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तिब्बती मिडिल स्कूल की नयी शुरूआत
2012-11-05 18:49:32

हाल में हमारे संवाददाता ने स्छ्वान प्रांत के आपा तिब्बती व छ्यांग जातीय स्वशासन प्रिफैक्चर के उत्तर पूर्व स्थित सोंग फान कांउटी का दौरा किया और वहां स्थित छिई नामक तिब्बती मिडिल स्कूल के बारे में जानकारी ली। यह एक प्रमुख स्थानीय द्वि भाषी स्कूल है। अपनी स्थापना के बाद के पिछले 20 वर्षों में स्थानीय सरकार और संबंधित विभागों की सहायता व समर्थन से स्कूल का बड़ा विकास हुआ है। शिक्षकों की गुणवत्ता, विद्यार्थियों की क्षमता, स्कूली इमारतों के निर्माण और शैक्षिक उपकरणों का तैयार आदि क्षेत्रों के विकास में पर्याप्त उपलब्धियां हासिल हुईं। यह स्कूल बहुत ज्यादा स्थानीय तिब्बती छात्रों की शिक्षा पाने और जीवन विकास साकार करने की नई शुरूआत बन गया है।

स्छ्वान प्रांत के आपा तिब्बती व छ्यांग जातीय स्वशासन प्रिफैक्चर के उत्तर पूर्व स्थित सोंगफान तिब्बती मिडिल स्कूल के कैंटिंग में हमारे संवाददाता ने खाना खा रहे छात्र कोंग छ्योचू के साथ बातचीत की. उसने सितम्बर 2012 से मिडिल स्कूल में दाखिला लिया।

संवाददाता:तुमहारी उम्र कितनी है?

कोंग छ्योचू:13 साल।

संवाददाता:चीनी भाषा प्राइमरी स्कूल में सीखी या नहीं?

कोंग छ्योचू:जी हां।

संवाददाता:अब मिडिल स्कूल में तुम सामान्य कक्षा में हो या तिब्बती भाषा वाली कक्षा में?

कोंग छ्योचू:तिब्बती भाषा वाली क्लास में।

संवाददाता: इस स्कूल तुम्हें कैसा लगता है?अच्छा है?

कोंग छ्योचू:बहुत अच्छा।

संवाददाता:किस क्षेत्र में अच्छा है?

कोंग छ्योचू:खाना आदि सभी अच्छा है। हमें मुप्त में पढ़ाई और मुफ्त भोजन का मौका मिलता है।

संवाददाता:भविष्य में तुम क्या करना चाहते हो?उच्च शिक्षा जारी रखोगे या रोज़गार स्कूल में जाओगे?

कोंग छ्योचू:मैं रोज़गार स्कूल में जाना चाहता हूं।

सोंगफान कांउटी के इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1988 में हुई। उस समय स्कूल में मात्र कुछ क्लास रूम थे, जिसमें पांच शिक्षक और 108 छात्र थे। वर्ष 2008 में स्छ्वान प्रांत की वन छ्वान कांउटी में जबरदस्त भूकंप आया। हालांकि छिई मिडिल स्कूल में कोई भी हताहत नहीं हुआ, लेकिन क्लासरूम व पुरानी इमारतें सब नष्ट हो गए।

सोंगफान कांउटी में एक महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक जातीय द्वि भाषी स्कूल के चलते स्थानीय सरकार ने विशेष राशि लगाकर सकूल के पुनर्निर्माण पर बड़ा ध्यान दिया। इसकी चर्चा में सोंगफान कांउटी के प्रसारण विभाग के कर्मचारी छङ शी ने कहा:

"भूकंप के बाद हमारे यहां शिक्षा और बुनियादी संस्थापन संबंधी परियोजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। यह तिब्बती भाषा वाला स्कूल कांउटी में मह्तवपूर्ण अल्पसंख्यक जातीय स्कूल है। इस तरह स्कूल के पुनर्निर्माण पर हमने जोर दिया।"

पुनर्निर्माण के बाद इस स्कूल का नाम बदलकर"छिई तिब्बती मिडिल स्कूल"कर दिया गया। स्कूल के वर्तमान प्रधान कङ फेई ने भाव विभोर होकर कहा:

" 12 मई 2008 को आए जबरदस्त भूकंप के बाद हमारे स्कूल को सरकार ने विशेष राशि वाली परियोजनाओं में शामिल किया। शिक्षण बिल्डिंग के अलावा, प्रयोगशाला इमारत, छात्रावास, शिक्षकों का आवास स्थल और कैंटीन आदि सब नई इमारतें हैं, जिनमें कुल दो करोड़ 20 लाख युआन खर्च हुए। इसके साथ ही सभी क्लासरूम में इलैक्ट्रोनिक बोर्ड लगाने के साथ-साथ इंटरनेट की सुविधा भी दी गई है।"

स्कूल के प्रधान कङ फेई के अनुसार वर्तमान में छिई तिब्बती मिडिल स्कूल में कुल 37 पेशेवर शिक्षक हैं, जिनमें उच्च स्तरीय शिक्षकों की संख्या छह है, जबकि उनसे कम स्तर वाले शिक्षकों की संख्या 22 है। स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 400 से अधिक है, जिनमें 99 प्रतिशत तिब्बती है।

