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चीन की अल्पसंख्यक जाति

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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2003-12-06 19:20:15    
चीन की कोरियाई जाति

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चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में कोरियाई जाति एक एसी जाति है , जो नाच गान के लिए देश भर में मशहूर है । कोरियाई जाति के लोग बहुधा उत्तर पूर्व चीन के चिलिन प्रांत के येनप्यांन कोरियाई स्वायत्त प्रिफेक्चर में रहते हैं । इसी वजह से येनप्यांन नृत्यगान प्रदेश के नाम से भी कहलाता है ।

छवी प्रिफेक्चर के एक छोटे गांव में रहती है , जहां तीन चार साल के बच्चे को लेकर साठ साल से अधिक आयु वाले वृद्ध तक सभी लोग नाचने गाने के शौकीन हैं । सुश्री छवी के साथ बातचीत में उस ने मुझे बताया कि कोरियाई जाति के लोगों को नाचने गाने का बड़ा शौक है । नाचगान जन व्यापी मनोरंजन होता है । त्यौहार मनाने के लिए तो बड़े पैमाने पर नृत्यगान समारोह का आयोजन किया जाता है और आम समय ,खास कर विश्राम के समय भी कोरियाई लोग मन चाहे नाचने गाने के लिए आगे बढ़ जाते हैं । कोरियाई जाति के लोक गीतों का प्रचूर भंडार है , जिन में धान की फसल और आ-लि-लांग जैसे गाना बहुत लोकप्रिय है और सभी कोरियाई लोगों को गाना आता है और कभी कभार गाने का उमंग आने पर वे नाचने और थिरकने भी उठते हैं । इन गीतों की धुन मधुर है और लय लहराता है । वह लोगों को इतना बड़ा प्रभावित करता है कि पास बगल सुनने वाले लोग भी मोहित हो कर गाने में साथ देने जाते है और सब मिल कर गाने नाचने पर मुग्ध होते हैं , ऐसे अवसर पर प्रायः एक जोशीला व सौहार्दपूर्ण माहॉल उभर आता है।

श्री यु पिंग चे कोरियाई जाति के एक लोकप्रिय गायक हैं , उन के गायन में बुलंदी , जोश और मोहन शक्ति होती है । उन का कहना है कि कोरियाई लोग गाने नाचने पर जान देते हैं और वे संगीत के ताल पर ताल देते हुए थिरकते हैं , यह चीन की दूसरी जातियों से कोरियाई जाति की अलग अपनी विशेष पहचान है । श्री यु के शब्दों में कोरियाई जाति के नृत्य व गान में तालमेल भी विशेष है । उन्हों ने कहा, कोरियाई गीतों की धुन तालबद्ध होती है , उस के ताल का ताल देना बड़ा आसान होता है । जैसा कि मेरा गाना गाने की जवानी और बर्फीली पहाड़ी पर लाल पुष्प आदि इस प्रकार के गीतों की सूची में आते हैं ।

गीत संगीत रचने के अलावा कोरियाई जाति ने बड़ी संख्या में रंगबिरंगे नृत्य भी रचित किए हैं । मशहूर लोक नृत्यों में किसानों की खुशी , लम्बे ढोल का नाच ,पंखा नृत्य ,जल लोटा और तलवार का नाच शामिल हैं । कोरियाई नृत्यों की अंगविक्षेप व मुद्रा-अंदाज बहुत सुन्दर , मोहक , जोशपूर्ण और प्रबल होते हैं , इस में कोरियाई जाति की दृढ़ता , विनम्रता , बुलंद हौसले और शिष्टता अभिव्यक्त होती है ।

उदाहरण के लिए किसानों की खुशी नामक नृत्य गान को लिजिए ,यह प्राचीन काल से आनाज की शानदार फसल की खुशियां मनाने के लिए बनाया गया एक लोक नृत्य गान है । कोरियाई किसान वसंत में धान की बुवाई ,गर्मियों के समय खेतों में निराई तथा शर्द काल में फसल की कटाई के समय बड़े उमंग के साथ नाचते गाते है और शानदार फसल पर खुशी जाहिर करते हैं । कालांतर में इस नाच गान ने किसानों की खुशी नामक लोक नृत्य गान का रूप ले लिया और कोरियाई किसानों का पसंदीदा कार्यक्रम बन गया । इस नृत्य गान में कलाकार अंगविक्षेप को तेज गति देते हैं और एक बड़ा उत्साहपूर्ण वातावरण बनाते हैं । खास कर पुरूष कलाकार जोर से गर्दन को हिला हिला कर अपने सिर पर बंधे तीन मीटर लम्बे पतले फीता चक्रवती सा घूमाते है , देखने में जान पड़ता है मानो कोई बड़ा चक्र उस के शरीर की चारों ओर घूम रहा हो और रंगे फीते के तेज गति से घूमने पर कोई इंद्रधनुषी का उदय हुआ लगता हो ।

