दलाट फोटोवोल्टिक बेस: कुबुछी रेगिस्तान में अभिनव सौर ऊर्जा परियोजना

2024-06-22 18:33:52

दलाट फोटोवोल्टिक बेस चीन के इनर मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के ओरडोस शहर के दलाट काउंटी में कुबुछी रेगिस्तान के केंद्र में एक अभिनव सौर ऊर्जा उत्पादन परियोजना है।

चाइना कंस्ट्रक्शन सेंट्रल द्वारा शुरू की गई इस परियोजना का परिचालन दिसंबर 2018 में शुरू हुआ और दुनिया की सबसे व्यापक रेगिस्तान-आधारित केंद्रीकृत फोटोवोल्टिक बेस के रूप में मान्यता मिली।

परियोजना का पैमाना और स्थान

दलाट फोटोवोल्टिक बेस 100,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है और यह चीन के कुबुकी रेगिस्तान में स्थापित है, जो लगभग 18,600 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ चीन का सातवां सबसे बड़ा रेगिस्तान है और ओरडोस रेगिस्तान का हिस्सा है। इसकी शुरुआती बिजली उत्पादन क्षमता 20 लाख किलोवाट है।

सामरिक महत्व

इनर मंगोलिया में यह परियोजना फोटोवोल्टिक बिजली उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्थल है, जो पीली नदी घाटी में पारिस्थितिक संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देती है। यह पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास पर केंद्रित है।

यह रेगिस्तानी पारिस्थितिकी व्यवस्था, आधुनिक ऊर्जा अर्थव्यवस्था, रेगिस्तान में कृषि, वानिकी, पशुपालन और पर्यटन के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन को जोड़ने के लिए "वन प्रकाश पूरकता" मॉडल का उपयोग करता है।

विकास के चरण

परियोजना के पहले चरण में 3.75 अरब युआन का निवेश शामिल था और इसका लक्ष्य 5 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न करना था। नवंबर 2017 में स्वीकृत होने के बाद मई 2018 में निर्माण शुरू हुआ और 10 दिसंबर, 2018 तक पूरा हो गया।

यह चरण स्थिर रूप से काम कर रहा है, 1 अरब किलोवॉट प्रति घंटे के वार्षिक उत्पादन के साथ लक्ष्य की ओर पहुंच रहा है। परियोजना में सुरक्षात्मक और आर्थिक वन लगाना और रेत अवरोध बनाना शामिल था।

वहीं, 2.72 अरब युआन के निवेश के साथ, दूसरे चरण का लक्ष्य 5 लाख किलोवाट का उत्पादन करना और 21,000 हेक्टेयर को कवर करना था।

इसका निर्माण अक्टूबर 2019 में शुरू हुआ और जून 2021 तक पूरा हो गया। इस परियोजना ने पारिस्थितिक और कृषि संबंधी तरक्की हासिल की, जिससे लगभग 1,100 स्थानीय किसानों और चरवाहों को लाभ हुआ।

पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ

दलाट फोटोवोल्टिक बेस सालाना 2 अरब किलोवॉट प्रति घंटा "हरित बिजली" उत्पन्न करता है, जिससे 680,000 टन मानक कोयले की बचत होती है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में साढ़े 16 लाख टन और धूल उत्सर्जन में 4.5 लाख टन की कमी आती है।

यह परियोजना कुबुछी रेगिस्तान के 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र के प्रबंधन में भी सहायता करती है, जो स्थानीय पारिस्थितिक बहाली और मरुस्थलीकरण को काबू में करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

ऐसा कहना उचित होगा कि दलाट फोटोवोल्टिक बेस पारिस्थितिक और आर्थिक लाभों के साथ अक्षय ऊर्जा उत्पादन को जोड़ने, इनर मंगोलिया और उससे आगे के क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने का एक सटीक उदाहरण है।

(अखिल पाराशर)

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