• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2004-02-23 19:39:23    
चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति

cri
चीन में हान जाति के अलावा मंगोलिया , ह्वेई , वेवूर , तिब्बती जैसे 55 अल्पसंख्यक जातियां भी हैं । विभिन्न जातियों की अपनी अपनी परंपरा और संस्कृति हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को उत्तरी चीन में रहने वाली मंगोल जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की कुछ जानकारी दे रहे हैं । मंगोलिया जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति 700-800 साल पुरानी है । भीतरी मंगोलिया अस्पताल के प्रोफेसर श्री जिगमूदा ने कहा कि मंगोल जाती लम्बे समय के लिये सर्दी और वेट घासमैदान पर पशुपालन का जीवन बीती रही , इसलिये मंगोल के लोगों को अधिक तौर पर सर्दी , हड्डी और Stomach tummy bug आदि रोग से ग्रस्त रहते हैं । इन बिमारों का सामना करने के लिये मंगोल के लोग बहुत से पहले ही जड़ी बूटी , कुछ विशेष भोजनों और एक्यूपेंक्चर आदि का इस्तेमाल शुरू किया था । 13वीं शताब्दी में मंगोल जाति की परंपरागत चिकित्सा पद्धति आम तौर पर संपन्न हो चुकी थी और इस के बाद मंगोलिया की चिकित्सा पद्धति का अपना सिद्धांत भी जन्म हुआ था । मंगोलिया के डाक्टर ईलाज करने में घासमैदान पर रंग भिरंगे जड़ी बूटियों को छोड़कर अन्य कुछ विशेष उपाय भी अपनाते हैं । उदाहरण के लिये मंगोलिया के डाक्टर अक्सर जड़ी बूटी से बनाये दवाओं को सफेद टावेर में रखकर और फिर इसे गर्म बनाने के बाद बिमारी के शरीर पर रखते हैं , जो tummy bug आदि रोग से बहुत प्रभावित है । नये चीन की स्थापना के बाद चीन सरकार ने अल्पसंख्यक जातीयों की परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अनुसंधान व विकास को काफी महत्व दिया । चीन में मंगोलियाई परंपरागत चिकित्सा पद्धति के लिये एक विशेष स्कूल स्थापित किया , जिस में आधुनिक तरीके से परंपरागत चिकित्सा पद्धति का अध्ययन कराया जाता है । इस के अलावा चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश आदि क्षेत्रों में कुल 39 अस्पताल रखे गये हैं , जिन में मगोलिया की परंपरागत चिकित्सा से बिमारों का ईलाज किया जाता है । भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की राजधानी हू-ह-हाओ-ट में खड़े मंगोलियाई जातीय अस्पताल के डाक्टर हांग-गैइ-पाट , परंपरागत उपायों से खूनी बिमार तथा कैंसर आदि का ईलाज करने में बहुत मशहूर हैं । उन्हों ने कहा कि परंपरागत चिकित्सा पद्धति से न सिर्फ देश में , बल्कि अन्य देशों के बिमारियों को भी आकर्षित है । अमेरिका , ओस्ट्रेलिया , जापान , रूस और खासकर पड़ोसी देश मंगोलिया से बहुत से बिमारी यहां ईलाज लेने आते हैं । मंगोलियाई परंपरागत चिकित्सा पर दुनिया का ध्यान आकर्षित है । गत वर्ष हू-ह-हाओ-ट शहर में प्रथम मंगोलियाई परंपरागत चिकित्सा अनुसंधान सभा आयोजित हुई । जापान , कोरिया और मंगोलिया आदि दसेक देशों के विशेषज्ञों ने सभा में भाग लिया और मंगोलियाई परंपरागत चिकित्सा के अनुसंधान व विकास पर विचार विमर्श किया । स्वायत्त प्रदेश के विज्ञान व तकनीक विभाग के उप प्रधान श्री मा च्यांग ने कहा कि मंगोलियाई परंपरागत चिकित्सा का विकास करने का उज्जवल भविष्य है । हम ने जैविकी संसाधन व मंगोलियाई दवा का अनुसंधान व विकास करने के लिये एक विशेष दल स्थापित किया । हमारी आशा है कि मंगालियाई दवाओं के उत्पादन से हमारे स्वायत्त प्रदेश के आर्थिक विकास को मदद मिलेगी ।