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13-10-15:आ ज़रा जी लें
2013-11-27 14:49:29

 

हर मंगलवार की तरह आज भी न्यूशिंग स्पेशल लेकर हाजिर है आपकी होस्ट और दोस्त हेमा कृपलानी। चाइना रेडियो इंटरनेशनल के इस कार्यक्रम में हम आपको चीन की जीवनशैली से लेकर, जीवन की हर-छोटी-बड़ी बात की जानकारी देते रहते हैं। मिलवाते हैं कुछ दिलचस्प लोगों से तो बातें करते हैं सेहत-स्वास्थ्य की। तो चलिए करते हैं शुरू इस सप्ताह का कार्यक्रम।

अभी हाल ही मैं अपनी कुछ सहेलियों के साथ बैठी गपशप कर रही थी कि एक सहेली का चेहरा बहुत मुरझाया हुआ था। बहुत कुरेदने के बाद उसने अपने दिल का हाल खोलकर बताया कि कुछ दिन पहले उसकी नौकरी चली गई और बहुत कोशिश करने के बाद भी उसे कहीं सफलता नहीं मिल पा रही थी। सब उसे सांत्वना देने लगे पर उसके चेहरे के भाव बदल नहीं रहे थे। तब हम में से एक सहेली ने जो उससे कहा वह सुन केवल हमारी उदास सहेली ही नहीं बल्कि हम सब में भी एक नया जोश-उत्साह और उल्लास भर गया। और अगर मुझे किसी चीज़ से फायदा हुआ तो मैंने सोचा क्यों न अपने श्रोताओं को भी इसका फायदा पहुँचाऊँ। तो लिजिए सुनिए।

सफलता और असफलता के बारे में सोचने की बजाए आप कोशि‍श करने पर अपना पूरा ध्यान लगाएँगे तो कोशि‍शों का सफर भी आसान होगा और जो परिणाम आएगा, वह भी संतुष्टि देने वाला ही होगा। इसलिए कोशि‍श करने में किसी भी तरह की कोताही न बरतें।

सर्कस में हाथी को रस्सी से बाँधकर रखते हैं। यह ऐसी रस्सी होती है, जिसे हाथी आसानी से एक झटके में तोड़ सकता है। हाथी बलशाली होता है और जरा-सी ताकत लगाने पर वह रस्सी के छोटे से टुकडे को तोड़ सकता है, पर क्या कारण होता है कि हाथी एक छोटी-सी रस्सी को तोड़ नहीं पाता और बंधन मुक्त नहीं हो पाता।

दरअसल हाथी को बचपन से ही मोटी रस्सी से बाँध कर रखा जाता है और उसे इस बात का एहसास करवाया जाता है कि मोटी रस्सी को वह तोड़ नहीं सकता। उम्र बढ़ने के बाद भी हाथी के दिमाग में यही बात स्थायी रूप से बैठ जाती है कि अगर पैर में रस्सी है तब वह एक बंधन में है, जो टूट ही नहीं सकता। हाथी ताउम्र रस्सी को बंधन का पर्याय मान लेता है।

ऐसा बंधन जो बस एक झटके में टूट सकता है। अगर असफलता की बात करें तब मनुष्य का स्वभाव रहता है कि वह असफलता को पैर में बँधी रस्सी की तरह मान लेता है। वह फिर से असफलता प्राप्त क्षेत्र में जाने से डरता है। उसे असफलता से इतना डर लगने लगता है कि वह उसे बंधन मानने लगता है और प्रयत्न करने से भी डरने लगता है।

और, इस डर का मनोविज्ञान इतना खतरनाक होता है कि व्यक्ति साधारण कार्य करने से भी डरने लगता है और बात उसके आत्मविश्वास में कमी से लेकर व्यक्तित्व में कमियों तक पहुँच जाती है। हाथी कभी भी इस बंधन से मुक्त नहीं हो पाता, इस कारण हर दम रस्सी से बँधा रहता है, जबकि हम अपनी असफलता को भूलकर नई पहल करने में सक्षम हैं बावजूद इसके कई युवा साथी अपनी असफलता को लंबे समय तक साथ में लेकर चलते रहते हैं।

इस कारण वे कुछ नया नहीं सोच पाते, क्योंकि उन्हें हरदम यही बात सताती रहती है कि कहीं पुनः असफल न हो जाए। दरअसल असफलता को क्षणिक माना जाना चाहिए और इस बंधन से जितना जल्दी हो मुक्त हो जाना चाहिए। असफलता से छूटकर अगर आप प्रयत्न का दामन थामेंगे तब निश्चित रूप से एक ताजी हवा के झोंके जैसा एहसास होगा और नई राह पर चलने के लिए नए प्रयत्न कर पाएँगे।

असफलता कोई अभिशाप तो नहीं, यह प्रयत्न करने का फल है और फल कड़वा भी हो सकता है, पर हर बार फल कड़वा ही होगा, यह मानकर आप फल खाना ही त्याग देंगे? प्रयत्न करें और मेहनत के साथ प्रयत्न करें तब आप देखेंगे कि सफलता को आपके पास आना ही पड़ेगा।

है न, सही बात। सब कुछ हमारे दिल-दिमाग, सोच-विचार का खेल है। ये दिल-दिमाग चाहे तो हमें आसमान पर बैठा दे, चाहे तो ज़मीन पर पटक दे। तो बस हौसले बुलंद रखे और आगे बढ़ते रहें। हम भी बढ़ते है अपने कार्यक्रम में आगे और करते हैं स्वास्थ्य-सेहत की बातें। कुछ दिन पहले मैंने एक समाचारपत्र में पढ़ा कि

विटामिन बी 3 रखता है यंग

अगर आप लंबी और सेहतमंद जिंदगी की चाहत रखते हैं तो यकीनन आपको विटामिन बी3 यानी नियासिन से दोस्ती कर लेनी होगी। असल में नई स्टडी से पता लगा है कि यह विटामिन लंबी और सेहतमंद जिंदगी के लिए जरूरी है। असल में यह विटामिन शरीर को एक्सरसाइज का झांसा देता है। ईटीएच ज्यूरिक के वैज्ञानिकों ने राउंडवॉर्म्स के जरिए नियासिन के गुणों को दर्शाया। इनकी डाइट में नयासिन और मेटाबोलाइट निकोटिनामाइड शामिल किया गया जिससे ये कीड़े औसत उम्र से ज्यादा जिए।


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