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चीन की अल्पसंख्यक जाति

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सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2003-12-06 17:47:13    
थु जाति के लेखक श्री यांग शङ लुङ

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चीन एक बहु जातीय देश है , 56 जातियों के इस महान परिवार में बहुत से ऐसे अल्पसंख्यक जातीय लेखक और साहित्यकार प्रकाश में आए हैं , जिन्हें चीन के साहित्य कला क्षेत्र में ख्याति प्राप्त हुई है । वर्तमान चीनी साहित्य क्षेत्र में चीन की एक अल्पसंख्यक जाति --थु जाति के लेखक श्री यांग शङ लुङ नए सितारे के रूप में उभरे है , उन के निबंध चीन के निबंध लेखन में काफी प्रसिद्ध हैं । 51 वर्षीय श्री यांग शङ लुंन चीनी राष्ट्रीय जातीय मामला आयोग के एक कार्यकर्ता हैं , कद में वे ऊंचे नहीं है , पर शरीर में सुगठित और स्वाभाव में सीधे सादे लगते हैं । जब उन के साथ बातचीत का सिलसिला छिड़ा , तो उन के लहजों और भाव मुद्रा में थु जाति की विशेषता लिए हुई है । श्री यांग का जन्म दक्षिण चीन के हुनान प्रांत के दक्षिण भाग में स्थित थु और म्याओ जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर में हुआ । बालावस्था में ही उन के दिल में साहित्य पर गाढ़ा रूचि पैदा हुई , इसलिए विश्वविद्यालय में उन्हों ने चीनी साहित्य का ज्ञान पढ़ाने का कार्स चुना । विश्वविद्यालय में उन्हों ने बड़ी संख्या में विश्वविख्यात चीनी और विदेशी साहित्यों का अध्ययन किया और खुद कविताएं , निबंध और साहित्यिक समीक्षाएं लिखीं , जिस में से अनेक पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए थे । इस प्रकार के अथक अध्ययन ने उन के आगे के साहित्यिक सृष्टि के लिए मजबूत आधार बनाया । विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद श्री यांग शङ लुंग को चीनी राष्ट्रीय जातीय मामला आयोग में काम करने का मौका मिला , श्रेष्ठ व्यक्तिगत चरित्र होने तथा अच्छी कार्य क्षमता होने के फलस्वरूप वे फिर पेइचिंग में काम करने के लिए चुने गए । जातीय मामलों के निपटारे से अवकाश समय वे साहित्यिक सृजना शुरू करते रहे और पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक से ले कर अब तक हजार की संख्या में मौलिक रचनाएं लिखी हैं , जिन में से निबंध सब से ज्यादा और लोकप्रिय है । उन के निबंध संग्रह पहाड़ी गांव का छोटा पुल , जन्म भूमि की स्मृति तथा वृक्षों की हरियाली देश के साहित्य क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है और उन की साहित्य समीक्षकों ने भूरि भूरि प्रशंसा भी की है । श्री यांग शङ लुंग की रचनाओं में गांवों की प्रधानता होती है , जन्म भूमि उन के लेखन सृष्टि का असीम स्रोत है । इस की चर्चा करते हुए उन्हों ने भावविभोर हो कर कहा,किसी भी लेखक पर उन के अपने बालावस्था और युवावस्था के जीवन का गहरा प्रभाव पड़ता है , मेरा जन्म दक्षिण चीन के हुनान प्रांत के पश्चिम भाग में हुआ और वहां भी मैं पला बढ़ा था , 26 साल की उम्र में मैं पेइचिंग आया । इसलिए जन्म भूमि , खास कर मेरी अपनी जाति --थु जाति के रीति रिवाजों , मान्यताओं , संस्कृति तथा स्थानीय विशेषताओं ने मेरी विचारधारा पर अमिट छाप छोड़ी है । अपनी रचनाओं --पहाड़ी गांव का छोटा पुल तथा जन्म भूमि की स्मृति जैसे लेखों में श्री यांग ने सुबोध और सजीव शब्दों तथा सुशील लेखन शैली में पठकों को उन की जन्म भूमि की स्थानीय विशेषता भरी कहानी तथा थु जाति के लोगों के रंगबिरंगे जीवन सुनाये थे । उन के कलम से थु जाति के दो मंजिला रिहाईशी मकान , पत्थरों की सड़क , विशेष आकार की अग्नि कुंड , बैलों के झुंड ,बाल चरवाह तथा जातीय गीतों का बड़ा सुन्दर ढंग से वर्णन किया गया और उन में काव्य और चित्र सरीखा भाव उद्गार पढ़ने को मिलता है । श्री यांग की रचनाओं की विष्यवस्तुएं व्यापक है , कथानक समृद्ध और आकर्षक है । किसी का समीक्षा है कि उन की रचना पश्चिमी हुनान प्रांत के साहित्यिक विश्व कोष जैसी जान पड़ती है । थु जाति के लेखक के कारण श्री यांग शङ लुंग ने अपनी जाति प्रिय भावना में पठकों को थु जाति के विकास इतिहास को अवगत कराया है । चीन की थु जाति के पचास लाख लोग हैं , वे मुख्यतः पश्चिमी हुनान प्रांत में रहते हैं । नए चीन की स्थापना से पहले थु जाति के लोग पहाड़ी क्षेत्रों मे रहते थे , दुर्गम यातायात और दुर्भर जीवन तथा पिछड़े हुए अर्थतंत्र होने के कारण वे बहुत गरीब और पिछड़े हुए थे । नए चीन की स्थापना के बाद , खास कर देश में सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के पिछले बीस से अधिक सालों में थु जाति के लोगों के जीवन का कायापलट हो गया और गांवों में खुशहाली प्राप्त हुई है । इस प्रकार के महान परिवर्तन श्री यांग के निबंध संकलन पहाड़ से निकला में भरपूर्ण रूप से अभिव्यक्त हो गया है । इन रचनाओं के जरिए लेखक ने विभिन्न दृष्टिकोण से थु जाति के आर्थिक विकास तथा लोगों की वैचारिक मान्यताओं में आई भारी तबदील का वर्णन किया और थु जाति के बदलते सुनहरे जीवन प्रतिबिंबित किया । श्री यांग शङ लुंग ने थु जाति के अतिरिक्त देश की अन्य जातियों के जीवन के बारे में भी अनेक लेख लिखे , जातीय मामलों के निपटारे के कारण उन्हें देश की अल्पसंख्यक जाति बहु क्षेत्रों का दौरा करने के बहुत से मौके मिलते हैं । उन्हों ने अल्प संख्यक जातियों के जीवन का गहन अध्ययन किया और उन के रीति रिवाजों , प्रथाओं और संस्कृतियों पर सुन्दर निबंध लिखे । अल्पसंख्यक जातियों पर लिखने के अनुभव की चर्चा करते हुए श्री यांग ने कहा, अल्पसंख्यक जाति बहु क्षेत्रों में अनुसंधान और गरीबी उन्मूलन का काम करने के दौरान हम उन के पर्व त्यौहारों को देखने तथा उन के बीच जाने के अवसर प्राप्त कर सकते हैं , उन की मेहनत , साहस तथा इमानदारी की भावना से प्रभावित हो कर मुझे अकसर कुछ लिखने का आवेग आता है । श्री यांग ने किसी एक वर्ष की कहानी सुनाते हुए कहा कि उस साल वे उत्तर पश्चिमी चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के ताशकुलकन जिले का सर्वेक्षण करने गए , वहां मुख्यतः ताजिकी जाति के लोग रहते हैं । यह जिला सात हजार मीटर ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है , जीवन के लिए प्राकृतिक स्थिति काफी दुर्भर है । लेकिन स्थानीय ताजिकी लोग अपने जीवन से बड़ा प्यार करते हैं , प्राकृतिक कठिनाइयों पर विजय पाने के लिए उन में अदम्य दृढ़ता , साहस तथा हौसला व्यक्त हुआ । ताजिकी लोगों के इस प्रकार के मनोभाव से प्रेरित हो कर श्री यांग ने एक सुन्दर निबंध --ताशकुलकन की भावना लिखा । पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक में श्री यांग शङ लुंग तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तीन साल ठहरे । तिब्बत पठार के अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य , तिब्बती जाति के गहन धार्मिक आस्था और विशिष्ट रीति रिवाजों ने उन पर अमिट छाप छोड़ी । तिब्बत से वापस आने के बाद उन्हों ने मंगल का ल्हासा शीर्षक निबंध लिखा , जो प्रकाशन के बाद बेहद लोकप्रिय हो गया और जिसे पढ़ कर अमरीका में रहने वाले पठकों ने भी उन्हें तेलीफोन कर बधाई दी । अब तक श्री यांग ने देश की 55 अल्पसंख्यक जातियों में से 50 के बारे में साहित्यिक रचनाएं की हैं । उन की इन रचनाओं में जातीय क्षेत्रों के प्राकृतिक सौंदर्य और मानवी गतिविधियों के अलावा विभिन्न जातियों के लोगों के अंतरभाव एवं सांस्कृतिक विशेषता की अभिव्यक्ति हुई है । श्री यांग की योजना है शेष पांच अल्पसंख्यक जातियों पर भी लिखना , फिर उन्हें पुस्तक में संकलित कर एक ग्रंथावली प्रकाशित किया जाए । चीन के प्रसिद्ध साहित्य समीक्षक श्री श इंग ने यांग शङ लुंग की रचनाओं की विशेषता का जिक्र करते हुए कहा,श्री यांग की रचनाओं की तीन विशेषताएं होती हैं , यानी जीवन का सजीव वर्णना , अलग जातीय पहचान और सच्ची भावना की अभिव्यक्ति । वे थु जाति का सुपुत्र है , उन्हों ने अपनी कलम से जिन चीजों से सब से अधिक प्रभावित हुआ है , उन्हें लिख कर पेश किए हैं , अंततः उन की रचनाएं आत्मीयता से भरीपूर्ण है , भावोद्वेलित है और अविस्मरणीय है । सरकारी सेवक के साथ साथ श्री यांग शङ लुंग एक ऐसे लेखक के रूप में भी उल्लेखनीय है , जो समाज के प्रति उच्च कर्तव्य की भावना रखते हैं । बीते बीस से अधिक सालों में वे पेइचिंग और देश के सीमावर्ती अल्प संख्यत जाति बहु क्षेत्रों के बीच दौड़ धूप करते रहे और सामाजिक कार्यकर्ता व लेखक दोनों का काम करते रहे , जिस से उन की रचनाओं में और ज्यादा आकर्षण उत्पन्न हुआ है ।