और जल लोटा नाच गान तो कोरियाई महिलाओं का एक परम्परागत प्रोग्राम है । महिला कलकार अपने सिरों पर जल भरा लोटा रखे नाचती गाती है । कोरियाई जाति की महिलाओं में सिर पर कुछ न कुछ चीजें रख कर चलने फिरने की आदत्त है । बुवाई और निराई के समय वे पेयजल या स्वनिर्मित मदिरा को लोटा में डाल कर सिर पर रखे खेतों में पहुंचाती हैं , मेहनत की इसी तरीके के आधार पर जल लोटा नृत्य गान तैयार किया गया और कोरियाई लोगों में लोकप्रिय भी हो गया । इस प्रोग्राम में जीवन के प्रति लोगों का प्यार और उत्साह अभिव्यक्त होता है । यह नृत्य गान बहुत मोहक और जीवन शक्ति से ओतप्रोत है । कोरियाई जाति की कलाकार सुश्री चिन मान ने इस नाच गान की प्रस्तुति के बारे में अपना अनुभव बताते हुए कहा, लोटा नृत्य मेरा मनपसंद प्रोग्राम है , छोटी उम्र में ही मैं यह नृत्य करने लगी , इसे प्रस्तुत करने के समय मुझे ऐसा अनुभव होता है कि मैं जब उड़ी तब उड़ी ।

तलवार नृत्य कोरियाई जाति का एक ऐसा प्रोग्राम है , जिस में पुरूष की शौर्य-वीर्य , दृढ़ संकल्प तथा अतुल्य ताकत की अभिव्यक्ति होती है । इस नृत्य के पीछे एक दंतकथा है , कहते हैं कि हुंग छांग ल्यांग नाम का एक व्यक्ति था , सात साल की उम्र में ही वह लम्बे तलवार को घूमाते हुए नाच सकता था । बड़े होने पर वह एक शहर में आया और जब वह खुले मैदान में तलवार के करतब प्रदर्शित कर रहा था , तो दर्शकों की भारी भीड़ लगी , सभी लोग उस के तलवार करतब पर मुग्ध हो गए । देखते देखते यह खबर शहर के तानाशाही राजा के कान पहुंची , उस ने हुंग छांग ल्यांग को राज महल में प्रदर्शन करने बुलाया । तलवार नृत्य का प्रदर्शन करने के मौके से लाभ उठा कर उस ने राजा की हत्या करने की कोशिश की , पर वह सफल नहीं हो पाया । हुंग छांग ल्यांग की इस वीरतापूर्ण कार्यवाही की स्मृति में कोरियाई लोगों ने तलवार नृत्य का सृजन किया । प्रस्तुति में कलाकार मुह पर मुखौला पहने और हाथ में तलवार उठाए हुंग छांग ल्यांग के कला प्रदर्शन की नकल करते है । इसी प्रकार तलवार नृत्य का जन्म हुआ।

कोरियाई जाति के प्रसिद्ध संगीतकार श्री प्यो लुऐ शिंग ने कहा कि कोरियाई जाति सौ साल से पहले उत्तर पूर्व चीन में आ बसी है , इस लम्बे अरसे में वे अपनी जाति की विशेषता सुरक्षित रखे हुए हैं । नाचना गाना उन की एक अलग पहचान है । कोरियाई बच्चे मां बाप से नृत्य गान की शौक को विरासत में हासिल करते हैं । श्री प्यो ने अपने अनुभव की चर्चा करते हुए कहा,

बचपन में ही मैं नाचगान पसंद करता था , स्कूल में पढ़ने के दौरान जब कभी लाउडस्पीकर में संगीत प्रसारित हो रहा था , तो मैं जरूर उस के ताल पर ताल देते हुए नाचता रहा । सभी गांव वासी जानते थे कि मैं नाचगान का एक छोटा दिवाना था । मैं ने विभन्न मौकों से फायदा उठा कर नाच गान और वाद्य सीखता था । ऐसा कहा जा सकता है कि संगीत मेरा जन्मसिद्ध स्वभाव है ।