फिलीपींस को अमेरिका के प्रलोभन को समझकर अधिक तर्कसंगत होने की आवश्यकता है
जुलाई के अंत में फिलीपींस और अमेरिका ने विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच "2+2" वार्ता का एक नया दौर आयोजित किया। अमेरिका ने फिलीपींस की सुरक्षा और निवेश बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है, लेकिन इससे फिलीपींस को दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर चीन को उकसाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। फिलीपींस को यह पहचानने की जरूरत है कि अमेरिका की प्रतिबद्धता विश्वसनीय नहीं है,और उसका अंतिम उद्देश्य फिलीपींस की शांति और समृद्धि की परवाह करने के बजाय वैश्विक आधिपत्य प्राप्त करना है।
एक एशियाई देश के रूप में फिलीपींस को चीन और फिलीपींस के बीच समुद्री विवादों से निपटने के दौरान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को प्राथमिकता देनी चाहिए थी। हालांकि, जब से मार्कोस प्रशासन ने सत्ता संभाली है, तब से अमेरिका-फिलीपींस गठबंधन का अनुसरण करना, उस पर भरोसा करना और उसे मजबूत करना फिलीपींस की राष्ट्रीय नीति बन गयी। दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर फिलीपींस के प्रदर्शन में तर्कसंगत सोच का अभाव है, बाहरी ताकतों पर बहुत अधिक निर्भर है और इसकी नीतियां अनियमित हैं, इससे न केवल समस्या के समाधान में दिक्कतें आती हैं, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को भी खतरा हो सकता है। आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक ने एक संयुक्त विज्ञप्ति को अपनाया है, जिसमें दक्षिण चीन सागर विवादों को शांतिपूर्वक निपटाने के महत्व पर जोर दिया गया है। यह फिलीपीन सरकार के कुछ अवास्तविक प्रस्तावों को खारिज करता है और शांति के लिए आसियान देशों की सहमति और अपेक्षाओं को दर्शाता है।
ऐतिहासिक रूप से, फिलीपींस ने अपनी विदेश नीति में एशिया में वापसी के प्रयास किए हैं। अब, अमेरिका के प्रलोभन का सामना करते हुए फिलीपींस को शांत और तर्कसंगत रहना चाहिए। इसकी विदेश नीति को क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने और अपने पड़ोसियों के लिए अच्छा होने के सिद्धांतों पर वापस लौटना चाहिए। यह न केवल फिलीपींस के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप है, बल्कि लोगों की भलाई की रक्षा के लिए सही विकल्प भी है। फिलीपींस को बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप को त्यागना चाहिए, शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को हल करना चाहिए और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देना चाहिए।