चीन के विश्वविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों को सीखने वाले छात्रों की संख्या में बडा फर्क होता है । उदाहरण के लिए विदेशी भाषा सीखने वाली कक्षा में आम तौर पर दसेक विद्यार्थी होते हैं, ताकि हरेक विद्यार्थी को पर्याप्त अभ्यास का मौका मिल सके। उधर कुछ लोकप्रिय सार्वजनिक पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या कई सौ तक होती है । कक्षा में मुख्य तौर पर अध्यापक बोलते हैं और विद्यार्थी सुनते हैं । पर आजकल कक्षाओं में विद्यार्थी सक्रिय रुप से अध्ययन-अध्यापन में हिस्सा लेते हैं, आपस में अक्सर विचार-विमर्श करते हैं । कक्षा में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाने लगी हैं, इस से विद्यार्थियों की तर्क क्षमता का भी विकास होता है और वे सवालों का विश्लेषण, विवेचन करना भी सीखते हैं और समूह में एक साथ कैसे काम किया जाए, इस की सीख भी मिलती है ।