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(GMT+08:00) 2003-12-18 16:41:23    
पेइचिंग में फ्रांस सुपरमार्केट काररेफोर

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चीन के कई शहरों में फ्रांस का सुपरमार्केट काररेफोर ने अपनी शाखाएं खोली हैं और वे चीन के सुपरमार्केटों से ग्राहकों को अपनी ओर आकृष्ट करने व अपना बाजार विस्तार करने के लिए लगभग रोजाना कुछ वस्तुओं की कटौती करता रहता हैं। पेइचिंग में विभिन्न प्रकार के सुपरमार्केटों के बीच स्पर्धा इधर के सालों में तीव्र होती जा रही हैं। विदेशी सुपरमार्केटों में फ्रांस का सुपरमार्केट काररेफोर पेइचिंग में भीषण बाजार स्पर्धा में खरा उतरा एक जाना माना सुपरमार्केट हैं। हमारे संवाददाता जब काररेफोर सुपरमार्केट के दवार पहुंचे थे ही तो उनकी मुलाकात वहां से खरीदी डिजीटल विडियो डिस्क यानी डी वी डी के एक बुजुर्ग हुई। आज के जीवन में हुए परिवर्तन की चर्चा करते हुए उन्होने भावविभोर होकर कहा ,आज का जीवन पहले न जाने कितना अच्छा है। घर घर में टीवी, फ्रिज आम चीजे बन गई हैं और इन चीजो की तकनीक भी अधिकाधिक बढिया होती जा रही हैं। मुझ जैसे 63 आयु के लोगों को खाने पीने पहनने की कोई तकलीफ नहीं हैं। रिटायार्ड होने के बाद रोजाना व्यायाम करने के अलावा मै अपनी पोती की देखभाल करता हूं, जीवन सचमुच बहुत खुशहाली हैं। डी वी डी खरीदने पर बोलते हुए उन्होने हमे बताया कि डी वी डी खरीदने से मैं घर में ही डिजीटल फिल्मे देख सकता हूं, हम बुजुर्ग भी जवान लोगो की तरह फेशन की ओर जा रहे हैं। इस बुजुर्ग ने सच ही कहा है। आज के 30 साल आयु के व्यस्कों को विशेषकर आज के खुशहाल जीवन के परिवर्तन पर और ज्यादा अहसास है। नीचे के कुछ आंकडे हमे यह बता सकते हैं। वर्ष 2001 में चीन की कुल घरेलु उत्पादन मूल्य 95 खरब 93 अरब 30 करोड य्वेन था। जबकि 50 साल पहले यानी 1952 में 70 अरब से भी कम था। कहां गंगू तेली कहां राजाभोज। इतना बडा फर्क है। चीन के उद्योग पर एक नजर डालें, आज चीन का लोहा इस्पात, कोयला, सीमेंट और रासायनिक खाद जैसे उद्योगों की उत्पादन मात्रा विश्व के प्रथम स्थान पर हैं, बिजली उत्पादन विश्व के दूसरे स्थान पर और इलैक्ट्रोनिक औद्योगिक उत्पाद विश्व के चौथे स्थान पर। चीन के दूर संचार के तीव्र गति से तरक्की करने ने तो दुनिया के बहुत से विदेसी अर्थशास्त्रियों को आश्चर्य में डाल दिया हैं। नए चीन की स्थापना के प्रारम्भिक काल में चीन में केवल दो लाख 20 हजार परिवारों के पास टेलीफोन उपलब्द्ध थे, लेकिन आज यह बढकर 17 करोड तक जा पहुच चुकी हैं। मोबाइल फोन भी 17 करोड तक जा पहुंची हैं। यह दो आंकडे विश्व के पहले स्थान गिने जाते हैं। अरब जन संख्या वाली आबादी वाले चीन में आज जनता प्रारम्भिक खुशहाल जीवन का आन्नद उठा रही हैं। चीन के अर्थशास्त्री व आधुनिक चीनी अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रोफेसर श्री लियो को सिंग ने चीन के आर्थिक विकास की चर्चा करते हुए कहा ,वर्ष 1949 से वर्ष 2001 तक में औसत आर्थिक वृद्धि करीब 8.3 प्रतिशत रही हैं। आर्थिक सुधार व खुलेपन की नीति को पिछले 20 सालों में तो औसत 9.5 प्रतिशत की वृद्धि बनी रही हैं। चाहे कुल घरेलु उत्पादन मूल्य हो या मुख्य उत्पादों की उत्पादन मात्रा और परिवहन यातायात, जनता की आमदनी व विदेशी मुद्रा संचय का भंडार, इल सब से यह सिद्ध होता है कि चीन की सर्वागीण राष्ट्र शक्ति आज विश्व के अव्वल पंक्ति में प्रवेश कर चुकी हैं। सर्वागीण राष्ट्र शक्ति की दृष्टि से चीन अमरीका, जपान, जर्मनी, फ्रांस व ब्रिटेन विकसित देशों के बाद छठे स्थान पर गिना जाता हैं। उल्लेखनीय यह है कि चीन की तीव्र आर्थिक गति और वर्षों की निरंतर वृद्धि विश्व के पैमाने में इस तरह का मिसाल बहुत ही कम देखने को मिलती हैं। प्रोफेसर लियो को सिंग ने चीन के आर्थिक की इतनी शानदार सफलता की प्राप्ति पर हमे बताया, कर वसूली को लिजीए, वर्ष 2001 में कर वसूली वर्ष 1997 की कर वसूली से 90 प्रतिशत बडी हैं। कुछ लोग शक करते हैं कि शायद यह कुछ हद तक बढा चढा कर बोला जा रहा हैं। मेरे ख्याल में इसे इस तरह समझना चाहिए कि कर वसूली का मुख्य उद्देश्य समाज की आवश्यकता को हल करना हैं। जैसे कि इन्हे राहत सहायता, बेरोजगारीयों के जीवन को गारंटी प्रदान करना तथा प्रदूषित पर्यावरण के सुधार में जरूरत वित्तीय खर्चा जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल करना हैं। यदि हम कर वसूली को बडा चढा कर बोले तो हम कहां से यह धनराशि लाकर इल समस्याओं का हल करने में समर्थ रहेगें। इस लिए इसे बडा चढा कर बोलना खुद ही अपने गले में फंदा डालकर मौत के मुह में जाने के बराबर हैं। प्रोफेसर लियो ने आगे कहा कि हालांकि चीन की सर्वागीण राष्ट्र उत्पादन शक्ति विश्व के अग्रिम स्थान पर जा पहुंची हैं , लेकिन चीन की आबादी एक बहुत बडी समस्या हैं, जन संख्या की दृष्टि से चीन अब भी विकासशील देश की ही पंक्ति में गिना जाता हैं। चीन भविष्य में सत्तारूढ पार्टी -- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दवारा प्रस्तुत विकास योजना के मुताबिक, इस शताब्दी के मध्य में चीन विश्व के मध्य विकसित देशों की पंक्ति में प्रवेश होने की भरसक कोशिश करेगा। प्रोफेसर लियो का मानना है कि वर्तमान आर्थिक विकास गति की प्रवृति के अनुसार, मध्य शताब्दी में चीन बिल्कुल विकसत देशों की पंक्ति में शामिल होने के लक्ष्य को पूरा कर सकता हैं।