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दर्शनीय चांदनी शहर श्यांगरिला
2012-11-05 18:51:21
क्या श्यांगरिला का नाम आप ने कभी सुना था?वर्ष 1933 में अमरीकी लेखक जम्स हिल्टन ने लुप्त क्षितिज शीर्षक अपने उपन्यास में श्यांगरिला का इसी तरह विवरण किया है कि यह एक चिरस्थायी शांतिमय स्थल ही है। फिर अनेक साल बाद लोगों को पता चला है कि चीन के युन्नान प्रांत के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित दीछिंग तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर लुप्त क्षितिज शीर्षक जम्स हिल्टन के उपन्यास में वर्णित स्थल के बराबर है। बाद में लोगों ने इसी पठार पर स्थित महत्वपूर्ण कस्बे चुंग त्येन का नाम श्यांगरिला बदल दिया है।

श्यांगरिला में एक पुराना चांदनी शहर बहुत चर्चित है। यह शहर पर्वत पर निर्मित हुआ है, इसलिये शहर में सड़कें ऊबड़ खाबड़ हैं, पत्थरों से निर्मित मार्ग पर अभी तक नालों की गहरी छापें देखी जा सकती हैं , जबकि पत्थर मार्ग के बीचोंबीच घोड़ों के लिये बिछाये गये लम्बे पत्थर इतिहास का सब से अच्छा साक्षी ही हैं । इस एक हजार तीन सौ वर्ष से अधिक पुराने शहर में तिब्बती वास्तु शैली से निर्मित बड़े आकार वाले आवासीय मकान बड़े ढंग से सुरक्षित हुए हैं। यह स्थल दीछिंग तिब्बती जातीय स्वशासन प्रिफेक्चर के सब से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल की हैसियत से बड़ी तादाद में देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

इस प्राचीन शहर की सड़कों पर अकसर विदेशी लोग देखने को मिलते हैं, उन में से कुछ लोग पर्यटन मंडल के साथ अभी अभी आये हैं, कुछ लोग तो कई सालों से यहां रहते आये हैं, यहां पर दस से ज्यादा विदेशियों द्वारा खोले गये बार और होटल भी हैं। कनाडा से आये नेल किर्कलांड दंपति अपने दोस्तों के साथ इस शहर की सफांग सड़क पर परदेश नामक काफी बार चलाते हैं। नेल किर्कलांड 2002 में अंग्रेजी भाषा पढ़ाने के लिये चीन के ऊ हान शहर गये, फिर काम के लिये शीआन शहर रहे, अंत में वे श्यांगरिला आकर बस गये।

"इस स्थल को देखने से मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, मैंने इस की कल्पना नहीं की कि चीन में इतना खूब सूरत जगह भी उपलब्ध है। मुझे शीआन शहर से बहुत लगाव है, साथ ही ऊ हान शहर की खूब याद आती है, पर उक्त दोनों शहर काफी बड़े हैं, सड़कों पर भीड़ लगी रहती है, दूषण भी ज्यादा गम्भीर है। शीआन शहर तो छिनलिंग पर्वत से नजदीक है, पर ज्यादा दूषण की वजह से वातावरण अकसर धुंधला सा नजर आता है, अधिकतर समय में छिनलिंग पर्वत दिखायी नहीं देता है, जी हां, यह स्वाभाविक ही है, क्योंकि शहर बहुत बड़ा है। बाद में जब मैं यहां पहुचा, तो देखा कि यहां का वातावरण इतना साफ सुथरा है और चारों तरफ बहुत सुंदर नजर आती हैं, यह देखकर मैं एकदम चमत्कृत रह गया।"

नेल किर्कलांड दंपति जैसे और बहुत ज्यादा विदेशी दोस्तों को श्यांगरिला में बसे हुए अनेक साल हो गये हैं। अमरीका के वाशिंगटन से आये एलन बार्टी ने श्यांगरिला की सुंदरता की चर्चा करते हुए कहा:

