उत्तरी चीन के ह पए प्रांत के छी था थो गांव के अधिकतर लोगों का कुल नाम वांग है और आज वांग परिवारों वाला यह गांव प्रांत का जाना माना अमीर गांव बन गया है। गांववासियों की औसत वार्षिक आय है 7000 व्येन। छी था थो गांव के अमीर होने का राज उस प्लास्टिक ग्रीन हाउस में छिपा है जिसमें सब्जी की बुआई होती है। गांव के कोई 90 प्रतिशत लोग ऐसे ग्रीन हाउसों में किस्म-किस्म की सब्जियां उगाते हैं। गांव में प्रवेश करते ही आप को कतारों में खड़े अनेक ग्रीन हाउस नजर आएगें। खेतों में व मकानों के आगे-पीछे प्लास्टिक के ग्रीन हाउस इस गांव में एक अद्भुत दृश्य बनाते हैं। इनके अन्दर विभिन्न प्रकार की हरी ताजा सब्जियां उगती दिखती हैं।
20 वर्ष पहले इस गांव में सब्जी नहीं, केवल गेहूं व मकई जैसी फसलें उगाई जाती थीं पर इन से मिलने वाली मजदूरी लम्बे समय तक गांववालों के जीवन में कोई सुधार न ला पाई। धन्य हैं गांव के नेता वांग छांग कुए और वांग छिंग सुआन जिन के नेतृत्व में आज गांववासी अमीरी के रास्ते पर चल निकले हैं।
50 वर्षीय वांग छांग कुए भोले-भाले किसान हैं। उन्होंने बताया कि गांववासियों की आय बढ़ाने के लिए गांव के नेतृत्व समूह को पूरा दिमाग खपाना पड़ा क्योंकि गांव के पास 200 हैक्टर जमीन के अलावा और कोई खास संसाधन नहीं थे। उद्योग शुरू करने की बात सोची नहीं जा सकती थी और व्यापार व दूसरे उद्यम चलाना भी मुमकिन न था। ऐसे में वांग और उनके साथी आखिरकार इस फैसले पर पहुंचे कि गांव में जमीन समतल है, भूमिगत पानी की गारंटी है और मिट्टी भी उपजाऊ है तो क्यों न सब्जी उगाने की कोशिश की जाए। हो सकता है हम सचमुच इससे पैसा कमा लें।
1984 में श्री वांग छांग कुए ने पड़ोस के एक गांव के नेता श्री वांग छिंग सुआन के साथ मिल कर पहले ग्रीन हाउस की स्थापना कर सब्जी उगाने की पहल की। कुछ सालों के परीक्षण ने साबित किया कि गांव में सब्जी उगाने की सचमुच बेहतरीन स्थिति मौजूद है।इस पर दोनों गांवों के नेताओं ने सभी गांववासियों को एकत्र कर प्लास्टिक ग्रीन हाउस के प्रयोग को एक अभियान का रूप देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, मैंने जब से प्लास्टिक ग्रीन हाउस में सब्जी उगाना शुरू किया तब से यही पाया कि 0.1 हैक्टर के एक ग्रीन हाउस में उगाई गई सब्जी तीन हैक्टर भूमि की गेहूं व मकई की उपज जितनी आमदनी हासिल करा सकती है।
एक साल की सब्जी की उपज से मिली आमदनी से कुछ गांववासियों का मन खुशी से फूला न समाया। धीरे-धीरे अन्य गांववासी भी प्लास्टिक ग्रीन हाउस में सब्जी उगाने वालों की पंक्ति में शामिल हो गए । वर्ष 2000 में पूरे गांव में 1400 से अधिक प्लास्टिक ग्रीन हाउस उभर आए और छी थो था गांव प्लास्टिक ग्रीन हाउस के नाम से मशहूर हो गया।
सब्जियों के हाथोंहाथ बाजार में बिकने से किसानों को आर्थिक लाभ मिला । गांव के नेता वांग छांग कुए ने बाजार की बढ़ती स्पर्धा को देखते हुए जल्द ही गांव के लिए सब्जी उत्पादन की रणनीति तय की। श्री वांग ने पाया कि ज्यादा किस्मों की सब्जियां उगाने से बेहतर होगा कि एक ही किस्म की बढ़िया सब्जी उगाई जाए, इस तरह बाजार में आसानी से प्रवेश किया जा सकता है। उनके सुझाव पर गांव के अधिकतर लोगों ने टमाटर उगाने पर जोर दिया। गत वर्ष पूरे गांव की टमाटर की वार्षिक उत्पादन मात्रा 15 हजार टन रही। छी था थो गांव का टमाटर आकार में बड़ा ही नहीं