• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-04-02 15:51:06    
नीति कथा-- खुशामद पसंद करने वाला बाघ

cri

जंगल में बंदर की एक विशेष जाति रहती है , इस जाति के बंदर शरीर में हल्का व चुस्त और पेड़ पर चढ़ने में माहिर होता है । उस के पंजे तेज चाकू की भांति हैं । वह वन-राजा के नाम से मशहूर बाघ को खुशामद करना जानता है ।

बाघ के सिर में अकसर खुजनी आती है , खुजनी असह्य होने पर बाघ पेड़ के तन पर सिर रगड़ रगड़ कर खुजनी को दूर करने की कोशिश करता है । इसे देख कर बंदर ने बड़ी मीठी शब्दों में कहा कि बाघ दादा , देखो , पेड़ का तन बड़ा गंदा है , फिर तो इस पर सिर रगड़ने से खुजनी दूर भी नहीं हो सकती । बेहतर है कि मैं आप की खुजनी का अन्त करने आप के सिर पर खजाता हूं । यह कह कर बंदर फांद कर बाघ के सिर पर जा बैठा और अपने तेज पंजों से बाघ के सिर को खजाने लगा । बाघ को बड़ा राहत आया और आंखों की पलकें बन्द किए खुर्रद लेने लगा । उस के सिर पर बंदर के पंजों में धीरे धीरे जोर पकड़ा जा रहा है , उस ने तेज पंजों से बाघ के खोपड़ी पर आहिसते आहिसते एक छोटा सा छेद बनाया ,और पंजे को अन्दर प्रवेश कर बाघ के खोपड़ी का मस्तिक निकाल कर चबाया । भर पेट खाने के बाद बंदर ने बचे हुए कचरा बाघ के आगे पेश कर भेंट किया और कहा ,बाघ दादा ,जब आप झपकें ले रहे थे ,मैं कहीं कुछ मांस ढूंढ कर लाया है ,उसे मुझे खुद खाने की हुड़द नहीं है , तो आप को भेंट कर दूंगा , उम्मीद है कि आप इस छोटी सी भेंट पर असंतुष्ट न हों । बंदर के वाक्य से बहुत ही प्रभावित हो कर बाघ ने कृपा अदा करते हुए कहा , तुम सचमुच मेरा वफादार सेवक हो ,तुम खुद बड़ी भूख लगने पर भी मेरी सेवा करते हो ,इस के लिए मैं तुम्हारा आभारी हूं । यह कहते हए बाघ ने अपना मस्तिष्क गले के अन्दर डाल दिया ।

दिन पर दिन गुजरता रहा ,बाघ के मस्तिष्क को बंदर से खोखला किया जा रहा है । उस के सिर में इतना दर्द शुरू हुई मानो , खोपड़ी अभी ही फट जाए ,अभी ही फट जाए । तब जा कर उसे मामुल हो गया है कि वह बंदर के चाल में फंस गया है । वह छपटते हुए बंदर को प्रतिशोध के लिए ढूंढ़ने लगा ,किन्तु इस समय बंगर कब ही ऊंचे पेड़ पर चढ़ कर छिप गया । बाघ बड़ी पच्यताप कर कई हुंकार करके जमीर पर गिर पड़ा और वहीं लुढ़कते लुढ़कते खेत हो गया ।

इस कथा से यह शिक्षा है कि तुच्छ वालों की मीठी बातों में ना आए ,किसी की खुशामदी से दूर रहे । तभी बदनियती से अपने की रक्षा की जा सकती है ।