खुशखबरीः मच्छर जनित रोगों के नियंत्रण में चीनी वैज्ञानिकों को मिली कामयाबी
गर्मियों और बरसात के दिनों में मच्छर लोगों को खूब परेशान करते हैं। मच्छर न केवल रात में नींद में खलल डालते हैं, बल्कि डेंगू व मलेरिया जैसे रोगों से भी ग्रस्त करते हैं। लेकिन मच्छरों से होने वाले रोगों के नियंत्रण में चीनी और अमेरिकी वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जिससे भविष्य में विभिन्न देशों में मच्छर जनित रोगों को रोकने में मदद मिल सकती है।
चीन और अमेरिका के एक शोध दल ने एक स्वचालित उपकरण विकसित किया है जो नर और मादा मच्छरों को सफलता से अलग कर सकता है। माना जा रहा है कि यह मच्छर जनित रोगों के जैविक नियंत्रण में एक बड़ी इंजीनियरिंग कामयाबी है।
बताया जाता है कि अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, चीनान यूनिवर्सिटी और क्वांगचो वोलबाकी बायोटेक कंपनी आदि संस्थानों के शोधकर्ताओं से गठित अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने हाल में साइंस रोबोटिक्स अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक पत्रिका में अपने परिणाम प्रकाशित किए। इनके मुताबिक उक्त टीम ने एक स्वचालित उपकरण विकसित किया है, जो मच्छरों के प्यूपा को अच्छी तरह से हिला सकता है, अलग कर सकता है और इकट्ठा कर सकता है। जो मच्छरों को आपस में संभोग करने से रोकने की दिशा में अहम साबित हो रहा है। ये परिणाम पूरी दुनिया के लिए एक अच्छी खबर हैं।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में डेंगू बुखार जैसे मच्छर जनित रोग जलवायु परिवर्तन और मानव गतिशीलता के साथ तेजी से गंभीर हो रहे हैं।
चीनान विश्वविद्यालय के एक एसोसिएट प्रोफेसर ली योंगजुन के मुताबिक , रासायनिक नियंत्रण का इन कीटों पर सीमित प्रभाव पड़ता है और पर्यावरण प्रदूषण और दवा प्रतिरोध की समस्याएं लाता है। लेकिन उनकी टीम द्वारा अपनाए गए उपाय इस दिशा में कारगर साबित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययनों से पता चला है कि जंगली मादा मच्छरों के साथ संभोग करने के लिए नर मच्छरों को छोड़ा जाता है, जो काटते या बीमारियां नहीं फैलाते हैं। इस तरह जंगली मच्छरों की आबादी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
हालांकि इस नियंत्रण तकनीक को जंगली रोग फैलाने वाले मच्छरों की जनसंख्या घनत्व को दबाने और डेंगू बुखार के प्रसार को कम करने के लिए कई देशों में सत्यापित किया गया है। लेकिन नर और मादा मच्छरों को अलग करने के तरीके की अड़चन के कारण इसका बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर सीमित हो गया है।
वहीं क्वांगचो वोलबाकी बायोटेक कंपनी के शोधकर्ता कोंग जुनथाओ कहते हैं कि उनकी टीम ने स्वतंत्र रूप से एक स्वचालित उपकरण विकसित किया है जो मच्छरों के प्यूपा को कुशलतापूर्वक हिला सकता है, अलग कर सकता है और इकट्ठा कर सकता है। स्वचालित विभाजक अपने ऑपरेटर को दिन में आठ घंटे और सप्ताह में पांच दिन काम करके 16 मिलियन से अधिक नर मच्छरों को अलग करने में सक्षम बना सकता है, जो मैनुअल सेक्स पृथक्करण की तुलना में 17 गुना अधिक है।
साथ ही उन्होंने कहा कि परिणामों से यह पता चला है कि स्वचालित उपकरण में उष्णकटिबंधीय मच्छर जनित रोगों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करने की क्षमता है। इस उपकरण को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इटली सहित 18 देशों में बेचा गया है।
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत सहित दक्षिण एशिया और विश्व के कई देशों में हर साल मच्छर कहर ढाते हैं। विशेषकर बारिश के दिनों में मच्छरों का प्रकोप और बढ़ जाता है, जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता है। इसलिए महानगरों के नगर निगम प्रशासन और शहरों की नगर पालिकाओं के सामने मच्छरों को कम से कम पनपने देने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। बावजूद इसके डेंगू का प्रकोप लगभग हर साल होता है। लेकिन चीनी व अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा तैयार इस उपकरण सभी विभिन्न देशों को उपलब्ध हो जाए, तो इस समस्या से काफी तक राहत मिल सकती है।
(अनिल पांडेय)