विशिष्ट लक्षण
बात करते है चीन की विशाल दीवार के निर्माण की। ईंटों के प्रयोग से पहले, चीन की विशाल दीवार को खा़सतौर से पत्थर, पिसी मिट्टी, और लकडी़ से निर्माण किया गया था। मिंग राजवंश के दौरान, ईंटों का काफी भारी मात्रा में प्रयोग किया गया। ईंटों के आकार और भार से निर्माण कार्य पत्थर और पिसी मिट्टी के मुकाबले अधिक तेजी से होता था। इसके अलावा, ईंटें पिसी मिट्टी की तुलना में ज्यादा भार झेलने की क्षमता रखती है। पत्थर ईंटों की तुलना में अपना वज़न झेलने में ज्यादा उपयोगी माने जाते है, परन्तु प्रयोग करने में ज्यादा कठिन होता है। परिणामस्वरूप, पत्थर को समकोणीय आकार में काटकर बुनियाद बनाने, अंदरूनी व बाहरी सिरा, और दीवार के द्वार में प्रयोग किया गया। दीवार के विशाल बहुमत का उपरी भाग के परकोटा लाइन में बने बचाव झरोखे की लम्बाई करीब 30 से.मी. और 23 से.मी.चौड़ा है।
हालात
पेइचिंग के उत्तरी भाग और पास के पर्यटन स्थल में दीवार के कुछ अंशों को सुरक्षित किया गया है और व्यापक रूप से नवीनीकरण किया गया है। दीवार के कुछ भाग भित्ति चित्रण और जानबूझ कर हानि पहुंचाने की वजह से विध्वस्त हो गये है।
कान्सु प्रांत में आने वाले 20 सालो में रेतीले तुफान की घिसाव से 60 कि.मी. से अधिक दीवार अलोप हो जाएगी। कई स्थानो में, दीवार की उँचाई 5 मी.से घटकर 2 मी. तक रह गई है। दीवार का काफी पश्चिमी भाग मिट्टी से बना हुआ है, बजाय ईंट और पत्थर के और इस प्रकार अपरदन होने की गुंजाइश ज्यादा है। अगस्त 2012 में चीन के उत्तरी भाग हपेई प्रांत में लगातार भारी वर्षा होने से दीवार का 30 मी. भाग ढह गया।
बुर्ज और बैरक
सैन्य टुकड़ियों में संदेशों का आदान-प्रदान करने और दुश्मनों की हलचल पर नज़र रखने के उद्देश्य से बुर्ज और बैरक का निर्माण किया गया जोकि काफी महत्वपूर्ण था। उनकी दृश्यता के लिए पहाडी़ के शिखर या दीवार के करीब अन्य उँचे स्थान पर सिग्नल टावॅर भी बनवाये गए।