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(GMT+08:00) 2004-02-17 08:58:23    
चीन में अरब संस्कृति का विकास

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        चीन की 56 जातियों में से दस जातियों के लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं , उन्हों ने चीन में अरब संस्कृति का विकास किया और चीनी राष्ट्र की संस्कृति में अपना अलग पहचान बनायी ।
        दोस्तो , आज से एक हजार तीन सौ साल पहले  बड़ी संख्या में अरब लोग हजारों मील दूर अरब से चीन के तत्कालीन तांग राज्य में पढ़ने आए और यहां बस भी गए । कुरान में यह सुयुक्ति पढ़ने को मिलती है कि पढ़ने के लिए दूर दराज चीन भी जाओ । इस से जाहिर होता है कि प्राचीन काल में ही चीन और अरब के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान हो रहा था । चीन में आ बसे ऐसे प्राचीन अरब लोग चीन के प्राचीनतम मुसलमान कहला सकते हैं । उन के पभाव में आ कर चीनी मुसलमान पीढ़ियों से चीन की भूमि पर पले बढ़े और सदियों से अरब संस्कृति और रितिरावाजों का चीन की स्थिति के अनुरूप विकास किया और उसे चीनी संस्कृति का एक अंश बनाया । अरब संस्कृति से प्रभावित हो कर कालांतर में चीन में ऐसी दस जातियां संपन्न हुई हैं , जो इस्लाम धर्म में विश्वास रखती है । उन में  हुई , वेवूर , कजाख , तुगं श्यांग , तातार , उज्जबेक , करकजी, सारा ,ताजिक तथा पोआन शामिल हैं ।
         इन दस मुस्लिम अल्प संख्यक जातियों में से  पश्चिमी चीन के छिंग हाई प्रांत में रहने वाली सारा जाति एक बहुत कम जन संख्या वाली जाति है , जिस की कुल जन संख्या सिर्फ अस्सी हजार है । उन के पास अब भी कुरान की एक हस्तलिखित प्रति सुरक्षित है और सारा लोग अलाह में पक्का आस्था रखते हैं ।
         हान  फु युन नामक सारा जाति के मुसलमान ने हमें बताया कि सारा लोगों के जीवन में इस्लाम धर्म का अहम स्थान है । वे कहते है कि सारा जाति के लोग आज से सात सौ साल पहले आज के तुर्कुमांस्तान से चीन आ बसे थे , वे वहां से  कुरान की एक हस्तलिखित पुस्तक भी लाए , कहा जाता है कि सारी दुनिया में इस प्रकार का हस्त लिखित कुरान की मात्र तीन कापियां थी , उस का इतिहास बहुत पुराना है । चीन में बसने के बाद भी सारा जाति में मुस्लिम परम्पराएं सुरक्षित है । जैसा कि शादी ब्याह पर सारा लोग अकाख का उच्चारण देते हुए विवाह को प्रमाणित कर देते हैं ।
         मस्जिद  मुसलमानों का धार्मिक स्थान है , चीन में जहां भी मुसलमान रहते हैं , वहां मस्जिद देखने को मिलता है ,हर शनिवार की सुबह सभी मुसलमान  घर के नजदीक मस्जिद में जा कर नमाज पढ़ते हैं । 
        श्री पो चिन क्वे चीन की हुई जाति के  मुसलमान हैं , वे निनशान हुई जातीय स्वायत्त प्रदेश की राजधानी निनशा शहर के एक सदियों पुराने मस्जिद के इमाम हैं । उन्हों ने देश के अनेकों स्थानों का दौरा किया और वहां के मस्जिदों  ने उन पर गहरी छाप छोड़ी । वे कहते है कि मैं ने देश के अधिकांश जगहों के मस्जिदों का दौरा किया है , वे सभी अच्छी हालत में है । हमारे निनशा में पहले नौ सौ मस्जिद थे , अब दो हजार पांच सौ  हो गए , मतलब उस की संख्या दुगुने से भी ज्यादा हो गई है । अब चीनी मुसलमानों में मक्का की हज यात्रा करने जाने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है ।
        श्री पो के अनुसार आर्थिक सुविधा बढ़ने के चलते इधर के सालों में हर साल कई हजार चीनी मुसलमान मक्का का दर्शन करने जाते हैं । अधिक से अधिक संख्या में चीनी मुसलमान अपने पैसे पर हवाई जहाज से मक्का की हज यात्रा पर जाते हैं , मक्का का दर्शन करने का उन का वर्षों पुराना सपना अब पूरा हो जाता है ।