"मुझे यहां बसे हुए 6 साल हो चुके हैं , यहां का प्राकृतिक दृश्य बहुत अनौखा है , मुझे बेहद पसंद है । साथ ही यातायात भी बहुत सुविधाजनक है , यहां के स्थानीय वासी बहुत सीधे सादे और मेहमाननवाज हैं और मेरे देशबंधु ही लगते हैं ।"

जब हमारे संवाददाता उन से पूछा कि आप श्यांगरिला में किस चीज़ से प्रभावित हुए हैं, तो उन्होंने इस के जवाब में विविधता को कहा। फूतात्सो राष्ट्रीय पार्क जैव विविधता का बेहतरीन साबूत है, इस पार्क को श्यांगरिला का श्यांगरिला माना जाता है , शांगहाई से आये पर्यटक चांग छंग छी का मानना है कि फूतात्सो आने से ही सच्चे मायने में प्रकृति के बीच पहुंच गया है। उन्होंने कहा:

"क्योंकि मैं हमेशा बड़े शहर में रहता हूं, अचानक यहां का भू दृश्य देखकर बड़ा अच्छा लगता है , मुझे यह भू दृश्य बहुत पसंद है कि मानव जाति गांयों, बकरों भेड़े व पशुओं के साथ सामंजस्यपूर्वक सहअस्तित्व रहती है। यहां का वातावरण संरक्षण भी प्रशंसनीय है, प्राकृतिक दृश्य और मानवकृत भू दृश्य देखने में बहुत सामंजस्यूपूर्ण हैं। देश के भीतरी क्षेत्रों के कुछ पर्यटन स्थलों की तुलना में यहां का संरक्षण बहुत युक्तिसंगत है, मसलन यहां की सड़कों पर बहुत ज्यादा छोटे छोटे जानवर देखने को मिलते हैं, यह मेरे लिये एक विशेष अनुभव ही है।"

प्राकृतिक जीव विविधता को छोड़कर श्यांगरिला की जातीय संस्कृति भी विविधतापूर्ण है। युन्नान प्रांत में सब से बड़ी तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक मंदिर सुंगचांगलिन मठ श्यांगरिला की धार्मिक संस्कृति का महत्वपूर्ण द्योतक ही है। शांगहाई का पर्यटक चांग छंग छी विशेष तौर पर सुंगचांगलिन मठ के दौरे के लिये श्यांगरिला आया है।

"वास्तव में सुंगचांगलिन मठ देखने के लिये मैं श्यांगरिला आया, क्योंकि गत वर्ष मैं तिब्बत और छिंगहाई के दौरे पर गया था। मुझे उम्मीद है कि शीघ्र ही तिब्बती लामा बौद्ध धर्म की तमाम मठों को देख पाऊंगा।"

सुंगचांगलिम मठ की बाह्य आकृति ल्हासा के पोताला महल से मिलती जुलती है, इसलिये वह लघु पोताला महल के नाम से विख्यात हो गया है। युन्नान प्रांत के एक विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा ह्वांग श्यु तान अपने सहपाठियों के साथ चित्र बनाने के लिये श्यांगरिला आयी, इसी बीच वे विशेष तौर पर सुंगचांगलिन मठ के दौरे पर भी आये। उस ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि सुंगचांगलिन मठ का निर्माण समूह अत्यंत शानदार दिखाई देता है , साथ ही उस के बगल में एक के बाद एक पर्वत भी खड़े हुए हैं, सुंगचांगलिन मठ में प्रविष्ट होने के बाद बेशुमार कसांग फूल खिले हुए नजर आते हैं। यह सचमुच मानवकृत और प्राकृतिक दृश्यों की अद्वितीय सामंजस्यपूर्ण आदर्श मिसाल ही है।

असल में चाहे चांदनी शहर हो या फूतात्सो राष्ट्रीय पार्क क्यों न हो, यह सब कुछ श्यांगरिला का एक बहुत छोटा भाग मात्र ही है। आप तभी इस भूमि के अनंत आकर्षण से अपना मन छू लेंगे, जबकि आप नजदीगी से उस के आकर्षण का अनुभव कर लें।

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