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(GMT+08:00) 2004-03-23 08:31:08    
चीनी संस्कृति उद्योग के विकास में विभिन्न व्यवसायों की सहयोगी भूमिका

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इधर के वर्षों में चीनी संस्कृति तंत्र एक नई दिशा में बढ़ता दिखा है और संस्कृति तेज़ी से विकसित होते एक विशेष उद्योग का रूप ले रही है। संस्कृति के बाज़ार के विकास के चलते चीन में विभिन्न विभागों और व्यवसायों के बीच की दूरियां मिट गयी हैं और अधिकतर चीनी उद्योग चीनी संस्कृति व्यवसाय के विकास में सहयोग कर रहे हैं।

हाल के वर्षों में "वैलेंटाइन्स डे","मदर्स डे" और "क्रिस्मस" जैसे विदेशी त्योहारों ने चीन में लोकप्रियता पाई। ये त्यौहार विभिन्न चीनी उद्योगों के लिए व्यापार की भारी गुंजाइश ले कर आये । इस वर्ष "वैलेंटाइन्स डे" पर राजधानी पेइचिंग में कुछ फ़िल्म निर्माण कंपनियों , प्रकाशनगृहों और फूल विक्रेता कंपनियों ने संयुक्त रूप से प्रेमकथा के पाठ की गतिविधि आयोजित की । 13 से 15 फ़रवरी तक पेइचिंग के दसियों सिनेमाघरों में प्रेमकथाएं प्रदर्शित रहीं और फूलों की दुकानों में फूलों और अन्य उपहारों के साथ प्रेमियों के लिए "प्यार पर ताला नहीं" नामक प्रेम उपन्यास भी मौजूद था । इसने प्रेमी-प्रेमिकाओं को एक-दूसरे के प्रति अपना प्यार व्यक्त करने के लिए ताज़ा फूल और चौकलेट के अलावा और एक विकल्प दिया। इस तरह इस वर्ष वैलेंटाइन दिवस के दौरान मंनोरंजन व्यापार का एक नया पहलू सामने आया जिसे पेइचिंग के संस्कृति बाज़ार को समृद्ध करने की कोशिश माना गया।

कुछ समय पूर्व तक संस्कृति को चीन में एक विचार भर माना जाता था। तब संस्कृति के क्षेत्र में केवल देश की पूंजी लगी होती थी और इस का पूरा प्रबंध सरकार के हाथ में था। ऐसे में लोगों के मन में संस्कृति के बाज़ार या उससे जुड़ी स्पर्द्धा का विचार भी नहीं था। संस्कृति उद्योग का तो तब नामोनिशान तक नहीं था। उदाहरण के लिए चीनी सिनेमा तंत्र एक व्यापारिक संस्था होने के बजाय ऐसी व्यवस्था था ,जिस पर सिर्फ़ फ़िल्मों के प्रदर्शन का दायित्व था । प्रदर्शित की जाने वाली फ़िल्म उसे सरकार प्रदान करती थी । सिनेमा दर्शक जुटाने का भी काम करता था और उसका फ़िल्म की लोकप्रियता और उसे हो सकने वाली कमाई पर ध्यान नहीं था। यह स्थिति संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद थी । इस तरह विभिन्न उद्योंग-धंधों के बीच कोई आदान-प्रदान भी नहीं था । खैर, चीन में समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था के विकास के चलते,आम लोगों का जीवन स्तर लगातार ऊपर उठता जा रहा है और संस्कृति दिन ब दिन आम उपभोग का हिस्सा बनती जा रही है। चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, इधर के वर्षों में चीनी नागरिकों की सांस्कृतिक उपभोग दर हर साल 10 प्रतिशत के अंक से बढ़ी है और साथ ही आधुनिक तकनीक व इंटरनेट संबंधी सांस्कृतिक उत्पादों के प्रयोग में खासी वृद्धि हुई है। चीनी लोगों के सांस्कृतिक उपभोग के तरीके व आदत में बड़ा परिवर्तन आया है औऱ उसने बाजार का रुख किया है। इधर बाज़ार की बढ़ती स्पर्द्धा के मद्देनज़र सभी सिनेमाघरों , प्रकाशन गृहो तथा प्रदर्शन संस्थाओं के सामने ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं को आकृष्ट कर अपने लाभ का विस्तार करने की चुनौती आ खड़ी हुई है।

इस वर्ष वेलेन्टाइन दिवस के दौरान आयोजित फिल्म कंपनियों, प्रकाशकों व फूल व्यापारियों की संयुक्त गतिविधि बहुत सफल रही। आयोजकों ने इससो लाभ की फ़सल काटी। राजधानी के 50 से ज्यादा सिनेमा घर पेइचिंग की एक ही फिल्म कंपनी के नियंत्रण में हैं। इस कंपनी के प्रबंधक श्री गाओ चुंग ने कहा कि वैलेन्टाइंस डे की इस गतिविधि से विभिन्न संस्कृति व्यवसायों के बीच सहयोग की नयी खोज की जा सकी ।

