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(GMT+08:00) 2004-01-03 19:23:24    
चीनी किंडकाडेन में अधिकाधिक पुरूष अध्यापकों का प्रवेश

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चीन के किंडकाडेन यानी के-जी में आम तौर पर महिला कार्यक्रताओं की जगत है । पर आजकल अधिकाधिक पुरूष अध्यापक के जी में काम करने लगे हैं । चीनी जन विश्वविद्यालय के सोश्ल विभाग के प्रोफेसर चाओ का मानना है कि किंडकाडेन का काल बच्चे की बुद्धि के संपन्न होने की कुंजी मानी जाती है । बाल बलिकाओं को इसी काल में पुरूष और स्त्री दोनों ओर का प्रभाव पाना अच्छा है । इसी से उन्हें स्वस्थ व संपूर्ण शिक्षण प्राप्त हो सकता है । उन्हों ने कहा कि के जी शिक्षा मानव की पूरी जिंदगी के लिये महत्वपूर्ण है । इसलिये के जी के अध्यापन कार्य बहुत महत्वपूर्ण है । इसी दृष्टिकोण से के जी में अध्यापिका और अध्यापक दोनों होना चाहिये , जो बच्चों के स्वस्थ स्वभाव के संपन्न होने के अनुकूल है । अब चीन के शहरों में अधिकांश परिवारों का सिर्फ एक ही बच्चा है । पर अधिकांस परिवारों में माता जी बच्चे की देखभाल करती हैं और के जी में पुरूष अध्यापक भी बहुत कम दिखते हैं । इसलिये यह सवाल मौजूद है कि बच्चे ज्यादाता स्त्रीता के प्रभाव में जीते हैं । चीन के छांगशा शहर के एक के जी में तीन साल पहले कुछ अध्यापकों की नियुक्त की । पुरूष अध्यापकों के प्रवेश से इस के जी का नाम बुलंद बना , अब वह सात बच्चों का बड़ा के जी हो गया है । इस की डाइरेक्टर सुश्री ली ज़ लींग ने कहा कि पुरूष अध्यापकों के प्रवेश से के जी शिक्षण में नयी शक्ति नज़र आयी हैं । मुझे अच्छा लगता है । अब के जी में बच्चों को हद से ज्यादा स्त्रीता और नरमता से प्रभावित की जाती है । पर बच्चों को पुरूष अध्यापकों से शक्ति , गति , धर्य और खुलेपन आदि प्राप्त है । इसी संदर्भ में पुरूष अध्यापकों की भूमिका ज्यादा होती है । आज छांगशा शहर के इस के जी में पुरूष अध्यापक बच्चों को खेल , चित्र और शतरंज आदि पढ़ाते हैं । वे बच्चों को जानकारियां ही नहीं , बल्कि छोटों को साहस और सहनशीलता भी पढ़ाते हैं । छांगशा के जी के पुरूष अध्यापक श्री ली ने कहा कि जब बच्चे गिर पड़ा , मैं कभी उसे आम उठाता नहीं , पर मैं ऐसा कहता हूं , उठो , तुम बड़ा बच्चा हो । मेरे विचार में महिला अध्यापिका इसी स्थिति में अलग उपाय अपनाएगी । पेइचिंग के 21वीं शदाब्ती के जी में भी पुरूष अध्यापक कार्यारत हैं । इस के जी की प्रधान सुश्री जू मिन के अनुसार खेल समेत कुछ गतिविधियों में अध्यापक और अध्यापिकाओं की स्थितियां बिल्कुल अलग है । पुरूष अध्यापक की श्रेष्ठता स्पष्ट है । श्री जूने अध्यापकों की स्थिति पर कहा , (आवाज) पुरूष अध्यापक बच्चों के साथ खेल करते समय कभी कभी घासमैदान पर उड़ता है । बच्चे उन के पीठ पर बैठते भी हैं , उन के आम पर swing करते भी हैं । इसी स्थिति में बच्चों और अध्यापक के बीच दूरी नजदीक है , और बच्चों को महसूस है कि अध्यापक इन के साथ समान है । पेइचिंग के इस के जी में बच्चों के अध्यापक के साथ घनिष्ठ रूप से खेल करते नजर आते हैं । एक लड़के को अध्यापक च्यांग के साथ खेलने के बाद बहुत पसंद हुआ , उस ने ऐसा बोला कि चाचा जी , तुम खाना खाने के बाद जरूर हमारे कमरे आ जाओ । च्यांग ने बोला , ठीक है । चीन के के जी में पुरूष अध्यापकों के प्रवेश से यह साबित है कि के जी भी परिवार की ही तरह महिला और पुरूष दोनों की जरूरत है । आशा है कि ज्यादातर पुरूष अध्यापक के जी में अपनी भूमिका कर सकेंगे ।