जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच चीन में समुद्री पर्यावरण में हुआ व्यापक सुधार

2024-07-22 17:15:14


जलवायु परिवर्तन की चुनौती विश्व के सामने मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। दुनिया के तमाम देश इस समस्या को लेकर चिंतित हैं। हालांकि जिस तेजी से दुनिया में विकास हो रहा है, शहरीकरण बढ़ रहा है, उसके कारण जलवायु के सम्मुख संकट बढ़ता ही जा रहा है। थल, वायु और जल हर तरह की जलवायु पर असर पड़ रहा है। चीन और भारत जैसे देशों में इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि कैसे पर्यावरण को संरक्षित किया जाय। लेकिन पश्चिमी देश जो जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार हैं, पर वे जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। इस बीच समुद्री पर्यावरण का उल्लेख करें तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। चीन ने इस दिशा में काफी काम किया है। जिस पर विश्व का ध्यान आकर्षित हुआ है।

इस बीच चीन के राज्य परिषद सूचना कार्यालय ने समुद्री पर्यावरण को लेकर श्वेत पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि चीन की समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। इसके साथ ही चीन नए अभिनव संरक्षण संबंधी दृष्टिकोणों के बारे में काफी काम कर रहा है। क्योंकि आज के दौर में समुद्र का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। चीन का कहना है कि समुद्री पर्यावरण के लिए भूमि-समुद्र समन्वय और नदी-समुद्र संपर्क को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। बताया जाता है कि इसने समुद्री पारिस्थितिकी-पर्यावरण में प्रभावी रूप से सुधार किया है। चीन द्वारा जो श्वेत पत्र जारी किया गया है, उसका शीर्षक "चीन में समुद्री पारिस्थितिकी-पर्यावरण संरक्षण" है। 

कहा गया है कि प्रमुख समुद्री क्षेत्रों के व्यापक शासन, प्रदूषण नियंत्रण में भूमि-समुद्र समन्वय और सुंदर खाड़ियों के निर्माण के जरिए, चीन में जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इस दस्तावेज़ के अनुसार, वर्ष 2023 में, अच्छे से उत्कृष्ट जल गुणवत्ता वाले समुद्री क्षेत्रों के अनुपात में 2012 की तुलना में 21.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।

इससे पता चलता है कि चीन में इन 11 वर्षों में जल गुणवत्ता सुधारने पर कितना ध्यान दिया गया है। यह पर्यावरण की स्थिति सुधारने के लिए चीन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

श्वेत पत्र में पोहाई समुद्र, यांग्त्ज़ी नदी मुहाना-हांगचो खाड़ी और पर्ल नदी मुहाना जैसे प्रमुख समुद्री क्षेत्रों के चीन के व्यापक शासन पर प्रकाश डाला गया है। ये ऐसे क्षेत्र हैं जो कि चीन के तट के रणनीतिक इलाकों पर स्थित हैं जहां उच्च गुणवत्ता वाला विकास किया जा रहा है।

पोहाई समुद्र क्षेत्र को उदाहरण के रूप में लेते हुए, पारिस्थितिकी-पर्यावरण की गिरावट को नियंत्रित किया गया है। इसमें सकारात्मक गति दर्ज हुई है। श्वेत पत्र में कहा गया है कि समुद्री पर्यावरण पर भूमि-स्रोत प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए, चीन ने भूमि-समुद्र प्रदूषण नियंत्रण को समन्वित करने के लिए कदम उठाए गये हैं। साथ ही भूमि-स्रोत प्रदूषकों को समुद्र में पहुंचाने वाले प्रमुख मार्गों की निगरानी करने के लिए मजबूत उपाय अपनाए गए हैं।

यहां बता दें कि उच्च-स्तरीय पारिस्थितिकी-पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से, चीन अपने उच्च-गुणवत्ता वाले विकास में नए प्रोत्साहन तथा नए लाभों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। श्वेत पत्र के मुताबिक, चीन में हरित जहाजों तथा नई ऊर्जा वाले जहाजों को अपनाने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल हुई है। इसका पहला मेथनॉल दोहरे ईंधन वाला जहाज कार्बन उत्सर्जन को 75 प्रतिशत, नाइट्रोजन उत्सर्जन को 15 प्रतिशत तथा सल्फर और पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन को 99 फीसदी तक कम कर सकता है।

कहा जा सकता है कि जिस तरह से चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। वह वैश्विक स्तर पर भी जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में अपनी जिम्मेदारी को समझता है। साथ ही चीन के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। जिसके कारण हाल के वर्षों में चीन में हवा व जल आदि की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

रेडियो प्रोग्राम