उन्होंने कहा कि हम ने इस आयोजन से हमें हो सकने वाले लाभ के अलावा अन्य कई विषयों पर गहरा सोच-विचार किया। मुझे लगता है कि आज के समय में कारोबारों का मुख्य उद्देश्य उभय प्रगति व हित साधन होना चाहिए। भविष्य में विभिन्न कारोबारों व व्यवसायों के बीच सहयोग एक रुझान बन सके हम अब इस संभावना की खोज कर रहे हैं।

कुछ समय पूर्व चीनी संस्कृति मंत्री श्री सुन च्या जेंग ने संस्कृति के विकास का "दुपहिया " विचार पेश किया। इसके अनुसार संस्कृति की गाड़ी का एक पहिया जन संस्कृति के तीव्र विकास के रास्ते पर होगा। सरकार जन संस्कृति के विकास में ज्यादा पूंजी लगाने के साथ समाज की भागीदारी को प्रेरित करेगी और दूसरा पहिया संस्कृति उद्योग को विकास और संस्कृति के बाजार को विस्तार की राह पर ले जायेगा। चीनी संस्कृति मंत्री ने कहा कि सरकार संस्कृति के प्रबंध में सुधार को आगे ले जाने के साथ विभिन्न खोजों व परीक्षणों को समर्थन देगी ।

उन्होंने कहा कि सुधार का लक्ष्य आर्थिक समृद्धि है, आर्थिक समृद्धि जनता की सांस्कृतिक मांग की पूर्ति करती है और सांस्कृतिक विकास में समाजवादी बाज़ार अर्थव्यवस्था बड़ी सकारात्मक भूमिका निभा सकती है । परीक्षण के ताजा दौर में हम सुधार की विभिन्न खोजों व प्रयोगों का समर्थन करते हैं ।

पेइचिंग की जिस फ़िल्म कंपनी की कुछ देर पहले हमने बात की थी उसने संस्कृति व्यवसायों के बीच सहयोग को सुधार कर बड़ा लाभ प्राप्त किया है। 1998 में कंपनी ने अमरीकी फ़िल्म "टाइटैनिक"के प्रदर्शन के साथ इस फिल्म की कहानी भी बेची और इस तरह दोहरी सफलता पाई । इधर के वर्षों में कंपनी अनेक बार निभिन्न प्रकाशन कंपनियों के साथ सहयोग कर चर्चित फ़िल्मों के प्रदर्शन के दौरान उनकी कथाएं बेचने में बड़ी सफल रही।

इस वर्ष वैलेन्टाइंस डे पर पेइचिंग में जैसी संयुक्त गतिविधि आयोजित रही वैसी गतिविधियां विदेशों में नियमित रूप से होती रही हैं। चीन में ऐसे सहयोगी आयोजन अभी परीक्षण के दौर में ही हैं । राजधानी की एक प्रकाशन कंपनी के मुख्य डिजाइनर श्री वांग वू प्रथम बार ऐसी संयुक्त गतिविधि में शरीक रहे। उन्होंने कहा कि अनेक देशों के सिनेमाघर फ़िल्म के दर्शकों को उपभोक्ता मानकर चलते हैं । हम प्रकाशक भी अपने पाठकों को उपभोक्ता बनाने का परीक्षण करना चाहते हैं ।

उन्होंने कहा कि "वैलेन्टाइंस डे" की संयुक्त गतिविधि का महत्व उससे प्राप्त लाभ मे नहीं है । दरअसल वह इस त्योहार को मुख्य विषय बनाकर विभिन्न व्यवसायों को पारस्परिक सहयोग के लिए एकजुट करनेर में है । इस तरह हम देख पाये हैं कि विभिन्न उद्योग-उद्यम आपस में किस तरह सहयोग कर सकते हैं। इस से समाज के अधिक से अधिक संसाधनों का अधिकतम प्रयोग भी किया जा सकता है। मेरा विचार है कि सब से महत्वपूर्ण बात यही है ।

चीन में संस्कृति के बाज़ार में विभिन्न व्यवसायों के बीच सहयोग अब साधारण बात हो गयी है । विभिन्न उद्योग एक-दूसरे के पूरक की तरह काम कर रहे हैं जिससे अनका भारी विकास हो रहा है ।इधर चीनी पेइचिंग ऑपेरा मंडल और पेइचिंग गो ह्वा संस्कृति विकास कंपनी की बड़े पैमाने की संयुक्त प्रस्तुति "चीनी राजकुमारी थुलान्डोर" भी बड़ी सफल रही । इसने भी चीनी उद्योग और राष्ट्रीय स्तर के कला मंडलों के सहयोग की कोशिश को बहुत मूल्यवान सिद्ध किया।

चीन सरकार अब राष्ट्रीय पूंजी वाले कारोबारों के देश के संस्कृति बाज़ार में प्रवेश को प्रेरणा व समर्थन दे रही है । इससे विभिन्न क्षेत्रों, विभागों तथा व्यवसायों की सीमाएं टूट रही हैं। विश्वास है कि समाजवादी बाज़ार अर्थतंत्र के विकास के चलते निकट भविष्य में चीन का संस्कृति उद्योग भी समृद्ध हो सकेगा।