चीन के खिलाफ प्रचार युद्ध के लिए 160 करोड़ अमेरिकी डालर खर्च करने की अमेरिका की योजना
अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिनिधि सदन ने हाल ही में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसका मुख्य विषय है कि तथाकथित चीन के द्वेषपूर्ण प्रचार के मुकाबले के लिए 2023—27 वित्त वर्ष तक हर साल 32 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डालर यानी कुल 160 करोड़ अमेरिकी डॉलर आवंटित किया जाएगा। चीन पर कलंक लगाने के इस कदम से यह साबित हुआ है कि अमेरिका वास्तव में झूठी सूचनाएं फैलाने वाला है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंध और अंतर्राष्ट्रीय लोकमत वातावरण पर बुरा असर पड़ता है।
इस प्रस्ताव में चीनी व्यवस्था पर आरोप लगाने की बातों के अलावा एक अहम निशाना यानी बेल्ट एंड रोड का उल्लेख किया गया। इसके अलावा यह प्रस्ताव अमेरिकी सहायता मिलने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को नकारात्मक सूचनाएं गढ़ने को प्रेरणा देता है।
इस प्रस्ताव में दो परिचित संस्थानों के नाम नज़र आये। एक है ग्लोबल इंगेजमेंट सेंटर (जीईसी) और दूसरा है अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास ब्यूरो। जीईसी अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधीन है, जिसे अमेरिका द्वारा चीन व रूस आदि देशों के प्रति प्रचार युद्ध छेड़ने का समन्वय केंद्र माना जाता है, जबकि अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय विकास ब्यूरो अमेरिका द्वारा कथित लोकतांत्रिक फैलाव करने का मुख्य संस्थान है। अगर यह प्रस्ताव अंत में अधिनियम बन जाए, तो इतनी बड़ी धनराशि शायद इन दो संस्थानों के हाथों में पड़ेगी।
अमेरिका दवारा पैसा खर्च कर लोकमत को नियंत्रित करना नयी बात नहीं है। उसके तीन मुख्य उपाय हैं। पहला, पैसा खर्च कर विदेशी मीडिया को ट्रेनिंग देना और उनको झूठ फैलाने देना। दूसरा, प्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित संस्थान को पैसा देना ताकि वे अमेरिका की इच्छा के मुताबिक रिपोर्ट जारी करें। तीसरा, न्यू मीडिया में निवेश बढ़ाना।
विश्लेषकों के विचार में यह प्रस्ताव अमेरिका की तीव्र घरेलू राजनीतिक स्पर्द्धा से प्रेरित है। चीन को बदनाम करना और दबाना मूल रूप से अमेरिका के घरेलू सवाल का समाधान नहीं कर सकता और चीन के विकास को भी बाधित नहीं कर सकता। इसके विपरीत चीन अमेरिका सम्बंध और अमेरिकी जनता के हितों को नुकसान पहुंचेगा और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए खतरा लाएगा।
(वेइतुंग)