शी चिनफिंग ने एपेक सीईओ समिट में लिखित भाषण दिया

2024-11-16 17:26:19

स्थानीय समय के अनुसार 15 नवंबर की सुबह, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पेरू की राजधानी लीमा में आयोजित एपेक सीईओ समिट में "समय की प्रवृत्ति को समझना और संयुक्त रूप से विश्व समृद्धि को बढ़ावा देना" शीर्षक एक लिखित भाषण दिया।

शी चिनफिंग ने बताया कि एशिया-प्रशांत देश आर्थिक वैश्वीकरण में गहराई से एकीकृत हो गए हैं और हितों का समुदाय व साझा भविष्य समुदाय बन गए हैं। साथ ही, दुनिया अशांति और परिवर्तन के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है, और आर्थिक वैश्वीकरण को गंभीर परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्था के लिए कहां जाना है, इसके लिए हमें निर्णय करना होगा।

शी चिनफिंग ने बताया कि आर्थिक वैश्वीकरण सामाजिक उत्पादक शक्तियों के विकास के लिए उद्देश्यपूर्ण आवश्यकता है और वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति का अपरिहार्य परिणाम है, हालांकि इसे प्रतिकूल परिस्थितियों और विपरीत लहरों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इसके विकास की प्रवृत्ति कभी नहीं बदली। विभिन्न बहानों से एक दूसरे पर निर्भर करने वाली दुनिया को विभाजित करने की कार्रवाइयां इतिहास की घड़ी को पीछे घुमा रही हैं। यह क्षण जितना कठिन होगा, हमें उतना ही अधिक आश्वस्त होना होगा। हमें आर्थिक वैश्वीकरण की दिशा का सही मार्गदर्शन करना चाहिए, समावेशी आर्थिक वैश्वीकरण को संयुक्त रूप से बढ़ाना चाहिए, और आर्थिक वैश्वीकरण को एक अधिक गतिशील, समावेशी और सतत नए चरण में धकेलना चाहिए, ताकि विभिन्न देशों और समूहों को बेहतर लाभ पहुंच सके।

शी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले 30 वर्षों में, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने मजबूत विकास बनाए रखा है और "एशिया-प्रशांत चमत्कार" बनाया है जिसने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है। एशिया-प्रशांत की सफलता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हमारी निरंतर प्रतिबद्धता, सच्चे बहुपक्षवाद और खुले क्षेत्रवाद के प्रति हमारे निरंतर पालन, आर्थिक वैश्वीकरण की सामान्य प्रवृत्ति के साथ हमारे निरंतर अनुपालन और पारस्परिक लाभ, जीत-जीत व एक दूसरे के समर्थन पर हमारी दृढ़ता से उपजी है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र को आर्थिक वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में लोकोमोटिव बने रहना चाहिए, खुले और समावेशी एशिया-प्रशांत के निर्माण करने के साथ-साथ हरित और डिजिटल एशिया-प्रशांत का नया ब्रांड बनाना चाहिए और साझा भविष्य वाले एशिया-प्रशांत समुदाय के निर्माण को बढ़ावा देते हुए एशिया-प्रशांत विकास का अगला "सुनहरा तीस साल" बनाना चाहिए।

(मीनू)

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