वे कहते है,मैं अपने कार्य को दिलोजान से प्यार करता हूं , इस से मुझे बड़ा आनंद मिलता है , ऐतिहासिक अवशेषों के संरक्षण और उन पर अनुसंधान के दौरान मेरे बहुत से दोस्त हो गए हैं , दिल की बात कहूं कि मैं अपनी इस नौकरी से कभी नहीं छोड़ूंगा ।