बताया जाता है कि चीनी अल्पसंख्यक जाति बहुल क्षेत्रों में आम तौर पर शुद्ध जातीय स्कूल खोला जाता है। अगर कई जातियां एक साथ रहती हैं, तो ज्यादातर संयुक्त जातीय स्कूल खोला जाता है। लेकिन संयुक्त जातीय स्कूलों में विद्यार्थी अपनी जातीयता के अनुसार विभिन्न कक्षाओं में पढ़ते हैं। ऐसा करने से विद्यार्थियों को अपनी जातीय भाषा सीखने में सुविधा रहती है।

सोंगफान कांउटी का छिई तिब्बती मिडिल स्कूल एक द्वि भाषी मिडिल स्कूल है, यहां की पढ़ाई में दो तरीके अपनाए जाते हैं। यानी शुद्ध तिब्बती भाषा का"पहले श्रेणी"वाला नमूना और शुद्ध चीनी भाषा का"साधारण"नमूना। इस तरह अलग अलग चीनी भाषा, तिब्बती भाषा और अंग्रेज़ी वाली कक्षा खोली जाती है। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार कक्षा में दाखिला लेते हैं। इस बारे में स्कूल के प्रधान कङ फेई ने कहा:

"हमारे स्कूल में 99 प्रतिशत छात्र-छात्राएं तिब्बती हैं। प्राइमरी स्कूलों से स्नातक होने तक वे अपनी पहली पढ़ाई के मुताबिक अलग शैक्षिक नमूना चुन सकते हैं। चीनी भाषा में निपुण होने वाले विद्यार्थी हमारे स्कूल में साधारण नमूना चुन सकते हैं, जबकि तिब्बती भाषा जानने वाले विद्यार्थी पहली श्रेणी वाला नमूना चुन सकते हैं। विद्यार्थियों के चुनने के बाद हम परीक्षा लेते हैं।"

उक्त कदम के अलावा, सरकार ने स्कूल में"मुफ्त पढ़ाई फ़ीस, मुफ्त किताबों की फ़ीस और जीवन भत्ता"आदि नीतियां अपनाई। यह वर्ष 2001 के बाद से लेकर अब तक चीन सरकार द्वारा ग्रामीर्ण क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा के दौरान गरीब परिवार के विद्यार्थियों के लिए लागू की गई सहायता नीति है। छिई तिब्बती स्कूल के प्रधान कभफेई ने कहा कि इस नीति के कार्यान्वयन किए जाने के बाद स्कूल ने पढ़ाई, भोजन और किताबों से संबंधी सभी फ़ीस माफ कर दी। इसके साथ ही प्रति छात्र को प्रति माह 145 युआन जीवन भत्ता भी दिया जाता है। नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा के दौरान विद्यार्थी को पढ़ाई के लिए एक भी पैसा देने की जरूरत नहीं होती है। अबने बच्चे को हमारे स्कूल में दाखिला दिलाने पर उनके माता पिता को कोई चिंता नहीं होती है।

मिडिल स्कूल से निकलने के बाद विद्यार्थी कहां जाएं, क्या करें?इसके बारे में छिई तिब्बती मिडिल स्कूल के प्रधान कङफेई ने कहा कि विद्यार्थी या तो तिब्बती हाईस्कूल में या साधारण हाई स्कूल में अपनी पढ़ाई जारी रखने का विकल्प चुन सकते है। इसके अलावा कुछ विद्यार्थी निशुल्क रोज़गार तकनीकी स्कूल में दाखिला ले सकते हैं। इसका श्रेय इधर के वर्षों में स्छ्वान प्रांत में लागू की जा रही"नौ प्लस तीन"वाली नीति को जाता है। इसकी जानकारी देते हुए कङफेई ने कहा:

"'नौ प्लस तीन'नीति इधर के वर्षों में स्छ्वान प्रांत में लागू की जा रही अल्पसंख्यक जातियों को लाभ पहुंचाने वाली नीति है। इसके तहत विद्यार्थी देश के नौ वर्ष के अनिवार्य शिक्षा पाने के बाद यानी मिडिल स्कूल से पास होने के बाद सीधे रोज़गार स्कूल जाकर तकनीकी ज्ञान सीखते हैं। वह पूरी तरह मुफ्त शिक्षा वाली योजना है। माता पिता अपने बच्चे को रोज़गार स्कूल में भेजना चाहते हैं। इसके साथ ही चीन के भीतरी इलाके के कई रोज़गार तकनीकी स्कूलों में भी तिब्बती छात्रों की भर्ती होती है।"

छिई तिब्बती मिडिल स्कूल के प्रधान कङ फेई के मुताबिक रोज़गार तकनीकी स्कूल हमारे कार्यक्रम के शुरू में छोटे बच्चे कोंग छ्योचू की पढ़ाई के बाद जाने वाला स्थल है। परिवार में सबसे बड़े बच्चे के रूप में 13 वर्षीय कोंग छ्योचू को जल्द काम कर पैसे कमाने की अहमियत पता है, कोंग छ्युचू ने कहा कि घर में छोटे भाई व छोटी बहन की देखभाल और माता पिता की सहायता के लिए रोज़गार टैक्नोलॉजी स्कूल में भार्ती होना उसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। विश्वास है कि इस नीति से ज्यादा से ज्यादा बच्चों को अधिक से अधिक विकल्प मिल सकते हैं, अच्छे विकल्पों के चुनाव से उनका भविष्य सुनहरा हो सकता है।

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