होता उसका रंग चमकीला लाल और गुणवत्ता भी श्रेष्ठ है। मानव शरीर को जरूरी कैल्शियम, लोहा, जस्ता आदि तत्व इस टमाटर में प्रचुर मात्रा में हैं । श्री वांग के गांव का टमाटर इसीलिए बहुत जल्द ही सब्जीमंडियों में लोकप्रिय हो गया और कई मंडियों ने तो गांव के साथ अनुबंध भी कर लिया। टमाटर की भारी मांग के बारे में अन्य गांव के नेता श्री वांग छिंग सुआन ने खुशी से कहा, हमारे गांवों द्वारा उगाये गये टमाटर की पेइचिंग, थ्येनचिन जैसे बड़े शहरों समेत उत्तर-पूर्वी चीन के विशाल इलाकों में भारी मांग है। टमाटर के मौसम में हमारे यहां रोजाना 50 से 60 ट्रक टमाटर खरीदने आते हैं। हमारे टमाटरों की कितनी जबरदस्त मांग है, यह आप खुद देख सकते हैं।
गांववासियों के चेहरों पर जेबों में पैसा भरते चलने से मुस्कराटें बढ़ने लगीं । यहां तक कि गांव छोड़ कर बाहर के इलाकों में पैसा कमाने गए किसान धीरे-धीरे गांव वापस लौटने लगे हैं। लोगों ने हिसाब लगाया कि हर साल दो-तीन सौ लोग मिस्त्री का काम करने बाहर जाते हैं पर प्रति व्यक्ति 10 हजार य्वेन ही कमा पाता है , जबकि एक प्लास्टिक ग्रीन हाउस की सब्जी की आय तीन महीनों में ही 10 हजार य्वेन पहुंच जाती है । अब पूरे गांव में प्लास्टिक ग्रीन हाउसों की संख्या 2950 है औऱ 1600 किसान इन प्लास्टिक ग्रीन हाउसों में जुटे हैं। इनसे पिछले तीन सालों में गांववासियों की औसत आय 20 प्रतिशत की गति से बढ़ी है।
गांववासी दीदी वांग सु चंग ने हमारे संवाददाता को बताया कि उन्होंने दस साल पहले प्लास्टिक ग्रीन हाउस बनाया था और उनका धन्धा लगातार बेहतर चल रहा है। दो साल पहले उनके पति शहर में मजदूरी करने गये थे और अब वापस लौट आये हैं और उनका सब्जी उगाने में हाथ बंटा रहे हैं। आमदनी पहले से कहीं अधिक हो गई है। अपने तीनों बच्चों की स्कूल की पढ़ाई के खर्च के अलावा उन्होंने एक सुन्दर घर भी बनवा लिया है। उन्होंने कहा, मैंने 1992 में प्लास्टिक ग्रीन हाउस की स्थापना की थी। सर्दी के मौसम में आधे हैक्टर के गर्म ग्रीन हाउस और गर्मियों के 0.1 हैक्टर के ग्रीन हाउस दोनों में सब्जी उगाने से मुझे मिलने वाली आय कई हजार य्वेन पहुंचती है। मेरी सब्जियों की पेइचिंग, उत्तर-पूर्वी चीन के छांगछुन व हुहाहात शहरों की मंडियों में बड़ी मांग है।
हमारे संवाददाता ने देखा कि दीदी वांग सु चंग के प्लास्टिक ग्रीन हाउस में पड़ोसी गांवों की कई किसान बहनें भी उनका हाथ बंटा रही थीं। पूछने पर मालूम चला कि दीदी वांग के प्लास्टिक ग्रीन हाउसों की संख्या ज्यादा है और सब्जी के मौसम में उन्हें बाहर से मजदूरों की जरूरत पड़ती है। सो ये बहनें उनके प्लास्टिक ग्रीन हाउस में मजदूरी कर रही हैं। एक प्रौढ़ महिला ने बताया कि वे घर में कुछ पशु पालती हैं औऱ समय मिलने पर यहां घन्टे दो घन्टे मजदूरी कर एक दिन में 10 या 20 य्वेन कमा लेती हैं। इससे पशु चराने या खेती करने पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। ऐसी कामगर महिला छी था थो गांव में एक महीने में सौ य्वेन से कुछ अधिक कमा लेती हैं। पड़ोसी गावों के किसान भी यहां मजदूरी करना पसंद करते हैं। फिलहाल छी थो था गांव में बाहर से आए मजदूरों की संख्या 800 से अधिक है। यह है प्लास्टिक ग्रीन हाउस वाले इस गांव की कहानी जो आज किसानों को अमीरी के रास्ते पर ले जा रहा है।
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