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(GMT+08:00)
2004-03-26 17:19:00
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चीन का चंद्रमा सर्वेक्षण अभियान
cri
चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष ब्यूरो के प्रभारी श्री ल्वान एन चे ने कल पेइचिंग में एलान किया कि छांग -अ एक चीनी चंद्रमा सर्वेक्षण उपग्रह दिसम्बर 2006 में अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा , यह चंद्रमा के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की चीन की प्रथम कोशिश है । चीन की चंद्रमा सर्वेक्षण योजना के अनुसार वर्तमान चरण में चंद्रमा के परिक्रमा के लिए उपग्रह व वाहक राकेट , भू-केन्द्र ,प्रक्षेपण तथा सर्वेक्षण व नियंत्रण जैसी पांच प्रमुख व्यवस्थाओं का काम आरंभ हुआ है ।
चीन ने इस साल के जनवरी माह में चंद्रमा सर्वेक्षण योजना शुरू की है , इस योजना का नाम इसलिए छांग-अ परियोजना रखा गया है कि चीन की एक मशहूर प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार छांग -अ नाम की एक परी पृथ्वी से उड़ कर चंद्रमा पर जा बसी थी , इस से यह जाहिर है कि चीनी लोगों में चंद्रमा पर आरोहण होने का सपना सदियों से संजोए रहा है । चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष ब्यूरो के प्रभारी श्री ल्वान एन चे ने इस योजना की चर्चा करते हुए कहा कि चन्द्रमा सर्वेक्षण योजना का मुख्य लक्ष्य ऐसा उपग्रह छोड़ना है , जो चंद्रमा का परिकर्मा करते हुए उस का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करेगा । वे कहते हैः चंद्रमा सर्वेक्षण योजना का मुख्य लक्ष्य छांग -अ एक उपग्रह छोड़ना और चंद्रमा पर सर्वेक्षण व अनुसंधान चलाना है । चीन इस सर्वेक्षण के जरिए चंद्रमा की सतह का त्रिआयामी इमेज प्राप्त करना , चंद्रमा की भूमि का मोटाई का पता लगाना , चंद्रमा पर मौजूद उपयोगी भौतिक व रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करना और चंद्रमा व पृथ्वी के बीच के अंतरिक्ष के पर्यावरण का सर्वेक्षण करना चाहता है ।
चंद्रमा सर्वेक्षण का यह काम पृथ्वी से चार लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में चीनी अंतरिक्ष यान की प्रथम उड़ान होगा । यह चीन के लिए पहला ऐसा मौका होगा , जिस से पृथ्वी से पर बाह्य ग्रह का नजदीकी से सर्वेक्षण किया जाए । इस योजना में एक अरब चालीस करोड़ य्वान का खर्च होगा । चीन के अंतरिक्ष कार्य के विकास हुए अब चालीस से अधिक साल हो गए हैं , इस दौरान चीन ने अपनी शक्ति के भरोसे वाहक राकेट , उपग्रह और अंतरिक्ष यान के अनुसधान व निर्माण में उल्लेखनीय कामयाबियां हासिल की है , पिछले साल चीन ने सफलतापूर्वक समानव अंतरिक्ष यान छोड़ा । यह सब सफलता मिलने के बावजूद चीन के लिए चंद्रमा का सर्वेक्षण करने की कोशिश में तकनीक की दृष्टि से अनेक चुनौतियां मौजूद हैं ।
चंद्रमा सर्वेक्षण योजना के डिजाइनेर जनरल श्री सुन चा तुंग ने बताया कि योजना के लिए सब से कठिन सवाल चंद्रमा तक का फासला बहुत लम्बा है । अब तक चीन द्वारा निर्मित अंतरिक्ष यान महज पृथ्वी से कुछ दसियों हजार किलोमीटर की दूरी तक जा पहुंचे थे , पृथ्वी से चार लाख किलोमीटर दूर चंद्रमा तक पहुंचने के लिए हमारे सामने बहुत सी कठिनाइयां हैं ,जिन्हें आने वाले तीन सालों के अन्दर हल करना चाहिए , स्पष्ट है कि यह कार्य काफी भारी है । श्री सुन कहते हैः हम इस योजना की कठोरता अच्छी तरह समझते हैं , खास कर धन राशि तंग होने की स्थिति में इस योजना की तकनीकी चुनौति को पूरी तरह समझना चाहिए । चंद्रमा के सर्वेक्षण के लिए उपग्रह , वाहक राकेट तथा सर्वे-नियंत्रण की अनेक नई नई समस्याएं पैदा होंगी , उन्हें दूर करना चाहिए ।
योजना कठिन होने पर भी चीनी वैज्ञानिकों का 2006 के अंत में उपग्रह छोड़ने की सफलता पर पूरा विश्वास है ।चंद्रमा सर्वेक्षण योजना के प्रायोगी काम के प्रमुख वैज्ञानिक श्री ओयांगचीयुन्न ने कहा कि चंद्रमा सर्वेक्षण में चीन का प्रयास अमरीका और पूर्व सोवियत संघ से बहुत ही देर से हुआ है , लेकिन उस के वैज्ञानिक अनुसंधान के विष्यों व तरीकों तथा तकनीकों में उन्नतिशीलता और नया सृजन पाये गए हैं , वे कहते हैः वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में हमारी नई कोशिश है , जो पहले किसी ने नहीं किया था । हमारा अनुसंधान दूसरों से परिपूर्ण और गहन है , जैसा कि हम चंद्रमा की त्रिआयामी इमेज बनाएंगे , जिस में चंद्रमा व दक्षिण व उत्तरी ध्रुव भी शामिल होंगे , यह काम दूसरों से अधिक उन्नतिशील है ।
सूत्रों के अनुसार चंद्रमा सर्वेक्षण योजना के तहत अगले साल सर्वेक्षण की दूर संचार व्यवस्था और भू-केन्द्र व्यवस्था के रूपांतर व निर्माण का काम पूरा किया जाएगा , अक्तूबर 2006 से पहले उपग्रह और राकेट व्यवस्था का काम समाप्त किया जाएगा । इस सर्वेक्षण योजना को पूरा करने के बाद चीन चंद्रमा की सतह पर चंद्रमा यान उतार भेजेगा ।
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