विश्व जनसंख्या दिवस: 2050 में दुनिया कैसी दिखेगी?

2024-07-11 14:38:22

दुनिया के तमाम देश 11 जुलाई को World Population Day यानी विश्व जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाते हैं। इसे मनाने के पीछे मकसद है- जनसंख्या से जुड़ी जरूरतों और परेशानियों को उजागर करना, ताकि आगे आने वाली पीढ़ी के लिए इस दुनिया को बेहतर बनाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत साल 1989 में की थी। 

पिछले एक साल में, दुनिया ने जनसंख्या से जुड़े दो मामले महत्वपूर्ण मील के पत्थर के तौर पर देखे। पहला, नवंबर 2022 में, जिसमें विश्व की जनसंख्या आठ अरब तक पहुँच गई। और दूसरा, पिछले साल, संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत.. चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया।

लेकिन जहां भारत, चीन जैसे देशों में आबादी बढ़ रही है, वहीं साउथ कोरिया और जापान जैसे देश अपनी घटती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं। आंकड़ों की मानें, तो साल 2021 से साउथ कोरिया की जनसंख्या में लगातार गिरावट देखने को मिली। इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि साउथ कोरिया ने आबादी में गिरावट का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ डाला है। 

आइए जानते हैं कि पिछले 70 सालों में दुनिया की आबादी तीन गुणाकैसे हो गई?

1955 में, पृथ्वी पर 2.8 अरब लोग थे। फिलहाल यह भारत और चीन की कुल आबादी है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या डिविजन के अनुमानों के मुताबिक, साल 2050 तक दुनिया की आबादी लगभग 9.7 अरब तक पहुंच जाएगी। इतना ही नहीं, भारत और चीन के बाद, नाइजीरिया दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा, जिसके बाद अमेरिका, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, ब्राजील, कांगो,इथियोपिया और बांग्लादेश का नंबर होगा।

लेकिन इसका पता कैसे चले कि किसी देश की जनसंख्या बढ़ रही है या घट रही है? आपको बता दें कि किसी देश की जनसंख्या का बढ़ना या घटना चार कारणों से तय किया जा सकता है: जन्म, मृत्यु, आप्रवास (यानी देश में आने वाले लोग) और उत्प्रवास (यानी देश छोड़कर जाने वाले लोग)।

इसे आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है- अगर देश में रहने और पैदा होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है तो आबादी बढ़ेगी, और वहीं अगर देश छोड़कर जाने वाले और मरने वालों की संख्या ज्यादा है, तो देश की जनसंख्या घटेगी।

2022 में, दुनिया भर में करीब 13.4 करोड़ बच्चे पैदा हुए। हर दिन औसतन 3.67 लाख नवजात शिशुओं का जन्म हुआ। हालांकि इन आंकड़ों में 19-20 का फर्क भी है सकता है। लेकिन, यह तो साफ है कि साल 2001 के बाद से नवजात शिशुओं की संख्या में धड़ल्ले से गिरावट देखने को मिली है।

दुनिया भर में मरने वालों की संख्या में भी धीरे-धीरे बढ़त दर्ज हुई है।कोविड महामारी के दौरान मौतों में तेजी से उछाल देखने को मिला।साल 2020 में, 6.3 करोड़ मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद 2021 में यह आंकड़ा 6.9 करोड़ को पार कर गया। 

तो कुल मिलाकर, जनसंख्या अपने बुनियादी घटकों की वजह से बढ़ती या घटती है – प्राकृतिक परिवर्तन और प्रवास। इन घटकों के बीच बैलेंस बनाना बेहद जरूरी है। यह संतुलन वक्त के साथ बदलाव की अपनी अनूठी कहानी बयां करता है। ये आंकड़े हमारी समझ बढ़ाते हैं कि हम कहाँ थे और भविष्य में हम कहाँ जा रहे हैं।

ताज़ा आंकड़ों की मानें तो, अफ्रीका दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला महाद्वीप है, जिसमें नाइजर, युगांडा, डीआरसी (डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो), अंगोला, चाड, माली और सोमालिया जैसे देश शामिल हैं। इनमें से हर एक देश की वृद्धि दर हर साल 3 प्रतिशत से ज्यादा है।

दूसरी ओर, दुनिया की सबसे तेजी से घटती आबादी का ज्यादातर हिस्सा यूरोप और पूर्वी एशिया में मौजूद है। जिन देशों में जन्म दर कम हो रही है, वहां की सरकारें नई माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन और मदद देने के लिए कई नई पहल कर रही हैं। 

जैसे, दक्षिण कोरिया में नए माता-पिता को हर महीने 750 डॉलर का नकद भुगतान दिया जा रहा है। वहीं, जापान में माता-पिता को बच्चे के जन्म से लेकर 15 वर्ष की उम्र तक हर महीने भत्ते के तौर पर सब्सिडी दी जाती है।

हम लोग आमतौर पर यही सोचते हैं कि आबादी बढ़ने और घटने से हमें क्या फर्क पड़ेगा? लेकिन सच बात तो यह है कि इसका असर सीधा हम पर ही होगा। घटती और बूढ़ी होती आबादी श्रम बाज़ारों और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए कई बड़ी चुनौतियाँ पेश करती है। कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या में कमी के साथ-साथ, बढ़ती उम्रदराज़ आबादी को संभालने के लिए सामाजिक सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में सुधार करना बेहद जरूरी हो जाएगा। खुद ही सोचिए, हम सभी बूढ़े हो जाएंगे, तो देश आगे कैसे बढ़ेगा...

इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि वैश्विक औसत आयु अब 30 साल से ज्यादा हो गई है। सन् 1800 के बाद से दुनिया की जनसंख्या में आठ गुणा बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़त का श्रेय काफी हद तक आधुनिक चिकित्सा के विकास और कृषि के औद्योगीकरण को दिया जा सकता है, जिसने खाने की आपूर्ति को बढ़ावा दिया।

हालांकि वैश्विक जनसंख्या लगातार नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वार्षिक वृद्धि दर लगातार घटकर 1 प्रतिशत से नीचे आ गई है। इन आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया की आबादी साल 2080 के दशक में लगभग 10.4 करोड़ लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है और 2100 तक इसी लेवल पर बनी रहेगी। बाकी तो वक्त ही बताएगा...।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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