        चीनी मुसलमानों में  वस्त्रों की विशेष पहचान सुरक्षित है और उस में अरब रिवाज की स्पष्ट झलक होती है । उत्तर पश्चिमी चीन के शिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में हर जगह सिर पर छोटी टोपी , शरीर पर लम्बा पोशाक पहने मुसलमान मर्द तथा बुर्का व लम्बा चोली पहनी मुस्लिम महिलाएं आती जाती दिखाई देती हैं । वेवूर जाति में वस्त्र , आभूषण , लोक व्यवहार तथा खाने पीने में स्पष्ट अरब संस्कृति की विशेषता बनी रहती है ।
        वेवूर मुसलमान सुश्री च्वो च्वो मू के साथ बातचीत में उस ने हमें बताया कि अरब लोग नए मेहमानों को अपने घर बुला कर खाना खिलाने के आदि हैं , वे खाना खाने के दौरान नाचगान भी करते हैं , चीन की वेवूर जाति में यह परम्परा सुरक्षित रही है । च्वो च्वो मू ने कहा कि हमारी वेवूर जाति का रिति रिवाज है कि मेहमानों के साथ अपने घर में खाना खाते हैं , नाचगान करते हैं और  पसंदीदा खेल खेलते हैं । घर में दावत देना ज्यादा सुविधापूर्ण है और वातावरण खासा उत्साहित हो सकता है ।
         दोस्तो , अरब पाक कला भी चीन के विभिन्न स्थानों में नसीब होती है । मुसलमान बहुल क्षेत्रों में अधिकांश रेस्त्रां मुस्लिम वाला है। निनशा हुई जातीय स्वायत्त प्रदेश की राजधानी रनछ्वान शहर में ज्यादातर रेस्त्रां मुस्लिम है , इस से फर्क बताने के लिए हर हान जाति के रेस्त्रां पर अनिवार्य रूप से हान अक्षर अंकित हुआ है ।बहुत से शहरों व कस्बों में जहां बहुत कम मुसलमान रहते हैं , भी मुस्लिम दुकानें और रेस्त्रां उपल्लब्ध होती हैं और मुसलमान कर्मचारियों का ख्याल करने के लिए बहुत से भोजलयों में मुस्लिम खाना विशेष तौर पर परोसा जाता है।
         जैसा कि अरबियों का लोकप्रिय खाद्यपदार्थ बकरी का मांस है , वैसे चीनी मुसलमानों को भी बकरी का मांस पसंद है ।  हुई जाति के मुसलमान श्री मा वी तुंग  एक मुस्लिम रेस्त्रां का रसोइया है , उस ने हमें बताया कि चीनी मुसलमानों के अलावा  बड़ी संख्या में हान जाति के लोग भी उस के रेस्त्रां के मुस्लिम खाना पसंद करते हैं । श्री मा का कहना है कि हमारे रेस्त्रां में बकरी मांस का पुलाव , बकरी मांस का शोरबा , कबाब और बकरी मांस की भुनी तली तरकारियां आदि बहुत विशेष और लोकप्रिय है । इन का हुई जातीय पाक कला का विशेष स्वाद है ।
       पश्चिमी चीन के विभिन्न स्थानों में रहने वाले मुसलमानों में अरब जाति के परम्परागत खेल बरकरार रहे हैं , जिन में कुश्ती तथा बकरी छीनने का खेल प्रमुख है । हर शर्द मौसम में  वहां रहने वाली कजाख और ताजिक जातियों के मुसलमान   खेल समारोह आयोजित करते हैं , जिस में ये परम्परागत अरबी खेल खेला जाता है , उन का इस प्रकार का खेल बहुत मजेदार और आकर्षक होता है ।
        दोस्तो , चीन में इसलाम धर्म का प्रचार प्रसार हुए एक हजार से अधिक वर्ष हो गए है । उस के साथ अरब संस्कृति भी चीनी मुसलमानों के जीवन का एक अभिन्न भाग बन गई । यदि आप चीन के विभिन्न स्थानों का दौरा करने आए और किसी जगह पर चीनियों के मुंह से सलाम अलैकुम या शुक्रिया जैसे शब्द सुनने को मिला , तो आश्चर्य चकित ना हो , वह जरूर चीनी मुसलमानों में संबोधन हो रहा है। यह कहना अतिशुयोक्त नहीं है कि अरब संस्कृति ने चीनी राष्ट्र महा परिवार की संस्कृति को विशेष प्रदेशी रंगों से रंजित कर दिया है , अरब संस्कृति चीन की बहुतत्वीय संस्कृति का एक अंश बन गई है ।