दक्षिण पश्चिमी चीन का युन्नान प्रांत एक जाति बहुल प्रदेश है , वहां हान , हुई और तिब्बत जैसी जातियों के अलावा पाई ,हानी , थाई ,लीसु ,वाई , लाकू ,नासी और चिंग पो जैसी दस से अधिक ऐसी अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं , जो चीन के अन्य स्थानों में देखने को नहीं मिल पाती हैं । युन्नान प्रांत में विभिन्न जातियों का अपना लम्बा विकास इतिहास रहा है , जिस के दौरान उन्हों ने अपनी अपनी संस्कृतियां और सभ्यताएं बनायी हैं। उन के आवासों की वास्तु कला उल्लेखनीय है , जिस में जाति विशेष के सौंदर्य बौध , सामाजिक अवधारण तथा भौगोलिक विशेषता प्रतिबिंबित हुई है ।
पहले आप युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में रहने वाली अल्पसंख्यक जाति नासी और पाई के आवासों की वास्तु शौली आदमाइए । उन की आवास कला में परम्परागत चीनी भवन निर्माण शैली देखने को मिलती है । वहां के मकान बहुधा मिट्टी ,लकड़ी और ईंटों से बने हैं , दीवारें सफेद रंग से पुती होती है और छतों पर बिछी खपरैल नीले रंग की । मकानों का रंग ढंग वहां के स्वच्छ पानी और सुन्दर पहाड़ की विशेषता से मेल खाता है , दूर से देखने में जान पड़ता है , मानो एक विशाल चित्र धूरती पर बिछा हुआ हो । उधर लु कू झील के पास मोसो जाति के काष्ठ मकान देखते ही बनता है , वह गोलाकार लकड़ियों को दीवार के रूप में आपस जोड़ कर बनाया गया और लकड़ी की खपरैल बना कर छत्तों पर लगायी गयी । जबकि युन्नान प्रांत के पश्चिमी और दक्षिण पश्चिम भाग में थाई , चिंग पो ,वाई ,तेयांग , जिनो और लाकू जातियों के मकान बांस , लकड़ी और घासफूस के होते हैं ,देखने में सादगी लिए पुरातन की झलक दिखती है ।
युन्नान प्रांत के जातीय संग्राहलय के रिहाईशी आवास अनुसंधान के विशेषज्ञ श्री यांग सङ हाई के अनुसार विभिन्न विशेषता युक्त स्थानीय मकान वहां की विभिन्न जातियों की सभ्यता और संस्कृति के विकास का सुफल है । वे आदिम काल के गुफा व घौंसला रूपी मकानों के विकसित रूप है । श्री यांग कहते हैं ,
आदिम काल में मानव खूंखार जानवरों और भीषण प्राकृतिक विपत्तियों से बचने के लिए पेड़ों पर झोपड़ी या पहाड़ों में गुफा बना कर रहते थे । जो झोपड़ी पेड़ों पर बनायी गयी थी ,उस ने कालांतर में विकसित कर बांस का दुमंजिला मकान का रूप धारण किया , युन्नान की थाई और पूरान जाति के लोग इसी प्रकार के मकान में रहते हैं , जिस की पहली मंजिल में पालतू पशु रहता है और ऊपर की दुसरी मंजिल लोग रहते हैं । इस प्रकार का हवादार और रोशनिदार है , जो वहां के उष्ण व अर्धोषण जलवायु के अनुकूल है । बांस के मकान गोलाकार , कुकु र्मता के आकार तथा किला शैली के तिब्बती मकाल के रूपाकार में भी होते हैं ।
युन्नान के पश्चिम भाग में रहने वाली पाई , ई ,नासी और तिब्बत जातियों के मकान पत्थर और पक्की मिट्टी से बनाये गए है , जो अतीत के गुफा रूपी मकान से विकसित हो कर आया है , ऐसा मकान मजबूत और छिपाछिपी होता है । मजे की बात यह है कि वहां के एक पहाड़ी क्षेत्र में अब भी एसा कबीला बसा है , जो पहाड़ी गुफा में रहते हैं। वे लोग आज से दो सौ वर्ष पहले दक्षिण चीन के च्यांग सी प्रांत से यहां स्थानांतरित आए थे। पहाड़ी गुफाओं में उन की नौ पीढियां रह चुकी हैं ।
श्री यांग के अनुसार स्थानीय जलवायु का किसी जाति के आवास के रूपों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है । वे कहते हैं,युन्नान प्रांत की अल्पसंख्यक जातियों के आवास शैली को प्रभावित करने वाले तीन कारण है यानी वहां का उष्ण प्रदेशीय मौसम , भारी वर्षा और हवा । मसलन् चिंग पो जाति समुद्र-सतह से 1500 से 2000 मीटर ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में रहती है , वहां पहाड़ी भू-स्थिति ढलवां है और मैदान कम है ,इसलिए उन के मकान आम तौर पर पहाड़ी ढलान पर बनाए गए हैं , मकान भी वहां सुलभ बांस की लकड़ियों , पेड़ों की लकड़ियों तथा घासफूस के होते हैं , उधर ताली क्षेत्र में रहने वाली पाई जाति के मकान ज्य़ादातर पत्थरों से बनाए गए हैं , क्योंकि वहां तेज हवा ज्यादा चलती है ।
धार्मिक मान्यताओं का भी जातीय आवास कला पर प्रभाव पड़ता है ।उदाहरण के लिए वहां की पाई जाति को लिजिए , उन के आंगन में तीन तरफ मकान और सामने की तरफ अलग भित्ति बनाए गए हैं , परिवार के मालिक सामने के मुख्य मकान में रहते हैं , उस के दोनों ओर के मकानों में संतान रहती है । तथा सामने की भिति पर धार्मिक कहानी के चित्र खींचे गए हैं । इस से परिवार में छोटे बड़े की सुव्यवस्था व्यक्त होती है । जबकि भिति के धार्मिक चित्र मकान को प्राकृतिक संकट से बचाने के काम आते हैं ।
श्री यांग के अनुसार युन्नान प्रांत में कोई बीस अल्पसंख्यक जातियों के आदिम धर्म होते हैं । खास कर 19 वीं शताब्दी के बाद क्रिश्चियन और कैथोलिस्ट धर्म भी युन्नान में प्रविष्ट हुए , उन का प्रभाव बौध और थाओ धर्मों के साथ वहां के लोगों पर काफी पड़ा और इस के साथ उन की आवास कला पर भी प्रभाव पड़ा । इस के अलावा युन्नान की अल्पसंख्यक जातियों में पूर्वज और प्रकृति की भक्ति होती है , उन के मकान पर देवता के रूप में विशाल वृक्ष , ड्रैगन , सांप , बाघ तथा शेर जैसे जानवरों के चित्र और सजावट भी है । इस तरह वहां के विभिन्न जातियों के मकान अलंकृत हो कर सुन्दर कला कृति के रूप में भी देखे जा सकते हैं ।
यदि आप को चीन की यात्रा करने का मौका मिल सका , तो जरूर युन्नान प्रांत के इन अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों में जाएंगे , वहां के विशेष जातीय रिति रिवाजों के अतिरिक्त आप को जातीय विशेषता वाले मकान देखने को मिल सकेगा और अवश्य ही आनंदित होंगे।
|